Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

उच्चतम न्यायालय आरे कॉलोनी में पेड़ों की कटाई के ख़िलाफ़ याचिका की सुनवाई को राज़ी 

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायण द्वारा मामले का उल्लेख किए जाने के बाद याचिका पर सुनवाई करने के लिए राजी हो गयी। 
SC

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय मेट्रो कार शेड के लिए मुंबई की आरे कॉलोनी में पेड़ों की कटाई को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने के लिए बृहस्पतिवार को राजी हो गया।
     
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायण द्वारा मामले का उल्लेख किए जाने के बाद याचिका पर सुनवाई करने के लिए राजी हो गयी। 
     
शंकरनारायण ने कहा कि पहले के स्थगनादेश के बावजूद रात भर पेड़ों की कटाई चल रही है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास तस्वीरें हैं। प्रधान न्यायाधीश ने कहा है कि यह पीठ इस मामले पर सुनवाई करेगी। क्या हम इसे कल के लिए सूचीबद्ध कर सकते हैं?’’


उन्होंने कहा कि सप्ताहांत को जेसीबी काम करेगी, इसलिए मामले पर तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है।
     
उच्चतम न्यायालय ने आरे कॉलोनी में पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने की मांग करते हुए कानून के छात्र ऋषभ रंजन द्वारा भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) को लिखे पत्र पर 2019 में स्वत: संज्ञान लिया था।


न्यायालय ने प्राधिकारियों को आरे कॉलोनी में और पेड़ काटने से रोक दिया था। महाराष्ट्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि और पेड़ नहीं काटे जाएंगे। 
     
पर्यावरण कार्यकर्ता और स्थानीय निवासी कॉलोनी में पेड़ काटे जाने का विरोध कर रहे हैं।

संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान से सटे 1,287 हेक्टेयर में फैली आरे कॉलोनी को मुंबई के प्रमुख हरित फेफड़े (green lung) के रूप में जाना जाता है। साल 2019 में भाजपा-शिवसेना सरकार अपनी चल रही मेट्रो परियोजना के लिए इस वन-भूखंड पर एक शेड का निर्माण करना चाह रही थी।

उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली पिछली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार ने पर्यावरण संरक्षण के आधार पर प्रस्तावित इस कार शेड को आरे कॉलोनी से कांजुरमार्ग में स्थानांतरित कर दिया था लेकिन यह मुद्दा कानूनी विवाद में उलझ गया। बता दें कि ठाकरे सरकार ने भी आरे को संरक्षित वन घोषित किया था।

पर्यावरण से जुड़े कार्यकर्ताओं के अनुसार, जंगल न केवल शहर के लोगों को ताजी हवा देती है बल्कि यह कुछ स्थानीय प्रजातियों सहित वन्यजीवों का एक घर भी है। वे कहते हैं कि जंगल में लगभग पांच लाख पेड़ हैं और इसमें कुछ नदियां और कुछ झीलें भी बहती हैं।

फ़ोटो साभार : ट्विटर 

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest