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झारखंड: सुंदरपहाड़ी सम्मेलन में आदिवासी अस्तित्व और पर्यावरण सुरक्षा का ऐलान

कल दिनभर चले सम्मेलन में गोड्डा पावर प्लांट, बोआरीजोर ट्रांसमिशन लाइन, साहेबगंज रिजर्वोयर आदि प्रोजेक्ट प्रभावित इलाकों में रहने वाले करीब 500 लोगों ने शिरकत की और अपनी बात रखी। स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर के भी कई सामाजिक कार्यकर्ता इसमें मौजूद रहे। 
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गोड्डा, 23 जून: गुरुवार को झारखंड के गोड्डा जिले में स्थित सुंदरपहाड़ी ब्लॉक के आमजोड़ा गांव में आदिवासी अस्तित्व और पर्यावरण सुरक्षा का ऐलान किया गया। 

इस सम्मेलन की शुरुआत संथाल परमपुर्वज मरंग बुरु की पूजा के साथ हुई।

कल दिनभर चले सम्मेलन में गोड्डा पावर प्लांट, बोआरीजोर ट्रांसमिशन लाइन, साहेबगंज रिजर्वोयर आदि प्रोजेक्ट प्रभावित इलाकों में रहने वाले करीब 500 लोगों ने शिरकत की और अपनी बात रखी। स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर के भी कई सामाजिक कार्यकर्ता इसमें मौजूद रहे। 

सम्मेलन में बताया गया कि साहेबगंज से गंगा नदी का पानी रिजर्वोयर से होते हुए गोड्डा पावर प्लांट को ठंडा रखने के लिए लाए जाने का प्लान है, और उस रिजर्वॉयर से गंगा नदी का पानी पंप करने की व्यवस्था चलाने के लिए गोड्डा से बोआरीजर होते हुए ट्रांसमिशन लाइन बिछाई जाएगी। 

ऐसा बताया जा रहा है कि ऑस्ट्रेलिया से आयात किया हुआ कोयला गोड्डा पावर प्लांट में जलाकर बिजली उत्पादन किया जाएगा जिसको बांग्लादेश में निर्यात किया जाएगा। ऑस्ट्रेलिया में कोयला खदान, और ऑस्ट्रेलिया और भारत में बंदरगाह जिसके ज़रिए कोयला आयात किया जाएगा, तीनों अडानी कंपनियों के ही हैं। गोड्डा पावर प्लांट से बांग्लादेश की ओर ट्रांसमिशन लाइन सुंदरपहाड़ी होते हुए जाएगा। 

इसके अलावा ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि इन क्षेत्रों में सुंदर जलाशय, हुर्रासी कोल माइनिंग, जितपुर कोल ब्लॉक, सड़क चौड़ीकरण और हवाई अड्डे के लिए जमीन आदिवासी ग्रामीणों की राय लिए बगैर ही उनसे छीना जा रही है। 

सम्मेलन में बताया गया कि वन अधिकार कानून 2006 का खुलेआम उल्लंघन करते हुए बोआरीजर में हुर्रसी कोल माइंस क्षेत्र के छः गांव के 527 हेक्टेयर वन भूमि को ग्राम सभा की सहमति के बगैर ईसीएल को दे दिया गया, जिसका सीधा असर पर्यावरण पर पड़ रहा है। 

सम्मेलन में ग्रामीणों ने सरकार से पांच मांग रखी हैं। इनमें पहला, भारतीय संविधान में उल्लेखित आदिवासी/मूलवासी अधिकार अक्षरशः लागू करना। दूसरा,  संथाल परगना टेनेंसी एक्ट 1949 पांचवी अनुसूचि के प्रावधान एवं पेसा कानून 1996 के अनुसार राज्य सरकार शीघ्र नियमावाली तैयार कर ग्राम सभा को शक्ति देकर स्वशासन स्थापित करें। तीसरा, जंगलों को (बचाने) संरक्षण एवं संवर्धन का अधिकार ग्राम सभा को प्रदान किया जाए क्योंकि आदिवासियों ने सदियों से जंगलों (पर्यावरण) को बचाया है। चौथा, खतियान आधारित स्थानीय नीति, नियोजन नीति एवं उद्योग नीति परिभाषित की जाए। पाँचवा, पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था को संभालने का मौका प्रदान किया जाए। 

सम्मेलन के आयोजकों में हासा आर भाषा जोगाव संगठन, गोड्डा; जन जागृति संघर्ष मोर्चा, लीलातारी; भूमि बचाव संघर्ष समिति गोड्डा, और उनके सहयोगी संगठन रहे इंसाफ, ग्रोथवॉच, आमरा एक सचेतन प्रयास, झारखंड जनाधिकार महासभा, और मांझी परगना संगठन, सुंदरपहाड़ी थे। 

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