जब मोदी का समर्थन करने वाले सुषमा स्वराज को देने लगे गालियां!
फेसबुक और व्हाट्सऐप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में खड़ा रहने वाले लोग कुछ मौके पर उनके खिलाफ भी काम करते दिखे। एक तरह से देखा जाए तो सोशल मीडिया पर अपने विरोधियों को ट्रोल करने के लिए बनाई गई इस फौज ने कुछ मौकों पर भस्मासुर की तरह काम किया। इससे मोदी सरकार को शर्मिंदगी भी झेलनी पड़ी।
जुलाई, 2018 में भारत की विदेश मंत्री और भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज को सोशल मीडिया पर काफी कुछ सुनना पड़ा। कभी भाजपा की ओर से भाजपा विरोधियों को ट्रोल करने वाले लोगों ने सोशल मीडिया पर सुषमा स्वराज को ट्रोल करते हुए उनके खिलाफ गालियों की बरसात कर दी।
ये लोग सुषमा स्वराज से इस बात पर नाराज थे कि कैसे विदेश मंत्री ने लखनऊ के एक ऐसे दंपति को पासपोर्ट जारी करने की मंजूरी दे दी जिन्होंने दो अलग-अलग धर्मों से होने के बावजूद शादी की थी। सुषमा स्वराज के खिलाफ बहुत ही गंदी भाषा का इस्तेमाल इन लोगों ने किया। इसके बाद सुषमा स्वराज के पति स्वराज कौशल को गुस्से में प्रतिक्रिया देने को बाध्य होना पड़ा।
व्हाट्सऐप का इस्तेमाल एक खास योजना के तहत आर्थिक नुकसान पहुंचाने के मकसद से भी किया गया। 28 सितंबर, 2018 को इंफिबीम कंपनी के शेयर की कीमतों में 71 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। इस गिरावट की वजह बनी व्हाट्सऐप पर फैली एक खबर। इस खबर में इस बात पर चिंता जताई गई कि कंपनी गलत ढंग से अपनी बही-खाते में हिसाब दर्ज करती है। इस घटना के बाद वित्तीय अखबारों में भी यह खबर प्रकाशित हुई।
हमने यह सीरिज लिखने के लिए तकरीबन 50 लोगों से बातचीत की। इनमें से फेसबुक इंडिया में काम करने वाले और पहले काम कर चुके लोग भी शामिल हैं। इनमें से अधिकांश लोग इस बात के लिए तैयार नहीं थे कि उन्हें खबर लिखते समय उद्धत किया जाए। क्योंकि उनके मन में डर है कि ऐसा करने पर उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
हमारे सामने यह बात स्पष्ट हो गई कि फेसबुक में शीर्ष पदों पर काम करने वाले लोगों के भाजपा से करीबी संबंध हैं। इनमें से एक व्यक्ति तो ऐसे हैं जिन्होंने भाजपा के चुनाव पूर्व अभियान में 2013 और 2014 में काम किया है। ये व्यक्ति एक ऐसी वेबसाइट से जुड़े रहे हैं जो भाजपा के अनुकूल खबरें फेसबुक के जरिये फैलाती रही है। हमने फेसबुक इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी के ‘हितों के टकराव’ से संबंधित आयाम की भी पड़ताल की।
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