Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

हमारे नेताओं की रिहाई के बाद ही करेंगे शहीद किसान का अंतिम संस्कार: पंजाब किसान

पंजाब में सरकार और किसानों के बीच कई बिंदुओं पर सहमती बन गई है लेकिन किसान, हिरासत में लिए गए अपने सभी नेताओं की रिहाई की मांग पर डटे हुए हैं।
kisan

बीते दिनों पंजाब के संगरूर में किसानों के प्रदर्शन के दौरान पुलिस से हुई झड़प में प्रीतम सिंह नाम के एक किसान की मौत हो गई थी जिसके बाद से किसानों ने लोंगोवाल में अपना पक्का मोर्चा लगा दिया जो आज तीसरे दिन भी जारी रहा। हालांकि सरकार ने किसानों की मांग मान ली है और प्रीतम सिंह के परिवार को दस लाख रूपये का मुआवज़ा देने की बात कही है। घायलों के लिए भी मुआवज़े की मांग मान ली गई है। इसके अलावा इस बात पर भी सहमती बनी है कि किसी भी किसान पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। इन सभी आश्वासनों के बाद प्रीतम सिंह का परिवार पोस्टमार्टम कराने के लिए तो राज़ी हो गया लेकिन परिवार समेत किसान यूनियन ने साफ़ कहा कि "जब तक सभी किसानों को रिहा नहीं किया जाता तब तक शहीद किसान का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा।"

इस झड़प में अपनी जान गंवाने वाले किसान के परिवार ने साफ़तौर पर कहा कि वे किसान यूनियन के साथ हैं और जो भी फ़ैसला यूनियन लेगी वे उसका समर्थन करेंगे। आपको बता दें, लोंगोवाल में अभी भी किसानों ने थाने के बाहर अपना धरना लगाया हुआ है।

हरियाणा के किसान संगठनों ने भी पंजाब के किसानों का समर्थन किया। हिरासत में लिए गए हरियाणा के किसान नेताओं को पुलिस की तरफ़ से मंगलवार देर रात ही रिहा कर दिया गया था। आज 24 अगस्त को हरियाणा सरकार ने बातचीत के लिए किसानों को बुलाया था जिसमें हरियाणा के पांच किसान संगठन शामिल हुए।

चंडीगढ़ की मीटिंग में शामिल भारतीय किसान यूनियन (भगत सिंह) के अध्यक्ष अमरजीत सिंह मोहरी ने कहा, “आज हरियाणा प्रशासन के साथ कई मुद्दों पर हमारी चर्चा हुई। केंद्र सरकार के साथ 4 सितंबर को हमारी मीटिंग तय हुई है। बांध से लेकर बाढ़ग्रस्त इलाक़ों में उचित प्रबंधन को लेकर भी हमारी सहमती बनी है।”

गौरतलब है कि पिछले दिनों आई बाढ़ से उत्तर भारत में किसानों को फसल और जान-माल का ख़ासा नुक़सान हुआ था। उत्तर भारत के अलग-अलग राज्यों में बाढ़ से किसानों की करोड़ों एकड़ की फसल बर्बाद हो गई, हज़ारों पशुओं की मृत्यु हो गई। इस नुक़सान के उचित मुआवज़े की मांग को लेकर उत्तर भारत के 16 किसान संगठनों ने 22 अगस्त को चंडीगढ़ कूच का आह्वान किया था। ये किसान केंद्र सरकार से बाढ़ पीड़ित किसानों के लिए एक राहत पैकेज की मांग कर रहे थे। आंदोलन को रोकने के लिए पुलिस प्रशासन ने भारी बल प्रयोग किया। झड़प में एक किसान की मौत हो गई थी और एक नौजवान किसान की टांग कट गई जबकि बड़ी संख्या में किसानों को चोटें आई थी। पुलिसवालों के भी घायल होने की ख़बरें आई थीं। इसके अलावा सैकड़ों किसानों को दोनों ही राज्यों, पंजाब व हरियाणा, में हिरासत में लिया गया है।

