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IIMC भूख हड़ताल: ''हम संस्थान के ख़िलाफ़ नहीं, बस असहमति को भी जगह मिले''

IIMC में भूख हड़ताल पर बैठे छात्रों में से एक बेहोश हो गए जिन्हें शनिवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया। इलाज के बाद रविवार को छुट्टी दे दी गई| उधर संस्थान की तरफ़ से धरने पर बैठे छात्रों को शो कॉज नोटिस जारी किया गया है।
IIMC

अजीब कैफ़ियत है, कुछ ख़बरें लिखते-लिखते कितनी बदल जाती हैं पता ही नहीं चलता। IIMC ( Indian Institute of Mass Communication) के हिंदी पत्रकारिता विभाग के चार छात्र 3 फरवरी से धरने पर बैठे थे, जिनमें से दो छात्र तीन दिन से भूख हड़ताल कर रहे थे, कल यानी 11 फरवरी को दो बजे इन छात्रों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी, इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को कवर कर हम वापस लौट कर अपनी स्टोरी फाइल करने की तैयारी कर ही रहे थे कि जिसका अंदेशा था वही हो गया। एक छात्र की तबीयत बिगड़ गई और वो बेहोश हो गया जिसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया है। छात्र का नाम मुकेश राईका है।

इससे पहले की हम पूरी ख़बर के बारे में बताएं मुकेश के इस ख़त पर ग़ौर करना बेहद ज़रूरी है। एक लड़का जो आर्मी स्कूल से पास आउट है, जिसके पिता सेना में 24 साल अपनी सेवा दे चुके हैं। उनके बेटे पर संस्थान को बदनाम करने का आरोप लग रहा है।

imageमुकेश का पत्र

क्या है पूरा मामला ? 

12 जनवरी से शुरू हुआ ये मामला लैब जर्नल में एक आर्टिकल के पब्लिश ना होने को लेकर शुरू हुआ था। (ये स्टोरी IIMC के उन गार्ड्स पर की गई थी जिन्हें एक जनवरी को बिना वेतन दिए निकालने का आरोप है) क्लास में हंगामा हुआ और छात्र उसी दिन धरने पर बैठ गए जिन्हें देर शाम Director General (DG) संजय द्विवेदी ने मना कर उचित कार्रवाई का आश्वासन देकर धरने से उठा दिया था। लेकिन ये छात्र एक बार फिर 3 फरवरी को धरने पर बैठ गए। इस बीच मुकेश (जो बेहोश हो गए) ने लैब जर्नल से जुड़ा एक ख़त DG ऑफिस को लिखा था लेकिन उसका जवाब नहीं मिला। मुकेश का आरोप है कि वे जवाब के लिए 31 जनवरी को DG ऑफ़िस पहुंचे तो वहां उन्हें कहा गया कि ''आपका लेटर Dean of academics को बढ़ा दिया गया है।'' इस सिलसिले में जब छात्र Dean of academics के पास पहुंचा तो उसका आरोप है कि ऑफ़िशियली तो उसे कोई जवाब नहीं मिला लेकिन बहुत बुरी तरह से उसे डांटा गया। जिसके बाद से वे बेहद परेशान है। छात्र ने न्यूज़क्लिक से कहा था कि ''इन सब बातों से मैं इतना परेशान हो चुका हूं कि मैंने संस्थान छोड़ने का मन बना लिया है।''

