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हिरासत में लिए गए रोहिंग्याओं को निर्धारित प्रक्रिया के बिना म्यांमा प्रत्यर्पित नहीं किया जायेगा:सुप्रीम कोर्ट

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने उस याचिका पर यह आदेश पारित किया जिसमें जम्मू में हिरासत में लिए गए रोहिंग्या शरणार्थियों को तुरंत रिहा करने और उन्हें म्यांमा प्रत्यर्पित करने से रोकने के लिए केंद्र को निर्देश देने के लिए अनुरोध किया गया था।
  हिरासत में लिए गए रोहिंग्याओं को निर्धारित प्रक्रिया के बिना म्यांमा प्रत्यर्पित नहीं किया जायेगा:सुप्रीम कोर्ट

नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्टने बृहस्पतिवार को कहा कि जम्मू में हिरासत में लिए गए रोहिंग्याओं को निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना म्यांमा प्रत्यर्पित नहीं किया जायेगा।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने उस याचिका पर यह आदेश पारित किया जिसमें जम्मू में हिरासत में लिए गए रोहिंग्या शरणार्थियों को तुरंत रिहा करने और उन्हें म्यांमा प्रत्यर्पित करने से रोकने के लिए केंद्र को निर्देश देने के लिए अनुरोध किया गया था।

केंद्र ने इससे पहले याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि भारत अवैध प्रवासियों की ‘‘राजधानी’’ नहीं बन सकता।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि रोहिंग्या बच्चों की हत्याएं कर दी जाती है और उन्हें यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है तथा म्यांमा की सेना अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों का पालन करने में नाकाम रही है।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन की पीठ लंबित मामले में रोहिंग्या शरणार्थी मोहम्मद सलीमुल्ला द्वारा दाखिल अंतरिम अर्जी पर अपना आदेश दिया। 

उच्चतम न्यायालय ने 26 मार्च को अर्जी पर सुनवाई पूरी कर ली थी।

केंद्र ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि भारत अवैध प्रवासियों की राजधानी नहीं बन सकता।

इससे बुधवार को सुनवाई के दौरन केंद्र ने दलील दी थी कि वे (रोहिंग्या) शरणार्थी नहीं है। शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता द्वारा दाखिल एक याचिका पूर्व में खारिज कर दी थी।

इसके जबाब में भूषण ने आरोप लगाया था कि जम्मू कश्मीर प्रशासन ने जम्मू में रोहिंग्या लोगों को हिरासत में लिया और जल्द ही उन्हें वापस भेज दिया जाएगा।

न्यायालय में लंबित जनहित याचिका में 11 मार्च को एक अंतरिम अर्जी दाखिल कर जम्मू में हिरासत में लिए गए रोहिंग्या शरणार्थियों को रिहा करने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया।
आपको बता दे अभी वर्तमान में भी म्यांमार जल रहा है। एक फरवरी को आंग सान सूकी की चुनी हुई सरकार का तख्ता पलट करने के बाद से प्रदर्शन हो रहे हैं और लोग मारे जा रहे हैं।

हताहतों एवं गिरफ्तारियों पर नज़र रखने वाली संस्था असिस्टेंस एसोसिएशन फॉर पॉलिटिकल प्रीजनर्स (एएपीपी) के मुताबिक म्यांमार में अबतक 564 प्रदर्शनकारियों की मौत हो चुकी है।

ऐसे में इन शरणार्थियों को वापस भेजने की चर्चा हो रही है जिसको लेकर सभी डरे हुए हैं और कह रहे हैं,"इससे बेहतर होगा भारत सरकार हम सबको इकठ्ठा करके किसी समंदर में फेंक दे या एक साथ सभी को गोली से भुनवा दे।"

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