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अमेरिका की ब्याज दरों में बढ़ोतरी से भारत पर क्या असर पड़ेगा ?
अमेरिका की मौद्रिक नीतियों में फ़ेरबदल से अमेरिका के साथ-साथ पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ता है। भारत में इसका असर रुपये की कीमत और विदेशी संस्थागत निवेशक पर पड़ सकता है।    
पुलकित कुमार शर्मा
17 Jun 2022
Jerome Powell

बुधवार को अमेरिका के सेंट्रल बैंक, फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 0.75 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। बताया जा रहा है कि साल 1994 के बाद से ब्याज दरों में यह सबसे बड़ी वृद्धि दर है। फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर में बढ़ोतरी महंगाई को काबू करने के लिए की है। आपको बता दे कि अमेरिका पिछले काफी समय से महंगाई की मार झेल रहा है। खाने-पीने की वस्तुओं के साथ अन्य सभी जरूरतों की चीजे बहुत महंगी हो गयी है। अमेरिका में क़रीब 40 सालों में महंगाई सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंची है। अप्रैल के महीने में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक दर 8.3 फीसदी थी, जोकि मई के महीने में बढ़कर 8.6 फीसदी पहुंच गया है।  

अमेरिका में मंहगाई के कारणों की बात करे तो अमेरिका में महंगाई का सबसे बड़ा कारण रूस-यूक्रैन यूद्ध है। रूस-यूक्रैन यूद्ध के चलते अनाज, कच्चे तेल और अन्य चीजों की सप्लाई रुक गयी है, जिसके कारण अमेरिका को काफी हद तक महंगाई का सामना करना पड़ रहा है। फेडरल रिजर्व ने इसलिए महंगाई को कम करने के लिए ब्याज दर में बढ़ोतरी की है।

अब सवाल उठता है कि फेडरल रिजर्व के ब्याज दर में बढ़ोतरी करने से महंगाई कैसे कम होगी? इसका पूरी दुनिया पर क्या असर पड़ेगा ?

दरअसल ब्याज दर में बढ़ोतरी होने से लोगों की ऋण लेने की क्षमता पर असर पड़ता है।  ब्याज दर बढ़ जाने से लोग बैंको से कम कर्जा लेंगे, जिसके कारण लोगों की ओवरऑल खरीदारी करने की क्षमता भी कम हो जाएगी। जब लोग कम ख़रीदारी करेगें तो वस्तुओं के दाम अपने आप नीचे आने शुरू हो जाएंगे और मंहगाई की हालत कमजोर होने लगेगी। हालांकि ब्याज दर बढ़ने से आर्थिक वृद्धि पर असर पड़ेगा।हो सकता है कि बेरोजगरी दर में भी बढ़ोतरी हो लेकिन फेडरल रिजर्व इसका आंकलन करते हुए महंगाई को कम करने को लेकर अपनी नीतियों पर सख्त रुख अख्तियार किया है।  

दरअसल हम ब्याज दरों में बढ़ोतरी पर इस लिए बात कर हैं क्योंकि अमेरिका की मौद्रिक नीतियों में फ़ेरबदल से अमेरिका के साथ-साथ पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ता है। फेडरल रिजर्व के इस फैसले से भारत पर कितना असर पड़ने वाला है, हम इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे। ब्याज दरों में बढ़ोतरी होने से अमेरिका की महंगाई पर असर पड़ेगा, महंगाई कम होने के कारण डॉलर मजबूत होगा जबकि हमारे देश का रूपया पहले से ही डॉलर के मुकाबले अपने निचले स्तर पर पहुंच चूका है। डॉलर के मजबूत होने से रुपये की कीमत में और गिरावट देखने को मिल सकती है।

आर्थिक मामलों के जानकार और न्यूज़क्लिक के वरिष्ठ पत्रकार परंजोय गुहा ठाकुरता का कहना है कि अमेरिका के ब्याज दर बढ़ने से रुपये की कीमत में गिरावट देखने को मिल सकती है, उनका अनुमान है कि रूपया गिर कर 80 रुपये प्रति डॉलर तक पहुंच सकता है। साथ ही परंजोय कहते है कि भारत में जो विदेशी संस्थागत निवेशक है, जो भारत के शेयर मार्किट में निवेश करते है, अमेरिका में ब्याज दर बढ़ने से काफी हद तक प्रभावित होंगे। जब अमेरिका में ब्याज दर बढ़ेगा तो निवेशक कर्जा देकर ज्यादा मुनाफा कमाने की उम्मीद से अमेरिका में निवेश करेंगे।  जहाँ पर कम ब्याज मिल रहा है वहां से निवेश किये गए पैसे को निकालकर और वहां से पैसा उधार पर लेकर अमेरिका में जयादा पैसा बनाने की उम्मीद से निवेश करेंगे।

भारत में निवेशक अपना पैसा शेयर मार्किट और सरकारी बॉण्ड खरीदने में इस्तेमाल करते है।  अगर भारत और अमेरिका के बीच ब्याज दरों में अंतर कम हो जायेगा तो निवेशकों को मुनाफा नहीं मिलेगा या बहुत कम मुनाफा मिलेगा | कम मुनाफे के चलते कोई भी निवेशक अपने पैसे को यहां पर निवेश में इस्तेमाल नहीं करेगा और मैदान छोड़कर भाग जायेगा।  जिसके कारण शेयर मार्किट में गिरावट और अर्थव्यवस्था में सुस्ती देखने को मिल सकती है। ऐसा भी हो सकता है कि RBI बाहरी निवेशकों को आकर्षित करने के लिया ब्याज दरों में बढ़ोतरी करे लेकिन इससे देश के भीतर आर्थिक मंदी का खतरा भी पैदा हो सकता है |

हालांकि रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ने अमेरिका की स्थिति को भांपते हुए पहले ही रेपो रेट में 0.05 फ़ीसदी की बढ़ोतरी कर दी है। रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ने रेपो रेट में बढ़ोतरी तब की जब अमेरिका के ब्याज दर में बढ़ोतरी का पूरा अनुमान हो चूका था। लेकिन अमेरिका की ब्याज दर में बढ़ोतरी की दर भारत में ब्याज दर की बढ़ोतरी से ज्यादा है।  मतलब यह कि अमेरिका में हुई ब्याज बढ़ोतरी से भारत में बहुत गंभीर असर पड़ने वाला है।  

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