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ट्रांसजेंडर कैदियों के साथ अन्य लोगों के समान व्यवहार होना चाहिए: शीर्ष अदालत की जेल सुधार समिति

समिति ने सिफारिश की है कि राज्य सरकारों और कारावास विभागों को ट्रांसजेंडर कैदियों के खिलाफ हिंसा, भेदभाव और उन्हें अन्य नुकसान के सभी तरीकों को समाप्त करने के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए।
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फ़ोटो : PTI

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय की जेल सुधार समिति ने कहा है कि ट्रांसजेंडर कैदियों के साथ अन्य श्रेणियों के कैदियों के समान व्यवहार किया जाना चाहिए और उन्हें समान अधिकार एवं सुविधाएं मिलनी चाहिए।

शीर्ष अदालत में दाखिल रिपोर्टों के अपने अंतिम सारांश में, शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अमिताव रॉय की अध्यक्षता वाली समिति ने सिफारिश की है कि सभी स्तरों पर जेल कर्मचारियों और सुधारात्मक प्रशासन, विशेष रूप से सुरक्षा कर्मियों को पर्याप्त और नियमित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए, ताकि उन्हें ट्रांसजेंडर कैदियों के साथ उचित तरीके से बातचीत करने में सक्षम बनाया जा सके।

इसमें कहा गया है कि ट्रांसजेंडर कैदियों के खिलाफ दुर्व्यवहार, उत्पीड़न या हिंसा की घटनाओं पर अंकुश लगाया जाना चाहिए और इसे अकादमिक और नागरिक संगठन के व्यक्तियों के साथ कार्यशालाओं और प्रशिक्षण सत्रों की एक शृंखला के माध्यम से हासिल किया जा सकता है।

समिति ने सिफारिश की है कि राज्य सरकारों और कारावास विभागों को ट्रांसजेंडर कैदियों के खिलाफ हिंसा, भेदभाव और उन्हें अन्य नुकसान के सभी तरीकों को समाप्त करने के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए।

शीर्ष अदालत ने जेल सुधारों से जुड़े मुद्दों पर सिफारिश के लिए सितंबर, 2018 में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रॉय के नेतृत्व में तीन सदस्यीय समिति बनाई थी।

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