Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन को धन शोधन के मामले में उच्च न्यायालय से ज़मानत मिली

कप्पन वर्तमान में लखनऊ की जिला जेल में बंद हैं। कप्पन को तीन अन्य लोगों अतीक-उर-रहमान, आलम और मसूद के साथ पीएफआई से कथित तौर पर संबंध रखने और हिंसा भड़काने के षड़यंत्र का हिस्सा होने के लिए मथुरा में गिरफ्तार किया गया था।
kappan
फ़ोटो साभार: पीटीआई

लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन को धन शोधन के एक मामले में शुक्रवार को जमानत दे दी।

कप्पन की जमानत याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने पारित किया।

कप्पन वर्तमान में लखनऊ की जिला जेल में बंद हैं। कप्पन को तीन अन्य लोगों अतीक-उर-रहमान, आलम और मसूद के साथ पीएफआई से कथित तौर पर संबंध रखने और हिंसा भड़काने के षड़यंत्र का हिस्सा होने के लिए मथुरा में गिरफ्तार किया गया था।

कप्पन के वकील मोहम्मद दानिश केएस ने कहा कि जमानत मिलने से औपचारिकताएं पूरी करने के बाद जेल से उनकी रिहाई का रास्ता साफ हो गया है।

उन्होंने कहा कि उनके मुवक्किल को शीर्ष अदालत से यूएपीए व भारतीय दंड विधान की धाराओं से जुड़े मामले में ज़मानत मिलने के बाद भी जमानतदारों का अब तब सत्यापन नहीं हुआ है। इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने उन्हें नौ सितंबर को जमानत दे दी थी।

दानिश ने पीटीआई-भाषा को बताया, “पहले मामले (यूएपीए) में उच्चतम न्यायालय ने कप्पन को नौ सितंबर को जमानत दे दी थी। लेकिन जमानतदारों का सत्यापन तीन महीने के बाद भी नहीं कराया जा सका। इसलिए जेल से रिहाई के लिए यह मुख्य मुद्दा है। आज के फैसले के संबंध में हमें इसका अध्ययन करना होगा क्योंकि अभी तक यह (वेबसाइट पर) अपलोड नहीं किया गया है।”

कप्पन के खिलाफ भारतीय दंड विधान की विभिन्न धाराओं के अलावा गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम और आईटी कानून के तहत मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में ज़मानत मिलने के बाद वह धन शोधन से संबंधित मामले की वजह से जेल से बाहर नहीं आ सके थे।

उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार की दलीलें ध्यान में रखते हुए जमानत के लिए कई शर्तें लगाई थीं जैसे जेल से रिहा होने के बाद वह अगले छह सप्ताह दिल्ली में रहेंगे और हर सप्ताह सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी के निजामुद्दीन थाने में रिपोर्ट करेंगे।

विपक्षी दलों और पत्रकारों की संस्थाओं ने कप्पन को जमानत दिए जाने के उच्चतम न्यायालय के आदेश का स्वागत किया था। उनका दावा है कि कप्पन को उत्तर प्रदेश सरकार ने ‘बलि का बकरा’ बनाया है।

उल्लेखनीय है कि एक दलित महिला के साथ 14 सितंबर 2022 को कथित तौर पर दुष्कर्म के एक पखवाड़े बाद दिल्ली के एक अस्पताल में उसकी मृत्यु हो गई थी। उसके गांव में आधी रात को उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया था।

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest