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क्या मोदी भी गोडसे को महापुरुष मानते हैं ?

अगर मानते हैं तो विदेशी मेहमानों के सामने गांधीजी का चरखा चलाना बन्द करें I
Gandhi
Image Courtesy: Indiablooms

बीएचयू में संस्कृति -2018 के दौरान 'मैं नाथूराम गोडसे बोल रहा हूँ' एकालाप नाटक के रूप में पेश किया गया। भरे हुए सभागार में जबरदस्त तालियों और किलकारियों के बीच गांधीजी के ख़िलाफ़ जहर भरी झूठी बातें कही गईं। उन्हें देशद्रोही और हत्यारे गोडसे को देशभक्त बताया गया। नाटक अत्यंत सफल रहा। अंत में वंदे मातरम के गगनभेदी नारे लगे।

कुछ छात्रों ने इस प्रदर्शन के ख़िलाफ़ पुलिस में शिकायत की है। नाटक रोकने की कोशिश नहीं की। ठीक ही है,अभिव्यक्ति की आज़ादी सबको है। पुलिस में शिकायत करना संवैधानिक तरीका है। याद कीजिए, जेएनयू में अब तक अज्ञात कुछ तत्वों द्वारा भारत विरोधी नारे लगाए जाने पर क्या क्या हुआ था। राष्ट्रपिता का क्या है, कोई कुछ भी कह सकता है।

लेकिन इंडियन एक्सप्रेस में इस घटना पर बीएचयू के डीन के बयान की जो रिपोर्ट छपी है, वह ध्यान देने लायक है। उन्हें कहते बताया है कि ऐसे प्रदर्शनों में कोई बुराई नहीं है। हर व्यक्ति के प्रति आदर और प्रेम होना चाहिए। ये हमारे 'महापुरुष' हैं!

बीएचयू केंद्रीय विश्वविद्यालय है। केंद्र सरकार और यूजीसी को बताना चाहिए कि क्या वे भी गोडसे को महापुरुष मानते हैं। अगर मानते हैं तो विदेशी मेहमानों के सामने गांधीजी का चरखा चलाना बन्द करें। अगर नहीं मानते तो डीन के बयान पर समुचित कार्रवाई करें।

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