पुलिस प्रशासन के इस रवैये से नाराज़ संयुक्त किसान मोर्चा के किसान संगठन भी इस आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं। जबकि पंजाब के भारतीय किसान यूनियन(एकता-उग्रहां) ने चंडीगढ़ में विरोध प्रदर्शन करने के दौरान किसानों पर "लाठीचार्ज, गिरफ़्तारी और छापेमारी जैसी" पुलिस कार्रवाई की कड़ी निंदा की है। इस संबंध में एक संयुक्त प्रेस बयान जारी करते हुए संगठन के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उग्रहां और महासचिव सुखदेव सिंह कोकरी कलां ने भगवंत मान सरकार और पुलिस अधिकारियों पर दमन का आरोप लगाया। उन्होंने मांग की कि "शहीद किसानों के वारिसों को उचित मुआवज़ा व नौकरी दी जाए और सभी गिरफ़्तार किसानों को जल्द रिहा किया जाए। किसानों को शांतिपूर्ण संघर्ष का लोकतांत्रिक अधिकार बहाल हो।"

इस मामले को लेकर संगरूर में भी विरोध प्रदर्शन किया गया। जबकि हरियाणा के किसान अंबाला की अनाज मंडी में धरने पर बैठे हैं, उनका कहना है कि "वे सरकार से बातचीत का इंतज़ार कर रहे हैं अगर सरकार ने बात नहीं मानी तो वे बड़े आंदोलन के लिए तैयार रहेंगे।"

उत्तर भारत के 16 किसान संगठनों की मुख्य मांगें इस प्रकार हैं:

* किसान संगठनों की मांग है कि केंद्र सरकार सभी किसानों और मज़दूरों के लिए राहत पैकेज जारी करे ताकि किसान अपनी फसल बिजाई कर सकें, नदियों के बांधों को चौड़ा और मजबूत किया जाए, हाई कोर्ट के ऑर्डर के मुताबिक़ हरियाणा और पंजाब सरकार घग्गर नदी के बांध का काम जल्द से जल्द शुरू करे।

* राज्य सरकारें किसानों की ख़राब हुई ट्यूबवेल का पूरा खर्चा दें और गरीब मज़दूर के घरों की मरम्मत के लिए 500000 राहत राशि जारी करें। इसके अलावा बाढ़ से मरने वालों पशुओं के लिए 1 लाख रुपये मुआवज़ा दिया जाए। जिन किसानों के खेत नदियों के बहाव में बह गए हैं उनके लिए अलग से राहत पैकेज दिया जाए।

* किसानों को 50,000 रूपये प्रति एकड़ मुआवज़ा दिया जाए, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सभी किसान-मज़दूरों के घरों के बिजली बिल माफ़ किए जाएं। साथ ही मज़दूरों के लिए मनरेगा में काम जल्द से जल्द शुरू किया जाए ताकि उन्हें रोज़गार मिल सके।

* जिन कुप्रबंधनों के कारण पहाड़ों का कटाव हुआ, जंगल कट गए, सड़क मार्ग, नदियों के पुल आदि में जो खामियां पाई गईं हैं उसकी उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और दोषियों को सज़ा दी जाए।

* बाढ़ के कारण जान गंवाने वालों के परिवारों को 10 लाख रूपये का मुआवज़ा दिया जाए व सभी फसलों की एमएसपी C2+50 के तहत दी जाए।

* पंजाब के लोगोंवाल में झड़प के दौरान शहीद हुए किसान प्रीतम सिंह को 10 लाख का मुआवज़ा दिया जाए, सारा कर्ज माफ़ किया जाए व परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाए। इसके अलावा किसान आंदोलन के दौरान चंडीगढ़ में दर्ज सभी केसों को रद्द किया जाए।

* नौजवान किसान रविंदर सिंह जिनका प्रदर्शन के दौरान पैर कट गया, उसके लिए कृत्रिम टांग लगवाने समेत हॉस्पिटल का सारा खर्चा दिया जाए। साथ ही मुआवज़ा और नौकरी दी जाए।

* इस दौरान जितने भी पत्रकारों और किसानों के सोशल मीडिया पेज, आईडी और चैनल बंद किए गए हैं उन सबको तुरंत पहले की स्थिति में लाया जाए। इसके अलावा जितने भी किसानों पर मुकदमें दर्ज किए गए है उन्हें तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाए।

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest