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कृषि के लिए आवंटित राशि 'लौटाने' को लेकर SKM ने की केंद्र सरकार की आलोचना

“नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले दस वर्षों में बड़े कॉरपोरेट घरानों का 14.56 लाख करोड़ रुपये बक़ाया माफ़ कर दिया है लेकिन किसानों का एक भी रुपया क़र्ज़ माफ़ नहीं किया गया।”
SKM

नयी दिल्ली: संयुक्त किसान मोर्चा ने कृषि मंत्रालय को आवंटित धन वापस लौटाने को लेकर केंद्र सरकार पर किसानों के साथ धोखा करने का आरोप लगाया है।

किसान संगठन ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि वर्ष 2014-2022 में एक लाख से अधिक किसानों ने आत्महत्या की। मोर्चा ने किसानों से सत्तारूढ़ भाजपा को ‘दंडित’ करने का आह्वान किया।
विभिन्न किसान संगठनों का प्रमुख निकाय और वर्ष 2020-21 के किसानों के विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाला एसकेएम ने बयान में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की एक रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसका शीर्षक था ‘वर्ष 2022-23 के लेखा पर एक नजर।’ इससे पता चला कि सरकार ने 2018-19 से पिछले पांच वर्षों के दौरान मंत्रालय के लिए आवंटित राशि में 1,05,543.71 करोड़ रुपये वापस लौटा दिए हैं।

एसकेएम ने कहा, ‘‘भाजपा ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में किसानों को कर्ज से मुक्ति का वादा किया था। नरेन्द्र मोदी सरकार ने पिछले दस वर्षों में बड़े कॉरपोरेट घरानों का 14.56 लाख करोड़ रुपये बकाया माफ कर दिया है। लेकिन किसानों का एक भी रुपया कर्ज माफ नहीं किया गया।’’

बयान के अनुसार, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2014-2022 के बीच प्रधानमंत्री मोदी के शासनकाल में 1,00,474 किसानों ने आत्महत्या की है।

संगठन ने कहा, ‘‘अगर मोदी सरकार ने किसानों के लिए लौटाये गये धन का उपयोग किया होता, तो कई लोगों की जान बचाई जा सकती थी।’’

किसान लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने को लेकर मूल्य समर्थन, कृषि बुनियादी ढांचे के विकास, सिंचाई के विस्तार तथा अनुसंधान एवं विस्तार के लिए आवंटन में वृद्धि की भी मांग कर रहे हैं।’’

बयान में कहा गया है, ‘‘एसकेएम, भारत के किसानों के हितों के साथ विश्वासघात के ऐसे आपराधिक कृत्य की कड़ी निंदा करता है। एसकेएम संकटग्रस्त किसानों के प्रति भाजपा-आरएसएस के नेतृत्व वाली सरकार की असंवेदनशीलता की आलोचना करता है और इसके पीछे असली मंशा कृषि को कॉरपोरेट को सौंपना है।’’

संगठन ने कहा, ‘‘एसकेएम ने केंद्र सरकार की किसान विरोधी नीतियों का कड़ा विरोध किया और लोगों से कॉरपोरेट लूट को समाप्त करने, कृषि को बचाने के लिए संघर्ष का समर्थन करने की अपील की। किसानों से आह्वान किया कि वे कृषकों और वृहद स्तर पर आम लोगों के हितों की रक्षा के लिए भाजपा को दंडित करें।’’

कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2018-19 में कृषि मंत्रालय के लिए कुल आवंटन 54,000 करोड़ रुपये था, जिसमें से 21,043.75 करोड़ रुपये वापस कर दिए गए। बाद के वर्षों में, मंत्रालय द्वारा 34,517.7 करोड़ रुपये (वित्त वर्ष 2019-20), 23,824.53 करोड़ रुपये (वित्त वर्ष 2020-21), 5,152.6 करोड़ रुपये (वित्त वर्ष 2021-22) और 21,005.13 करोड़ रुपये (वित्त वर्ष 2022-23) वापस लौटा दिये गए।

एसकेएम ने कहा कि कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण पर स्थायी समिति ने यह भी बताया है कि धन लौटाने का पूर्वोत्तर राज्यों, अनुसूचित जाति उप योजना और अनुसूचित जनजाति उप योजना पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

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