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पड़तालः प्रतिदिन 449 आत्महत्याएं और प्रधानमंत्री का चुटकुला

प्रधानमंत्री का चुटकुला तो आपने सुन ही लिया होगा, जो बताता है कि सुसाइड जैसे मामले पर हमारे प्रधानमंत्री कितने गंभीर है। जिस देश में प्रतिदिन 449 व्यक्ति सुसाइड करते हैं उस देश के प्रधानमंत्री की ऐसी चुटकुलेबाज़ी को आप क्या कहेंगे।
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रिपब्लिक टीवी की 2023 समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र ने अपना भाषण दिया। अपने भाषण की शुरुआत उन्होंने एक छात्रा द्वारा सुसाइड पर चुटकुले के साथ की। चुटकुला आप इस लिंक पर क्लिक करके सुन सकते हैं। आत्महत्या जैसे संवेदनशील विषय पर चुटकुला सुनाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की असंवेदनशीलता को दर्शाता है। साथ ही बताता है कि सुसाइड जैसे मामले पर हमारे प्रधानमंत्री कितने गंभीर है। जीने की इच्छा को खो देना और दुनिया से आंखे मोड़कर खुद ही अपनी जीवन लीला समाप्त कर लेना, काफी दुखदायी होता होगा। लेकिन उस बारे में भरी सभा में, कैमरे के सामने देश के प्रधानमंत्री द्वारा चुटकुला सुनाना और भी दुखदायी है। जिस देश में प्रतिदिन 449 व्यक्ति सुसाइड करते हैं उस देश के प्रधानमंत्री के लिए तो ये शर्मनाक होना चाहिए। प्रधानमंत्री का चुटकुला तो आपने सुन ही लिया होगा, लेकिन क्या आप देश में आत्महत्या के मामलों की स्थिति के बारे में जानते हैं? आइये, पड़ताल करते हैं।

एनसीआरबी से साभार

प्रतिदिन 449 व्यक्ति करते हैं आत्महत्या

एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021 में 1,64,033 व्यक्तियों ने आत्महत्या की है। आत्महत्या के मामलों में वर्ष 2020 के मुकाबले 7.2% की बढ़ोतरी दर्ज़ की गई है। वर्ष 1967 से एनसीआरबी ने अपराधिक मामलों का आंकड़ा सहेजना शुरू किया था। तब से लेकर अब तक आत्महत्या के मामलों की सर्वाधिक संख्या वर्ष 2021 में दर्ज की गई है। देश में हर रोज 449 और हर घंटे 18 व्यक्ति आत्महत्या करते हैं। आत्महत्या के मामलों में पहले पांच राज्य महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक हैं। आत्महत्या के कुल मामलों का 50% अकेले इन पांच राज्यों में दर्ज किया गया है। कर्नाटक में चुनाव होने हैं क्या आत्महत्या के मामलों में बढ़ोतरी चुनाव का मुद्दा बन पाया है? क्या भाजपा के किसी नेता, मंत्री या प्रधानमंत्री ने बताया है कि कर्नाटक आत्महत्या के मामलों में देश में पांचवे स्थान पर है। ये सब नहीं बताएंगे बस चुटकुला सुनाएंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छात्रा की आत्महत्या पर चुटकुला सुना रहे हैं। क्या उन्हें जरा भी अंदाजा है कि देश में 13,089 विद्यार्थियों ने आत्महत्या की है। अपने जीवन के सबसे खूबसूरत सालों में हर रोज 35 विद्यार्थी आत्महत्या कर रहे हैं। जाहिर तौर पर वे किसी ऐसी समस्या से गुजर रहे थे जो उनकी ज़िंदगी पर भारी पड़ी। प्रधानमंत्री इस समस्या को संबोधित करने की बजाय, नागरिकों को जागरूक करने की बजाय, इस पर चुटकुला सुना रहे हैं।

सबसे ज्यादा आत्महत्या मज़दूरों ने की है

आंकड़े बताते हैं कि आत्महत्या के मामलों में सबसे ज्यादा संख्या डेली वेज़ वर्कर की है। उसके बाद वे लोग आते हैं जो खुद का कोई रोज़गार करते हैं। कृषि क्षेत्र में आत्महत्या के मामलों में भी लगभग 50% खेत मज़दूर हैं। कुल मामलों का 14.1% गृहणियां हैं। ये आंकड़े बता रहे हैं कि आत्महत्या करने वालों में मज़दूर और खुद का कोई छोटा-मोटा काम-धंधा करने वाले व्यक्तियों की संख्या ज्यादा है। अगर डेली वेज़ वर्कर्स, खुद का रोज़गार करने वाले और गृहणियों को जोड़ लें तो कुल मिलाकर 52% मामले इन तीन श्रेणियों से हैं। यानी आत्महत्या के मामलों में प्रमुख कारण आर्थिक तंगी, बेरोज़गारी और पारिवारिक तनाव है। गौरतलब है कि कोरोना के बाद से ये स्थिति और भी खराब हुई है। आत्महत्या करने वालों में 1,05,242 लोगों की वार्षिक आय एक लाख से कम थी। यानी आत्महत्या करने वाले 64.2% व्यक्तियों की मासिक आय साढ़े 8 हज़ार से भी कम थी। प्रधानमंत्री ये नहीं बता रहे बस चुटकुला सुना रहे हैं।

सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल का सिग्नेट्री है भारत

गौरतलब है कि भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन के सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल का सिग्नेट्री है। जिसके अंतर्गत विभिन्न जन कल्याण के क्षेत्रों पर टारगेट तय किया गया है जिसे वर्ष 2030 तक हासिल करना है। अच्छा स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य भी इनमें से एक है। जिसके अनुसार भारत में वर्ष 2030 तक नॉन-कम्युनिकेबल बीमारियों से मौत के मामलों में कमी और मानसिक स्वास्थ्य के बारे में लोगों को जागरूक करना शामिल है। नॉन-कम्युनिकेबल बीमारियों की श्रेणी के तहत मौत का सबसे प्रमुख कारण आत्महत्या है। देश में आत्महत्या के मामलों में लगातार बढ़ोतरी है, लोग आर्थिक बदहाली से गुजर रहे हैं, पारिवारिक तनाव बढ़ रहा है ऐसे में क्या भारत 2030 तक अपने लक्ष्य को हासिल कर पाएगा। प्रधानमंत्री ये नहीं बता रहे बस चुटकुला सुना रहे हैं।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। आप सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते हैं।)

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