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3 फरवरी से धरने पर बैठे छात्रों का आरोप है कि धरने के दौरान उन्हें लगातार परेशान किया जाता रहा, उनकी बात सुनने की बजाए प्रशासन का रवैया उन्हें संस्थान से बाहर निकालने का बनता दिख रहा था जिसे देखते हुए छात्रों ने ये प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई।

imageधरने पर बैठे छात्र

भूख हड़ताल पर बैठे छात्रों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई

बुझे हुए हैरान-परेशान से चेहरे बहुत मायूस लग रहे थे। ये छात्र ज़ेहनी तौर पर भले ही कितने भी मज़बूत हो लेकिन सेहत गिर रही थी। IIMC ( Indian Institute of Mass Communication) के हिंदी पत्रकारिता विभाग के चार छात्र धीरे-धीरे चलते हुए गेट से बाहर निकले तो उस जगह ज़मीन पर जाकर बैठ गए जहां से पीछे नीली पट्टी पर लिखे उनके संस्थान का नाम दिख रहा था। किसी के पैर में चप्पल थी तो कोई नंगे पैर ही बस पालथी मारकर ज़मीन पर बैठ गया था। और यही सड़क किनारे इनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस की जगह थी।

इन चारों छात्रों ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस की जानकारी दी जिसमें उन्होंने एक बार फिर उन आरोपों का ज़िक्र किया था जो वे संस्थान पर लगा रहे थे।

छात्रों की इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के बारे में IIMC ने भी "आवश्यक सूचना" लिखते हुए एक ट्वीट किया जिसमें लिखा था कि ''शनिवार, रविवार संस्थान के अवकाश के दिन हैं और इन दोनों दिनों में किसी भी बाहरी व्यक्ति का प्रवेश वर्जित है''।

क्या कहा इन छात्रों ने ?

ये छात्र इससे पहले की अपनी मांगों को रखते उन्होंने डबडबाई आंखों से उन आरोपों का जवाब देना शुरू किया जो IIMC की तरफ से जारी कारण बताओ नोटिस में दर्ज थे। इस नोटिस का जवाब इन छात्रों को 13 फरवरी तक लिखित में देना है।

imageधरने पर बैठा छात्र आशुतोष

इन चारों में से एक छात्र ने रोते हुए कहा कि ''मैं ख़ुद ही इस संस्थान को छोड़कर चला जाउंगा जो मुझ पर इस तरह के बेबुनियाद आरोप लगाते हैं''

वो एक आरोप पर सवाल खड़ा करते हुए कहते हैं कि, नोटिस में लिखा कि ''अवैध तरीके से मोबाइल से रिकॉर्डिंग करते हैं, वीडियोग्राफी करते हैं''। छात्र का आरोप है कि '' क्लास में टीचर की मौजूदगी में पूरी क्लास ने मुझे घेर लिया तो अगर हमने उसका वीडियो बना लिया तो वो ग़लत है लेकिन जब हम धरने पर बैठे हैं तो हमारे धरने की जगह पर लाकर कैमरा लगा दिया गया है (जबकि वहां पर CCTV लगा हुआ है) तो क्या वो ठीक है''?

छात्रों को जारी किए गए कारण बताओ नोटिस में उनपर आरोप लगाए गए हैं कि-

1) साथ पढ़ने वाले छात्रों और अनुशासन समिति के प्रति व्यवहार अशालीन और असहयोगपूर्ण है।

2) संस्थान परिसर में अवैध जुटान में शामिल हो रहे हैं।

3) शांति व्यवस्था भंग कर रहे हैं।

4) सहपाठियों, अध्यापकों की निजता का हनन कर रहे हैं।

5) मोबाइल से अवैध तरीके से वीडियो बना रहे हैं।

इसके अलावा इस नोटिस में बिना इजाज़त भूख पर बैठने का भी आरोप लगाया गया है।

image

कारण बताओ नोटिस

इन आरोपों पर भूख हड़ताल पर बैठी एक छात्रा ने सवाल खड़ा किया कि ''क्लास में हर कोई वीडियो रिकॉर्डिंग करता है लेकिन ये तय कर दिया गया है कि उनके हिसाब से जो पॉजिटिव वीडियो है वो बाहर जा सकते हैं लेकिन क्लास में अगर कुछ ग़लत हो रहा है तो वो बाहर जाने पर हमारे ऊपर कार्रवाई होगी।''

