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पड़तालः शिक्षा मंत्रालय का ऐसा कोई विभाग नहीं जिसमें पूरा स्टाफ है

शिक्षा मंत्रालय कोर सचिवालय और मंत्रालय के अंतर्गत काम कर रहे अन्य विभागों में ग्रुप ए, बी और सी के कुल 86,291 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 21,071 यानी 24.4% पद खाली खड़े हैं। इनमें से कुछ विभाग ऐसे भी हैं जिनमें 50% से लेकर 62% तक पद खाली पड़े हैं।
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फ़ोटो साभार: विकिपीडिया

कर्नाटक में चुनाव हैं। जिसके चलते चारों तरफ चमकीला प्रचार छाया हुआ है। भाजपा शिक्षा के क्षेत्र में सुधार नहीं बल्कि क्रांति का दावा कर रही है। तो क्या सचमुच शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति हो गई है या फिर चमकीले प्रचार के पीछे काली सच्चाई को छिपाने की कोशिश की जा रही है? इसी कड़ी में हमने आपके सामने कर्नाटक में शिक्षा और सरकारी स्कूलोें की स्थिति पर रिपोर्ट की थी। जिससे पता चलता है कि कर्नाटक में बिना शिक्षकों के शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति हो गई है। आंकड़े बता रहे हैं कि एक शिक्षक के स्कूलों के मामले में कर्नाटक देश में पांचवे स्थान पर है और शिक्षकों के रिक्त पदों के मामले में देश में पहले स्थान पर।

इस रिपोर्ट को आप इस लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं-कर्नाटकः शिक्षकों के 57% से ज़्यादा पद खाली

अब हम बात करेंगे शिक्षा के ढांचे को सुचारु रूप से चलाने के लिए मंत्रालय और मंत्रालय के तहत काम कर रहे अन्य विभागों और संस्थाओं की। ये संस्थान सुचारू रूप से अपना काम तब कर सकते हैं जब इनमें काम करने के लिए पूरा स्टाफ और पर्याप्त सुविधाएं हों।

स्कूलों की स्थिति पर फिर भी कभी-कभार चर्चा हो जाती है। लेकिन इन स्कूलों और पूरे शिक्षा के ढांचे को चलाने वाले मंत्रालय और उसके तहत काम कर रहे अन्य विभागों की स्थिति के बारे में काफी कम चर्चा होती है। आइये, इन विभागों की स्थिति पर नज़र डालते हैं और चमकीले प्रचार के पीछे की काली सच्चाई को समझने की कोशिश करते हैं। पड़ताल करते हैं कि ये संस्थान किस स्थिति में है?

शिक्षा मंत्रालय और अन्य विभागों में स्टाफ की स्थिति

स्कूली शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय और इनके तहत काम कर रही अन्य संस्थाओं में स्टाफ की स्थिति के बारे में राज्यसभा में सवाल पूछा गया। शिक्षा राज्यमंत्री सुभाष सरकार ने 15 मार्च 2023 को जिसका लिखित जवाब दिया। उन्होने अपने जवाब में बताया कि शिक्षा मंत्रालय कोर सचिवालय और मंत्रालय के अंतर्गत काम कर रहे अन्य विभागों में ग्रुप ए, बी और सी के कुल 86,291 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 21,071 यानी 24.4% पद खाली खड़े हैं। इनमें से कुछ विभाग ऐसे भी हैं जिनमें 50% से लेकर 62% तक पद खाली पड़े हैं। आइये, एक-एक करके इन विभागों में स्टाफ की स्थिति को समझते हैं।

शिक्षा राज्यमंत्री के जवाब के अनुसार शिक्षा मंत्रालय कोर सचिवालय और स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग में ग्रुप ए, बी और सी के 1035 स्वीकृत पद हैं, जिनमें से 317 यानी 30% पद खाली पड़े हैं।

राष्ट्रीय बाल भवन में 154 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 49 यानी 31% पद खाली पड़े हैं।

नवोदय विद्यालय समिति में 23,855 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 4,997 यानी 20% पद खाली पड़े हैं।

केंद्रीय विद्यालय संगठन में 56,848 पद स्वीकृत हैं जिनमें से 13,411 पद यानी 23% पद खाली पड़े हैं।

NCERT में 2,062 पद स्वीकृत हैं जिनमें से 1,299 पद यानी 62% पद खाली पड़े हैं।

नेशनल ओपन स्कूलिंग संस्थान में 394 पद स्वीकृत हैं जिनमें से 181 यानी 45% पद खाली पड़े हैं।

नेशनल काउंसिल फॉर टिचर्स एजुकेशन में 123 पद स्वीकृत हैं जिनमें से 62 यानी 50% पद खाली पड़े हैं।

CBSE में 1820 पद स्वीकृत हैं जिनमें से 755 यानी 41% पद खाली पड़े हैं।

इन सभी विभागों और मंत्रालय में कुल मिलकार 21,071 पद खाली पड़े हैं। शिक्षा मंत्रालय में ऐसा एक भी विभाग और संस्थान नहीं है जिसमें पूरा स्टाफ हो।

सेंट्रल यूनिवर्सिटी और अन्य केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में स्टाफ की स्थिति

राज्यसभा में 15 मार्च 2023 को एक सवाल के लिखित जवाब में शिक्षा राज्यमंत्री सुभाष सरकार ने देश के विभिन्न राज्यों में स्थित केंद्रीय विश्वविद्यालय और अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों और ग़ैर-शिक्षकों की उपलब्धता बारे जानकारी दी।

उनके लिखित जवाब के अनुसार इन संस्थानों में बड़ी संख्या में पद रिक्त पड़े हैं। इन केंद्रीय उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के 41,521 पद स्वीकृत हैं जिनमें से 14,162 यानी 34% पद खाली पड़े हैं। ग़ैर-शिक्षकों के 60,431 पद स्वीकृत हैं जिनमें से 26,657 यानी 44% पद खाली पड़े हैं।

ये आंकड़े बता रहे हैं कि कुल मिलाकर देश में शिक्षा की स्थिति काफी खराब है। भाजपा सरकार सिलेबस को बदलने, इतिहास के पुनर्लेखन में जितनी शिद्दत से काम कर रही है, शिक्षकों की भर्ती और बुनियादी सुविधाओं को लेकर उतनी ही लापरवाह है और दोनों ही तरह से शिक्षा को बर्बादी की तरफ धकेल रहे हैं।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। आप सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते हैं।)

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