बांदीपोरा रेप केस : "सामाजिक ताने बाने और संस्कृति पर काला धब्बा"
"अगर उसे फाँसी होगी, तब जा कर हम मुतमईन (संतुष्ट) होंगे।"
यह कहना है तीन साल की बच्ची के पिता का। वह बच्ची जिसे 8 मई को कश्मीर के बांदीपोरा ज़िले के संबल क्षेत्र में अगवा कर बलात्कार किया गया।
बच्ची के पिता के मुताबिक़ उन्हें घटना की ख़बर इफ़्तार के दौरान मिली। उन्होंने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए सारी घटना को बयां किया, "इफ़्तार के वक़्त जब हम रोज़ा खोलने की तैयारी कर रहे थे, मैंने अपनी पत्नी से हमारी बच्ची के बारे में पूछा। उन्होंने कहा कि वो बाहर होगी। मैं बाहर गया लेकिन वो वहाँ नहीं थी, जिसके बाद मैंने और मेरी पत्नी ने सारे गाँव में उसे तलाश किया। उसी दौरान एक आदमी ने बताया कि उसे पास के मिडिल स्कूल से रोने की आवाज़ें आ रही हैं, और हमें वहाँ देखना चाहिए। हम जल्दी से मिडिल स्कूल की तरफ़ भागे और रोने की आवाज़ का पीछा करते हुए टॉयलेट तक गए जहाँ हमारी बच्ची ज़मीन पर थी और उसकी पैंट उतरी हुई थी।"
बच्ची के पिता ने बताया कि वो जैसे ही घटनास्थल पर पहुँचे, आरोपी लड़का वहाँ से भागा और वो उसके पीछे भागे। उन्होंने कहा "जब हम पहुँचे, वो लड़का वहीं मौजूद था। वो हमें देख कर भागा, मैंने अपनी पत्नी से बच्ची का ख़्याल रखने को कहा और मैं उसके पीछे भागा। हमारी बच्ची दर्दनाक हालत में थी। ज़मीन पर च्वींगगम और एक शैम्पू का पैकेट पड़ा था।"
ये साफ़ है कि बच्ची को च्वींगगम का लालच दे कर फुसलाया गया, फिर उसका अपहरण किया गया और फिर बलात्कार। परिवार ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि वो उस लड़के के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई चाहते हैं।
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने लड़के को गिरफ़्तार कर लिया है जो उसी इलाक़े का है।
इस दर्दनाक हादसे के बाद घाटी में व्यापक तौर पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं और प्रदर्शनकारी दोषी के लिए कड़ी से कड़ी सज़ा की मांग कर रहे हैं। श्रीनगर की एक महिला प्रदर्शनकारी शबनम ने कहा, "एक दानव ने एक परी पर हमला किया है। ऐसी ही घटना कल मेरे साथ हो सकती है। हमारी अंतरात्मा कब जागेगी? ये कश्मीर की हर औरत की जंग है। हम अपनी सरकार से मांग करते हैं कि आरोपी को फाँसी की सज़ा दी जाए ताकि ऐसी घटनाएँ दोबारा ना हो सकें।"
प्रदर्शनकारियों को सांत्वना देते हुए डिवीज़नल कमिश्नर बशीर ख़ान ने कहा, "सबसे पहले मैं सबसे गुज़ारिश करना चाहता हूँ कि शांति क़ायम रखें। पुलिस और प्रशासन पर भरोसा रखिए। हम मामले की कार्रवाई तेज़ी से कर रहे हैं। इंसाफ़ होगा और आरोपी को कड़ी से कड़ी सज़ा दी जाएगी। गवर्नर साहब से हमें आदेश आए हैं कि कार्रवाई तेज़ी से की जाए। एसआईटी को सूचित कर दिया गया है और मामला कम से कम वक़्त में सुलझा दिया जाएगा।"
एक और प्रदर्शनकारी जिन्होंने अपनी पहचान गुप्त रखने को कहा है, ने कहा, "हम इस अमानवीय घटना के ख़िलाफ़ इंसाफ़ की मांग कर रहे हैं। ऐसी घटनाएँ सारी दुनिया में लगातार बढ़ रही हैं। दिन ब दिन हमारी चेतना मरती जा रही है। हम मांग करते हैं कि राजनेताओं को सामने आ कर इस आरोपी के ख़िलाफ़ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग करें, ताकि ऐसी घटनाएँ भविष्य में दोबारा ना हो सके।"
हुर्रियत कॉन्फ़्रेंस के चेयरमैन सय्यद अली शाह गिलानी ने ऐसी घटनाओं को "सामाजिक ताने बाने और संस्कृति पर एक काला धब्बा" बताया।
इसी दौरान, इस घटना ने एक बार फिर से बलात्कार पर होने वाली बहसों को ज़िंदा कर दिया है। मानवाधिकार कार्यकर्ता और "कुनन पोशपोरा" की सह-लेखिका ईसर बतूल ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा, "बांदीपोरा की घटना हैरान करने वाली नहीं है। हमारे यहाँ ऐसी घटनाएँ काफ़ी लंबे अरसे से होती आ रही हैं, फ़र्क़ सिर्फ़ इतना है इनको दर्ज अब किया जा रहा है। अब वक़्त है कि हमें इन मसलों पर खुल कर बात करनी होगी। महिलाओं पर ये यौन उत्पीड़न एकदम से नहीं होते, ये उस पुरुषवादी सभ्यता का परिणाम हैं जिसने महिलाओं को हमेशा से एक चीज़ की तरह देखा है।
ऐसी घटनाओं को फ़ास्ट ट्रैक अदालतों में भेजना चाहिए और जल्द से जल्द कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही हमें एक समाज के तौर पर महिलाओं से मुख़ातिब होते हुए ख़ुद में बड़े बदलाव करने की ज़रूरत है। हमें ऐसे शैक्षणिक संस्थानों की ज़रूरत है जो इस नरेटिव को मर्दों से हटा कर औरतों पर केन्द्रित कर सकें।"
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