वहीं भूख हड़ताल पर बैठा छात्र जो बेहोश हुआ है उसने कहा कि '' 31जनवरी को बुलाकर जिस तरह मुझे डांटा गया, लैब जर्नल से जुड़े लेटर का जवाब देने के बाद मुझसे पूछा गया कि मैं कहां से पढ़कर आया हूं, तो मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि मैं आर्मी स्कूल से पढ़कर आया हूं और मेरे पिता जी आर्मी से रिटायर हुए हैं, लेकिन जिस तरह से मुझे धमकाया गया है इस वक़्त मैं बहुत परेशान हूं''।

मैंने मुकेश से पूछा कि आपका हाथ कांप रहा है, ऐसी हालत में अब कब तक हड़ताल पर बैठ पाएंगे? तो उसने जवाब में कहा कि मुझे ये नहीं पता कि मैं कब तक हड़ताल पर बैठ पाऊंगा लेकिन मैं जब तक बैठ सकता हूं अपनी मांगों को लेकर बैठा रहूंगा।

इसके अलावा इन छात्रों की कई और मांगें हैं :

1) हिंदी पत्रकारिता विभाग लैब जर्नल से संबंधित नए नियम वापस ले।

2) हिंदी पत्रकारिता विभाग के मुद्दे पर अनुशासन समिति अपनी रिपोर्ट दे।

imageछात्रों की मांगें

लीगल टीम ने मदद का हाथ बढ़ाया

धरने पर बैठे छात्रों को लीगल हेल्प देने के लिए भी एक टीम पहुंची थी। दलित, पिछड़े या फिर समाज के किसी भी जरूरतमंद को मदद देने वाली इस लीगल टीम ने दावा किया कि संस्थान में छात्रों को परेशान किया जा रहा है। इस टीम की एक वकील ने हमसे कहा कि, ''रोहित वेमुला के बारे में आपने सुना होगा उसे किस स्टेज तक पहुंचा दिया गया था।"

imageमदद के लिए पहुंची लीगल टीम

"बात सरकारी या प्राइवेट संस्थान की नहीं है कुछ मामले सामने आते हैं कुछ दब जाते हैं। अब ये बच्चे यहां पढ़ने आए हैं। किसको शौक है कि अपनी पढ़ाई से हटकर इस तरह से आंदोलन करे या फिर भूख हड़ताल पर बैठे। सब पढ़ने आए हैं। सब पढ़ना चाहते हैं, लेकिन क्लास में जो चल रहा है उससे पढ़ तो ये वैसे भी नहीं पा रहे थे तो अब आंदोलन पर बैठ गए तो इनकी बात सुननी चाहिए''।

बेशक, छात्र संस्थान के ही हैं। अब मुद्दा ये नहीं है कि कौन सही है और कौन ग़लत। छात्र इतने दिनों से धरने पर बैठे हैं लेकिन बात सुलझने की बजाय लगातार उलझती जा रही है। 

DG साहब ने फोन नहीं उठाया

इस मामले पर प्रतिक्रिया लेने के लिए हमने IIMC के Director General (DG) संजय द्विवेदी को दो बार फोन किया। एक बार छात्रों की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर प्रतिक्रिया लेने के लिए और दूसरी बार भूख हड़ताल पर बैठे छात्र मुकेश के बेहोश होकर अस्पताल पहुंचने पर, लेकिन उन्होंने दोनों ही बार हमारा फोन नहीं उठाया।

IIMC देश का सम्मानित संस्थान है जहां छात्र सवाल पूछने के हुनर को सीखने जाते हैं, लेकिन पत्रकारिता के संसार में आने से पहले ही अगर छात्रों को आंसुओं के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी पड़े, रुंधे गले से ये साबित करना पड़े कि ''हम अपने संस्थान के ख़िलाफ़ नहीं हैं। बस हम कहना चाहते हैं कि असहमति को भी संस्थान में जगह मिले''।

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