मोदी का दावा ग़लत, नहीं बनी हर सप्ताह एक नई यूनिवर्सिटी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान, भारत में शिक्षण संस्थानों के बारे में कई विवादास्पद दावे किए। उन्होंने 24 जून 2023 को वाशिंगटन में कैनेडी सेंटर में बोलते हुए कहा कि आज भारत में हर साल एक नई IIT और एक नया IIM बन रहा है। हर सप्ताह एक नई यूनिवर्सिटी बन रही है। हर दो दिन में एक नया कॉलेज बन रहा है। हर दिन एक नई आईटीआई की स्थापना हो रही है।
इसी संदर्भ में कांग्रेस ने 27 जुलाई को एक ट्वीट किया जिसमें लिखा कि प्रधानमंत्री इतना झूठ क्यों बोलते हैं। राज्यसभा में सरकार ने एक सवाल के जवाब में बताया है कि पिछले पांच साल में एक भी नया IIM और IIT नहीं बनी है। बीच बहस में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी ताल ठोंक दी। उन्होंने कांग्रेस के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए आंकड़े दिए कि देश में वर्ष 2014 में कितने उच्च शिक्षण संस्थान थे और वर्ष 2023 में कितने हैं। उन्होंने ट्वीट में लिखा कि वर्ष 2014 में देश में 16 आईआईटी थी और वर्ष 2023 में 23 हैं। वर्ष 2014 में देश में आईआईएम की संख्या 13 थी और वर्ष 2023 में 20 है। वर्ष 2014 में देश में आईआईआईटी की संख्या 9 थी और 2023 में 25 है।
कुल मिलाकर कह सकते हैं कि देश में उच्च शिक्षण संस्थानों की संख्या को लेकर प्रधानमंत्री, कांग्रेस और शिक्षा मंत्री के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला चल रहा है। अब सवाल ये उठता है कि आखिर सच्चाई क्या है? देश में कुल कितने उच्चतर शिक्षण संस्थान हैं? क्या प्रधानमंत्री के दावे सही हैं? क्या सचमुच भाजपा कार्यकाल में हर सप्ताह एक यूनिवर्सिटी और हर साल एक आईआईटी व आईआईएम की स्थापना हुई है? आइये, पड़ताल करते हैं।
क्या देश में हर साल एक नई IIT और IIM बन रहा है?
उच्चतर शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार भारत में फिल्हाल 23 आईआईटी हैं। जिनमें से मात्र 6 आईआईटी वर्ष 2014 के बाद बनी हैं। वर्ष 2014 तक देश में आईआईटी की संख्या 17 थी। उच्चतर शिक्षा विभाग की वेबसाइट के अनुसार वर्ष 2016 के बाद से देश में एक भी नई आईआईटी का निर्माण नहीं हुआ है।
उच्चतर शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार फिलहाल देश में कुल 20 IIM हैं। जिनमें से 7 IIM का निर्माण वर्ष 2014 के बाद हुआ है, यानी वर्ष 2014 से पहले देश में 13 IIM थे। भाजपा कार्यकाल में नये बने इन 7 आईआईएम का निर्माण भी वर्ष 2014 और 2016 के बीच हुआ है। वर्ष 2016 के बाद से देश में एक भी नये IIM का निर्माण नहीं हुआ है।
प्रधानमंत्री विदेश की धरती पर दावा कर रहे हैं कि हर साल एक आईआईटी और एक आईआईएम का निर्माण हुआ है। अगर उनकी मानें तो इस प्रकार 2014 के बाद बने आईआईटी और आईआईएम की संख्या नौ-नौ होनी चाहिए थी। जबकि ऐसा नहीं है। 2014 के बाद बनें आईआईटी की संख्या 6 और आईआईएम की संख्या 7 हैं। यानी देश में भाजपा के कार्यकाल में हर साल एक नया आईआईटी और आईआईएम नहीं बना है।
राज्यसभा में मानसून सत्र के दौरान शिक्षा राज्यमंत्री सुभाष सरकार ने 26 जुलाई 2023 को राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में लिखित तौर पर बताया है कि पिछले पांच सालों में देश में एक भी नया आईआईटी और आईआईएम नहीं बना है।
क्या देश में हर सप्ताह एक नई यूनिवर्सिटी खुल रही है?
