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लखनऊ दिन भर : ख़ास रपट :  लाठीचार्ज, पथराव, आगज़नी, एक मौत

हुसैनाबाद इलाक़े के लोगों का आरोप है कि पुलिस ने उनके घरों में घुस कर तोड़फोड़ की है। इस पूरे बवाल के बीच एक युवक की मौत भी हो गई। हालांकि मृतक के भाई के मुताबिक उनका भाई प्रदर्शन का हिस्सा नहीं था, लेकिन उन्होंने पुलिस पर गोली मारने का आरोप लगाया है।
UP Protest

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आज नागरिकता (संशोधित) क़ानून (CAA) के विरोध में प्रदर्शन किया गया है। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज कर दिया जिसके बाद प्रदर्शन हिंसक हो गया। लखनऊ के कई इलाकों में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं और इस बीच दो पुलिस चौकियों में आग लगा दी गई।

हुसैनाबाद इलाक़े के लोगों का आरोप है कि पुलिस ने उनके घरों में घुस कर तोड़फोड़ की है। इस पूरे बवाल के बीच एक युवक की मौत भी हो गई। हालांकि पुलिस का कहना है कि इसके बारे में पूरी जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। मृतक के भाई का कहना है कि उनका भाई प्रदर्शन का हिस्सा नहीं था। हालांकि उन्होंने पुलिस पर ही गोली मारने का आरोप लगाया।

नागरिक संगठनों और वामपंथी दलों की तरफ़ से आज लखनऊ में नए नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हो रहा था। शहर के चप्पे चप्पे पर भारी पुलिस बल तैनात था। ताकि लोग प्रदर्शन में शामिल होने के लिए न जा सकें। लेकिन प्रशासन और पुलिस की सख़्ती के बावजूद बड़ी संख्या में नागरिक समाजवामपंथी दल और आम जनता प्रदर्शन करने के लिए परिवर्तन चौक पहुँची। जहाँ पहले से ही पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए नाकाबंदी कर रखी थी।

नागरिक समाज और वामपंथी दलों ने आज के प्रदर्शन के लिए परिवर्तन चौक को चुना था। परिवर्तन चौक लखनऊ का वो इलाक़ा है जो नए लखनऊ और पुराने लखनऊ को जोड़ता है। एहतियात के तौर पर पुलिस प्रशासन द्वारा परिवर्तन चौक पर स्थित (केडी सिंह) मेट्रो रेलवे स्टेशन को भी बंद करवा दिया था।

लेकिन 11 बजे दिन से ही प्रदर्शनकारी धीरे धीरे है वहाँ पहुँचने लगे। पहले पुलिस ने वहाँ पहुँचे प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया। लेकिन जब वहाँ बड़ी तादाद में प्रदर्शनकारियों ने आना शुरू किया तो पुलिस द्वारा हल्का बल प्रयोग करके उनको परिवर्तन चौक से दूर खदेड़ दिया गया।

दोपहर क़रीब बजे परिवर्तन चौक आने वाले एक रास्ते पर भाकपा (माले) के कार्यकर्ता धरने पर बैठ गए। धरने पर बैठे पार्टी कार्यकर्ता नागरिकता क़ानून को वापस लेने की माँग कर रहे थे। कार्यकर्ताओं का आरोप था कि भाजपा सरकार नागरिकता क़ानून लाकर भारतीय समाज में विभाजन करना चाहती है। पुलिस के दबाव के बावजूद ये लोग धरने से नहीं हटे। थोड़ी देर बाद ही अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की महिलाएँ भी धरने में शामिल हो गईं।

दूसरी ओर परिवर्तन चौक स्थित बेग़म हज़रत महल पार्क और सादत अली ख़ा के मक़बरे में बड़ी तादाद में लोग जमा होने लगे। यह लोग नागरिकता क़ानून वापस लो के नारे लगा रहे थे। इसके अलावा भी कुछ लोग केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी कर रहे थे।

देखते ही देखते वहाँ हज़ारों की भीड़ वहाँ जमा हो गई। प्रदर्शनकारी नागरिकता क़ानून वापस लो की तख्तियां भी हाथो में लिए हुए थे। कुछ प्रदर्शनकारी अपने हाथों में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की तस्वीरें लिए थे और कह रहे थे कि वह देश के संविधान की रक्षा के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं।

