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कार्टूनिस्ट रचिता तनेजा के ख़िलाफ़ अवमानना की कार्यवाही को मंजूरी क्यों मिली?

रचिता तनेजा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कागज़ और कलम से तमाम सामाजिक मुद्दों पर व्यंग्यात्मक अभिव्यक्तियां उकेरती रही हैं। इससे पहले भी वे अपने कॉमिक को लेकर विवादों में रही हैं लेकिन अब अर्नब गोस्वामी और सुप्रीम कोर्ट से जुड़े मामले में उनके ख़िलाफ़ अवमानना की कार्यवाही होगी।
रचिता तनेजा

अर्णब गोस्वामी की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई को लेकर किए गए ट्वीट के मामले में कॉमेडियन कुणाल कामरा के बाद अब कार्टूनिस्ट रचिता तनेजा के खिलाफ भी अवमानना की कार्यवाही शुरू होगी। भारत के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने रचिता के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही शुरू करने को मंजूरी दे दी है।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक सैनिटरी पैनल्स नाम के एक वेब कॉमिक्स में प्रकाशित कार्टून को लेकर वेणुगोपाल ने कार्टूनिस्ट तनेजा के खिलाफ अवमानना कार्यवाही के लिए कानून के छात्र आदित्य कश्यप के अनुरोधों पर सहमति दी है।

आपको बता दें कि लगभग एक महीने से भी कम समय के भीतर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अर्नब गोस्वामी और सुप्रीम कोर्ट से जुड़े इन दो मामलों में अवमानना का अनुरोध स्वीकार किया है।

क्या है पूरा मामला?

रचिता तनेजा एक कार्टूनिस्ट आर्टिस्ट हैं। सोशल मीडिया पर 2014 से फेमिनिस्ट वेब कॉमिक ‘सैनिटरी पैनल्स’ चलाती हैं। सैनिटरी पैनल्स सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम पर मौजूद है। ट्विटर पर इसके 14,400 फॉलोवर हैं और ये प्लेटफार्म नियमित रूप से सरकार, आधिकारिक भ्रष्टाचार और मिसोजिनी (स्त्रियों से द्वेष) की आलोचना करता रहता है। इसमें मेंटल हेल्थ से लेकर तमाम सामाजिक मुद्दों पर व्यंग्यात्मक अभिव्यक्तियां बयां की जाती हैं।

इसी ट्विटर हैंडल से 12 नवंबर को एक कैरिकेचर पोस्ट किया गया था। इस कैरिकेचर में तीन कैरेक्टर थे। इसमें एक कैरेक्टर के चेहरे पर BJP लिखा हुआ था, वहीं दूसरे पर सुप्रीम कोर्ट। इन दोनों कैरेक्टर के बीच, एक छोटा कैरेक्टर जिसे अर्णब गोस्वामी माना जा सकता है, उसके हाथ में एक माइक आईडी है, जिसपर ‘R’ लिखा है। इस कार्टून के बीच में खड़े अर्णब गोस्वामी का कैरेक्टर भाजपा की ओर इशारा करते हुए सुप्रीम कोर्ट से कहता नजर आ रहा है कि ‘तू जानता नहीं मेरा बाप कौन है?’ यह ट्वीट उसी दिन किया गया था जिस दिन अटॉर्नी जनरल ने कामरा के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की मंजूरी दी थी।

“तू जानता नहीं मेरा बाप कौन है”

इस ट्वीट को लेकर वेणुगोपाल ने कहा कि पोस्ट से ऐसा प्रतीत होता है कि बीजेपी का गोस्वामी की रक्षा करने में इंट्रेस्ट है, और वो किसी भी तरह सुप्रीम कोर्ट से यह सुनिश्चित करने में कामयाब रहे हैं।

अटॉर्नी जनरल ने कहा, “अगर अर्णब गोस्वामी को सुप्रीम कोर्ट और बीजेपी के साथ दिखा रहे ट्वीट, और उसमें अर्णब गोस्वामी का ये शब्द कहना- “तू जानता नहीं मेरा बाप कौन है” पर यकीन किया जाए, तो इस आधार पर आगे बढ़ा जाएगा कि बीजेपी किसी तरह से अर्णब गोस्वामी की रक्षा करने में इंट्रेस्टेड है और सुप्रीम कोर्ट में ऐसा करने के लिए कामयाब रही है।”

“अर्णब गेट्स बेल, रियल जर्नलिस्ट्स गेट जेल, इंडिपेंडेंट ज्यूडिशियरी इज फेल”