प्रधानमंत्री का दावा है कि देश में हर सप्ताह एक नई यूनिवर्सिटी खुल रही है। जबकि सरकारी आंकड़े कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं। उच्चतर शिक्षा विभाग की वेबसाइट के अनुसार फिलहाल देश में कुल 1194 विश्वविद्यालय हैं। हालांकि यूजीसी का आंकड़ा इससे मेल नहीं खाता है, क्योंकि यूजीसी के अनुसार देश में कुल 1074 विश्वविद्यालय हैं। यूजीसी का ये आंकड़ा 25 जनवरी 2023 तक का है। क्योंकि उच्चतर शिक्षा विभाग ने IIIT को भी विश्वविद्यालयों की श्रेणी में ही गिन लिया है, इसलिए आंकड़ा ज्यादा दिखा रहा है। खैर! हम उच्चतर शिक्षा विभाग के आंकड़े को ही आधार बनाते हैं।
उच्चतर शिक्षा विभाग की वेबसाइट के अनुसार देश में कुल 1194 विश्वविद्यालय हैं जिनमें से 306 विश्वविद्यालयों का निर्माण वर्ष 2014 के बाद किया गया है यानी भाजपा कार्यकाल में। इन 306 विश्वविद्यालयों में से मात्र 135 विश्वविद्यालय ही सरकारी हैं। अगर प्रधानमंत्री सच बोल रहे हैं कि हर सप्ताह एक विश्वविद्यालय का निर्माण किया गया है, तो अब तक नौ सालों में कुल 468 विश्वविद्यालयों का निर्माण होना चाहिए था। जबकि उच्चतर शिक्षा विभाग के आंकड़ें बता रहे हैं कि मात्र 135 सरकारी विश्वविद्यालयों का ही निर्माण हुआ है। वर्ष 2021 के बाद से एक भी विश्वविद्यालय का निर्माण नहीं किया गया है। आंकड़े स्पष्ट कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री का दावा गलत है, देश में हर सप्ताह एक नया विश्वविद्यालय नहीं बना है।
शिक्षा का विस्तार हुआ है या प्राइवेटाइजेशन?
उच्च शिक्षण संस्थानों की संख्या को लेकर किए जा रहे दावों की पड़ताल तो होनी ही चाहिए साथ ही इस बात की भी जांच-परख होनी चाहिए कि भाजपा के शासनकाल में शिक्षा का विस्तार हुआ है या निजीकरण हुआ है?
गौरतलब है कि देश में कुल 1194 विश्वविद्यालय हैं जिनमें से 493 यानी 41% विश्वविद्यालय प्राइवेट हैं। भाजपा के शासनकाल में प्राइवेट विश्वविद्यालयों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। भाजपा शासन काल में वर्ष 2014 से लेकर वर्ष 2021 तक कुल 306 विश्वविद्यालयों का निर्माण किया गया है। जिनमें से 171 यानी 55% प्राइवेट विश्वविद्यालय हैं।
कॉलेजों और आईटीआई की भी ऐसी ही स्थिति है। उच्चतर शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार देश में कुल 49,083 कॉलेज हैं। जिनमें से 38,120 यानी 77% कॉलेज प्राइवेट (ऐडेड और अन-ऐडेड) हैं। कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय, भारत सरकार के अनुसार देश में कुल 14,938 आईटीआई हैं जिनमें से 11,685 यानी 78% प्राइवेट हैं।
तमाम सरकारी आंकड़े बता रहे हैं कि उच्च शिक्षण संस्थानों के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दावे गलत हैं। आंकड़े गवाही दे रहे हैं कि भाजपा कार्यकाल उच्च शिक्षा के विस्तार का नहीं बल्कि निजीकरण का दौर रहा है। शायद प्रधानमंत्री प्राइवेट शिक्षण संस्थानों को भी सरकार के काम के तौर पर गिन रहे हैं और शिक्षा के निजीकरण को एक उपलब्धि की तरह पेश कर रहे हैं।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। आप सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते हैं।)
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