दूसरी तरफ़ से कुछ अधिवक्ता और नागरिक संगठन के लोग परिवर्तन चौक से क़रीब तीन सौ मीटर की दूरी पर प्रदर्शन कर रहे थे। यह प्रदर्शनकारी क़रीब दो घंटे तक प्रदर्शन करते रहे। लेकिन शाम तक़रीबन तीन बजकर 25 पर इन प्रदर्शनकारियों ने प्रदर्शन परिवर्तन चौक की तरह बढ़ने की कोशिश की तो पुलिस ने इनको रोक दिया। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए लाठीचार्ज शुरू कर दिया।

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लाठीचार्ज शुरू होने के बाद भी प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया। प्रदर्शनकारी ने पुलिसकर्मियों पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते है इससे हालत पुलिस के क़ाबू के बाहर हो गए। चारों तरफ़ से पथराव शुरू हो गया है जवाब में पुलिस द्वारा भी प्रदर्शनकारियों पर पथराव किया रहा था। पथराव इतना ज़्यादा था कि लखनऊ के कमिश्नर मुकेश मेश्राराम और आईजी पुलिस एसके भगत को भी मोर्चा छोड़कर हटना पड़ा।

कुछ गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने परिवर्तन चौक पर खड़ी गाड़ियों को आग लगा दी। इस बीच कई निजी टीवी चैनलों की ओबी वैन को भी आग के हवाले कर दिया गया। जिन टीवी चैनलों की ओबी वैन में आग लगी उनमें नेटवर्क 18 और आजतक आदि हैं।

इसके अलावा ड्यूटी पर आये सीएनएन-आईबीएन के वरिष्ठ पत्रकार प्रांशु मिश्रा की गाड़ी में भी आग लगा दी गई। प्रांशु ने बताया कि उन्होंने अपनी गाड़ी और ओबी वैन को बेग़म हज़रत महल पार्क पर खड़ा किया था जहाँ उनकी गाड़ी को आग लगा दी गई। प्रांशु मिश्रा के अनुसार ही उनकी गाड़ी में उनका लैपटॉप भी था जिसमें के समाचार से संबंधित कुछ अहम दस्तावेज़ सेव थे। इसके अलावा वहाँ पर दर्जनों पत्रकारों की मोटरसाइकिलों को भी जलाया गया। लखनऊ के वरिष्ठ छायाकार आज़म हुसैन और मुर्तज़ा रिज़वी की मोटरसाइकिलों भी जला दी गई है। 

3_0.PNGछायाकार सुरेश, शुभंकर और छोटू की की भी मोटरसाइकिलें जलाई गई हैं और फोटोग्राफर सुनील रैदास का कैमरा तोड़ा गया है।

स्थिति उग्र होते देख पुलिस को प्रदर्शनकारियों को क़ाबू में करने के लिए आँसू गैस और रबर बुलेट का इस्तेमाल भी करना पड़ा। लेकिन  प्रदर्शनकारी इतनी बड़ी संख्या में थे की पुलिस के लिए उन पर क़ाबू पाना आसान नहीं था। प्रदर्शनकारियों को क़ाबू करने में पुलिस को डेढ़ घंटे से अधिक का समय लग गया इस बीच प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच पथराव होता रहा और प्रदर्शनकारी नागरिकता क़ानून के विरोध में नारे लगाते रहे।

हसनगंज इलाक़े में जब लोग अपने घरों से बाहर निकले थे तो पुलिस ने उनको भी प्रदर्शन में जाने से रोका। जिसके बाद लोगों ने वहीं पर नागरिकता क़ानून के विरोध में प्रदर्शन शुरू कर दिया। पुलिस के दबाव के बावजूद प्रदर्शनकारी अपने घर वापस नहीं गए। जिसके बाद पुलिस ने हज़ारों की तादाद में जमा प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज शुरू कर दिया।

