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महंगाई: थाली से दूर हो रही सब्ज़ियां.. 100 पार पहुंचा टमाटर, फिर भी किसानों के हाथ खाली

लगातार हो रही बारिश के कारण टमाटर 100 रुपये प्रति किलो के पार पहुंच गया है, बाक़ी सब्ज़ियों के दाम भी तीन से चार गुना बढ़ गए हैं, इसके बावजूद किसानों के हाथ खाली ही हैं, क्योंकि जो इन्हें मिलना चाहिए वो बिचौलिए खा रहे हैं।
tomato

बेतहाशा गर्मी के बाद आए मानसून में लगातार हो रही बारिश ने सीधे तौर पर घरों की रसोई और खाने की थाली पर असर डाला है, क्योंकि सब्ज़ियों के दाम आसमान पर पहुंच गए हैं। टमाटर हो या तरोई, खीरा हो या प्याज़ चाहे शिमला मिर्च हो या फिर कोई और सब्ज़ी... उत्तर से पश्चिम और दक्षिण तक सभी सब्जियों के दाम अचानक चार से पांच गुना बढ़ गए, उसमें भी टमाटर के दाम तो कई शहरों में शतक मार चुके हैं, और कई शहरों में 150 रुपये किलो बिक रहे हैं।

महंगी हुई सब्ज़ी का सीधा सा कारण लगातार हो रही बारिश है। क्योंकि खेतों में लगी सब्ज़ियां ख़राब होने लगी हैं, ट्रांसपोर्ट की आवाजाही प्रभावित हुई है, तो किसानों के पास जो थोड़ा बहुत माल बचा है वो उसे ही बेच रहे हैं, और मजबूरन उन्हें ये सब कुछ महंगे दामों में बेचना पड़ रहा है।

वैसे तो सभी सब्ज़ियां महंगी हुई हैं, लेकिन इन सबमें सबसे ज़्यादा टमाटर लाल हुआ पड़ा है। बताया जा रहा है कि टमाटर की फसल को हुए नुकसान के चलते इसके उत्पादन में जो भारी गिरावट आई है, उसके चलते महीने भर में इसकी कीमत आसमान पर पहुंच गई है, दिल्ली से मध्य प्रदेश तक और यूपी से पंजाब तक मंडियों में टमाटर 70 रुपये किलो से ज्यादा, जबकि फुटकर में 100 रुपये प्रति किलो से ज़्यादा बिक का रहा है।

बारिश से पहले दिल्ली में भिंडी 30 रुपये किलो बिक रही थी, जो अब 50 रुपये हो गई है। बैंगन के दाम 40 रुपये से 50 रुपये हो गए हैं, गोभी की कीमत 50 रुपये से 80 रुपये पहुंच गई है। पत्ता गोभी के दाम डबल यानी 15 रुपये से 30 रुपये हो गए हैं। करेला 30 रुपये से 40 रुपये किलो पर आ गया है, शिमला मिर्च की कीमत में 10 रुपये का इजाफा हुआ और दाम 50 रुपये पर आ गए हैं। कचालू के दाम 30 रुपये से 80 रुपये पर आ गया हैं। मशरूम 100 रुपये से 150 रुपये पर पहुंच गए हैं, खीरा 20 रुपये से 40 रुपये पर आ गया है, ब्रोकली 60 रुपये थी जो अब बढ़कर 250 रुपये प्रति किलो पहुंच गई है।

इसके अलावा पूरे देश में टमाटर की कीमतों पर महंगाई की मार ने रसोई का बजट गड़बड़ा दिया है, दरअसल, आलू, प्याज और टमाटर ऐसी सब्जियों में शामिल हैं, जो लगभग हर रोज इस्तेमाल में लाई जाती हैं। महीने भर के अंदर ही टमाटर के भाव में जबरदस्त तेजी देखने को मिली है, एक ओर जहां थोक मार्केट में ये 65 रुपये से 70 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा जा रहा है, तो रिटेल में इसकी कीमत ने शतक लगा दिया है।

आपको बता दें कि महीने भर पहले यही टमाटर रिटेल में 10 से 20 रुपये किलो बिक रहा था, वहीं बीते दो हफ्ते पहले भी इसकी कीमत बाज़ारों में होलसेल में 30 से 35 रुपये किलो थी, और रिटेल में 40 से 45 रुपये प्रति किलो बिक रहा था, इस हिसाब से देखें तो अब इसका भाव रिटेल और होलसेल दोनों में ही दो से तीन गुना बढ़ चुका है। मध्यप्रदेश में इसकी कीमत 80 से 100 रुपये है। मध्य प्रदेश में बाकी सब्ज़ियों के दाम कितने हैं...

