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ईपीएफओ डेटा : लाखों कर्मचारी के भविष्य निधि खाते खतरे में है !

ये कर्मचारियों के लिहाज से बहुत ही चिंताजनक बात है,कि उनके भविष्य निधि के खाते में कंपनी मालिकों के द्वारा पैसा जमा नहीं कराया जा रहा है | जबकि उनके हिस्से का अंश दान उनके मासिक वेतन से काटा जा रहा है|
EPFO
image coutesy: Deccan Cronicles

ईपीएफ सदस्यों के बारे में एक चौकाने वाली जानकारी सामने आ रही है, मिडिया रिपोर्टों के अनुसार मई 2018 में कर्मचारी भविष्य निधि यानी ईपीएफ (EPF) में हिस्सा देने वाले ईपीएफ सदस्यों की संख्या में 11 लाख तक की कमी आई है।  जबकि इसके उलट इस अवधि में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफओ के पास PF जमा कराने वाली कंपनियों की संख्या में इज़ाफा हुआ है |
 
 भविष्य निधि में हर कर्मचारी अपने मासिक वेतन में से एक हिस्सा भविष्य की वित्तीय सुरक्षा के लिए जमा करते हैं | कर्मचारी  हर माह अपने मूल वेतन और मंहगाई भत्ते का 12 प्रतिशत ईपीएफ में जमा कराता है और उतनी ही राशि उसके नियोक्ता(मालिक ) द्वारा भी जमा कराई जाती है, परन्तु ये पूरी राशी मज़दूर का हिस्सा और मालिक अपना हिस्सा दोनों ही जोड़कर फ़ैक्टरी या उद्योग मालिकों द्वारा ही जमा कराया जाता है | 

एक सत्य यह भी है की कर्मचारी भविष्य निधि या और अन्य श्रम कानूनों का लाभ श्रमिकों के बड़े तबके को नहीं मिलता है | क्योंकि हम जानते है कि  भारत में बहुत बड़ा हिस्सा असंगठित मजदूरों का है जिन्हें इन सुविधाओं का लाभ बहुत कम ही मिल पता है | 

परन्तु अभी आ रही मिडिया रिपोर्ट के अनुसार श्रम मंत्रालय के एक डेटा के अनुसार करीब 11 लाख ईपीएफ सदस्य की कमी है जो कर्मचारी भविष्य निधि संगठन में PF जमा  करतें थे ,जबकी मज़े की बात ये है कि  इस दौरान ईपीएफओ के पास PF जमा कराने वाली कंपनियों की संख्या में इजाफा हुआ है |अब ये सवाल उठता है कि  ये सब क्यों और कैसे हुआ ?

इसका मतलब साफ़ है कि कंपनियों ने अपने ईपीएफ के तहत पंजीकृत कर्मचारियों का PF का पैसा जमा नहीं करवाया | यानी कि डिफॉल्ट करने वाली कंपनियों की संख्या बढ़ गई है। इस वर्ष के अप्रैल 2018 में ईपीएफ के हिस्सेदारी देने वाले सदस्यों, यानी ऐसे जिनका पीएफ ईपीएफ के पास जमा हो रहा था. उनकी संख्या 4,61,06,568 थी | जबकि मई में यह संख्या घट कर 4,50,58,056 हो गई है | यानी एक माह लगभग 11 लाख ईपीएफ सदस्यों कम हो गए हैं|
 
 ईपीएफ के डेटा के अनुसार अभी 62,8 06 कंपनियां डिफाल्टर हैं | जो कर्मचारियों के पीएफ का पैसा ईपीएफ के पास जमा नही करवा रही हैं |  जनवरी 2017 से मार्च 2018 के बीच किसी भी वेतन माह का पीएफ का पैसा तो जमा कराया परन्तु अप्रेल 2018माह का पिएफ का पैसा मई, 2018 में जमा  नहीं कराया है।
जबकी ईपीएफ के नियमनुसार ईपीएफ खाते में पैसा जमा करना सिर्फ कर्मचारी के लिए ही अनिवार्य नहीं है। आपके नियोक्ता (मालिक ) के लिए भी अनिवार्य है। नियमानुसार, कम्पनी को भी आपकी ओर से जमा पैसे के बराबर, खुद भी पैसा मिलाकर जमा करना होता है। यही कारण है कि कंपनी आपके वेतन में अपने ईपीएफ अंशदान को भी दर्शाती है | 
 
यूनियन के नेताओं का कहना है कि “ये कर्मचारियों के लिहाज से बहुत ही चिंताजनक बात है,की उनके भविष्य निधि के खाते में कंपनी मालिकों  के द्वारा पैसा जमा नहीं  कराया जा रहा है | जबकि उनके हिस्से का अंश दान उनके मासिक वेतन से काटा जा रहा है| ये श्रमिकों के भविष्य  साथ कंपनीयाँ   खिलवाड़ कर रही है”|
सरकारें अपने इन फ़ैसलों से केवल औपचारिकता  पूरी करती हैं | वो कभी भी इसे गंभीरता से लागू नहीं करतींI इसी करण इसका लाभ ग़रीब कामगारों को नहीं मिलता |  चाहे वो देश  में न्यूनतम मज़दूरी देने के नियम को लागू  करने की बात हो या फिर कई अन्य महत्वपूर्ण श्रम क़ानूनों को लागू करने की बात हो  | इन सब में सरकारें हमेशा ही विफल दिखाई देती है |

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