जवाब में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया और देखते ही देखते हालात पुलिस के क़ाबू के बाहर हो गए। नाराज़ और गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने सड़क के डिवाइडर तोड़ दिए और हसनगंज इलाक़े में स्थित मदेयगंज चौकी में आग लगा दी इसके अलावा इस इलाक़े में कई वाहन भी जला दिए गए। जिसमें मदेयगंज चौकी के बाहर खड़ी तक़रीबन आधा दर्जन मोटरसाइकिलें हैं और एक कार भी है।

पुलिस के अनुसार आज हुए प्रदर्शन में क़रीब 16 पुलिस कर्मी घायल हुए हैं।

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पुराने लखनऊ के हुसैनाबाद इलाक़े में जब आज दोपहर की नागरिकता क़ानून के विरोध में प्रदर्शन करने के लिए लोग अपने घरों से बाहर निकले तो पुलिस ने उन पर वापस घर लौट जाने के लिए दबाव बनाया। लेकिन प्रदर्शनकारी विरोध करने के लिए परिवर्तन चौक जाना चाहते थे। हुसैनाबाद इलाक़े में घंटा घर के पास पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच कहासुनी शुरू हो गई। पुलिस ने बलपूर्वक प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश की लेकिन प्रदर्शनकारी आगे बढ़ते रहे। प्रदर्शनकारियों को न रुकता देख पुलिस ने लाठीचार्ज शुरू कर दिया।

जिसके बाद प्रदर्शनकारियों द्वारा पथराव शुरू हो गया। इस बीच कुछ प्रदर्शनकारियों ने ऐतिहासिक छोटे इमामबाड़े के पास स्थित सतखंडे चौकी में आग लगा दी। इसके अलावा वहाँ खड़े कई वाहनों को भी आग लगा दी गई।

इसके अलावा पुलिस पर आरोप है कि उसने हुसैनाबाद इलाक़े के स्थानीय लोगों के घर में घुस कर तोड़फोड़ भी की है। इसके अलावा हुसैनाबाद इलाक़े में ही पुलिस ने वरिष्ठ पत्रकार आशीष मिश्रा की भी पिटाई कर दी। अशीष मिश्रा को ये बताने के बाद भी कि वे एक प्रमुख समाचार पत्र के संवाददाता है पुलिस ने उनको नहीं छोड़ा और उन पर ख़ूब लाठियां बरसायी। जिसमें आशीष गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। इसके अलावा भी छायाकार आज़म हुसैन को भी पुलिस लाठीचार्ज में काफ़ी चोटें आयी हैं।

प्रदर्शन के बाद अब पुलिस प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार कर रही है। देर रात ख़बर लिखे जाने के समय शहर के विभिन्न इलाकों से गिरफ़्तारियों की ख़बरें आ रही हैं। अभी तक पुलिस ने कुल 112 प्रदर्शनकारीयों गिरफ़्तार किए जाने की पुष्टि की है। लेकिन प्रदर्शन के दौरान भी काफ़ी बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार गया। परिवर्तन चौक पहुँचे कांग्रेस नेताओं को भी पुलिस ने सुबह की हिरासत में ले लिया था। समाजवादी पार्टी ने भी हज़रतगंज में नगरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया।

बताया जा रहा है कि हुसैनाबाद में बवाल के दौरान चली गोली में मोहम्मद वकील नामक युवक की ट्रामा सेंटर में इलाज के दौरान मौत हो गई है। उनके पेट में गोली लगी। सज्जाद बाग निवासी मोहम्मद वकील घर से सामान लेने निकले थे। मृतक के भाई का आरोप है कि पुलिस की गोली से उनके भाई की मौत हुई है। उनके भाई ने मीडिया से कहा कि एक दरोग़ा ने गोली चलाई थी जो उनके भाई को लगी। हालाँकि पुलिस अभी इस मामले में कुछ भी कहने से बच रही है। उत्तर प्रदेश पुलिस का कहना की मोहम्मद वकील की मौत की जाँच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। बता दें मृतक मोहम्मद वकील एक ड्राइवर थे और डेढ़ साल पहले ही उनका विवाह हुआ था।

(असद रिज़वी स्वतंत्र पत्रकार हैं।) 

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