टमाटर समेत अन्य सब्ज़ियों के दामों में बढ़ोत्तरी की असल वजह क्या है? और इस बढ़ोत्तरी से क्या किसान को भी फायदा हो रहा है? इसे समझने के लिए हमने बात की किसान नेता जगदीश पटेल से... उन्होंने बताया कि पहले धूप और फिर लगातार बारिश ने सब्जियों के पौधे नष्ट कर दी हैं, जो पौधे बचे हैं उसमें से फूल मर गए हैं। यानी किसी तरह से कुछ सब्ज़ियां बच भी गईं तो उसके दाम किसान को मंडी में पूरे नहीं मिलते। जैसे पहले का उदाहरण ले कि जब टमाटर 20 रुपये किलो था तब मंडी में इसे 5 से 7 रुपये में किसान बेच पाते थे। यानी उत्पादन ज़्यादा हो तब तो किसान को थोड़ा मुनाफा होता है, लेकिन इन दिनों उत्पादन न के बराबर है, किसानों को दाम वही मिल रहा है। और दूसरी ओर बिचौलिए इसे मन मुताबिक दामों में जनता को बेच रहे हैं। यहां यूं समझ लीजिए कि एक ओर जनता तो महंगे दामों में सब्ज़ी खरीद रही है, लेकिन ये दाम किसान को न मिलकर बिचौलिए खा रहे हैं।

यानी टमाटर की कीमत बढ़ने के पीछे सबसे पहली वजह तो भयंकर गर्मी है, क्योंकि इसके कारण टमाटर के प्रोडक्शन पर असर पड़ा है, इसके अलावा बिपरजॉय साइक्लॉन का असर भी टमाटर पर पड़ा। अब यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि टमाटर की पैदावार के मामले में महाराष्ट्र और गुजरात शीर्ष राज्यों की लिस्ट में है, और वहां साइक्लॉन का असर बहुत ज़्यादा रहा, तो ऐसे में टमाटर के दामों का बढ़ना लाज़मी था।

आपको याद होगा कि महीने भर पहले इन्ही टमाटरों का क्या हाल था, जो अभी इतने महंगे हुए हैं, महाराष्ट्र के नासिक की उपज मंडी में किसानों ने ख़ुद से लाए टमाटर की बोली 1 रुपये प्रति किलो लगाई थी, और फिर सड़क टमाटर फेंककर विरोध जताया था।

किसानों की ख़राब हालत और जनता के जेब से वसूले जा रहे ज़्यादा पैसों को लेकर हमने मध्यप्रदेश किसान सभा के महासचिव अखिलेश यादव से बात की... उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में टमाटर की खेती खूब होती है, छोटे किसानों को छोड़ दीजिए, जो बड़े किसान हैं खेतों में तुड़ाई का पैसा भी नहीं निकल पा रहा है। खाद, बीच जुताई बुवाई तो दूर की बात है। उन्होंने बताया कि 2 महीने पहले यहां किसान अपना टमाटर 2 रुपये किलो बेचने के लिए मजबूर थे, जो कोल्ड स्टोरेज में रखा गया था, आज वही टमाटर 100 रुपये में बेचा जा रहा है। यानी एक ओर किसान खाली हाथ तो दूसरी ओर जनता को महंगाई का झटका मिल रहा है।

जाहिर है कि मध्य प्रदेश टमाटर की उपज मामले में नंबर 1 राज्य है, इसके बावजूद यहां भी टमाटर के दाम आसमान छू रहे हैं। मध्य प्रदेश के बाद आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, ओडिशा और गुजरात में सबसे ज़्यादा पैदावार है। बारिश और आंधी-तूफान का असर महज़ टमाटर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि बाकी सब्ज़ियों पर भी इसका असर पड़ रहा है। हरी मिर्च 100 रुपये के पार पहुंच गई, तो अदरक के दाम भी छुए नहीं जा रहे हैं, यानी अदरक 230-250 रुपये प्रति किलो के हिसाब से मिल रहा है।

बारिश के कारण महंगी हुई सब्जियों का असर पंजाब और हरियाणा की मंडियों पर भी पड़ा है, जिसके कारण बहुत सी सब्ज़ियों ने खाने की थाली से दूरी बना ली है, चंडीगढ़ में क्या है सब्ज़ियों के दाम आइए जानते हैं...

ख़ैर... महंगाई की वजह से देशवासियों की हालत पहले से पतली है, और अब बारिश-आंधी के कारण खेतों में सड़ रही सब्ज़ियों ने किसानों को भी परेशान कर दिया है, एक जहां उनकी पूरी तरह से लागत नहीं निकल पा रही है तो दूसरी ओर बाज़ार में आते-आते सब्ज़ियां इतनी महंगी हो गई हैं कि आमजनों को बहुत मुसीबत हो रही है, तो टमाटर के दामों ने तो सभी को परेशान कर रख दिया है।

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