एक अन्य ट्वीट में 11 नवंबर को तनेजा ने एक फोटो शेयर की थी जो सुप्रीम कोर्ट जैसा प्रतीत हो रहा था, लेकिन उसके शीर्ष पर भगवा झंडा था। फोटो के ऊपर लिखा था, “संघी कोर्ट ऑफ इंडिया।”

इस फोटो के साथ कैप्शन में लिखा था, “अर्णब को बेल, असली पत्रकारों को जेल, स्वतंत्र न्यायपालिका फेल।”

इस ट्वीट के संबंध में अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने कहा, “अर्णब गेट्स बेल, रियल जर्नलिस्ट्स गेट जेल, इंडिपेंडेंट ज्यूडिशियरी इज फेल नारे के साथ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का उल्लेख देश के सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ घोर आपत्तिजनक है और दर्शाता है कि भारत का सर्वोच्च न्यायालय देश का एक निष्पक्ष अंग नहीं रह गया है।”

अटॉर्नी जनरल के अनुसार ये ट्वीट साफ तौर पर जनता की नजर में सुप्रीम कोर्ट की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को कम करके दिखाता है। हालांकि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की निष्पक्षता पर न केवल ट्विटर यूजर्स ने बल्कि दिल्ली और मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस एपी शाह जैसे रिटायर्ड जजों ने भी सवाल उठाया है।

बार एंड बेंच के अनुसार, अपने पत्र में कानून के छात्र आदित्य कश्यप ने सैनिटरी पैनल्स के एक और ट्वीट का जिक्र किया था, जिसमें अयोध्या जमीन विवाद का फैसला देने में न्यायपालिका (विशेष तौर पर रिटायर्ड चीफ जस्टिस रंजन गोगोई) और केंद्र सरकार के बीच लेन-देन को दर्शाता है।

बता दें कि 7 अगस्त को, एक और ट्वीट में तनेजा ने एक कैरिकेचर पोस्ट किया था, जिसमें दो शख्स दिखाई दे रहे थे, एक शख्स ने एक डॉक्यूमेंट पकड़ा हुआ था, जिसपर लिखा था- ‘अयोध्या फैसला - CJI गोगोई’, शख्स कह रहा था- “आपके साथ बिजनेस कर के अच्छा लगा!” दूसरा किरदार एक कुर्सी पकड़े दिखा रहा था, जिसपर ‘राज्यसभा सीट’ लिखा था।

गौरतलब है कि रचिता तनेजा इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन की भी सह-संस्थापक रही हैं। ये फाउंडेशन नेट न्यूट्रेलिटी, प्राइवेसी और बोलने की आजादी जैसे मुद्दों की पैरवी करता है। इससे पहले भी रचिता अपने कॉमिक को लेकर विवादों में रही हैं। 2018 में तनेजा ने सैनिटरी पैनल पर ही एक कॉमिक में फेसबुक की आलोचना की गई थी। तब फेसबुक ने ये कॉमिक अपने प्लेटफॉर्म से हटा लिया था।

"कोई वकील नहीं, कोई माफी नहीं, कोई जुर्माना नहीं, समय की बर्बादी नहीं”

मालूम हो कि हाल ही में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा के खिलाफ भी अवमानना की कार्यवाही की सहमति दी थी। ये मामला आत्महत्या के लिए उकसाने के संबंध में गिरफ्तार किए गए रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी की याचिका पर कथित तौर पर तुरंत सुनवाई कर जमानत देने को लेकर कुछ ट्वीट के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट का मजाक उड़ाने के जुड़ा था। कामरा ने अर्णब को जमानत दिए जाने पर कथित तौर पर सुप्रीम कोर्ट की आलोचना भी की थी।

इस दौरान केके वेणुगोपाल ने कहा था, “आज लोग साहसपूर्वक और बेशर्मी से सर्वोच्च न्यायालय और उसके न्यायाधीशों की निंदा करते हैं, जो वे मानते हैं कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। समय आ गया है कि लोग अन्यायपूर्ण तरीके से सर्वोच्च न्यायालय पर हमला करने को समझें और सजा भुगतने के लिए तैयार रहें।”

इसके बाद कुणाल कामरा ने सुप्रीम कोर्ट के जजों और अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल के नाम सोशल मीडिया पर एक खुला खत लिखकर अपने गुस्से का इजहार किया था।

कामरा ने अपने ट्वीट में लिखा था, "कोई वकील नहीं, कोई माफी नहीं, कोई जुर्माना नहीं, समय की बर्बादी नहीं। मैं अपने ट्वीट को वापस लेने या उसके लिए माफी माँगने का इरादा नहीं रखता। मेरा मानना है कि वे अपनों के लिए बोलते हैं।"

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