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खोरी बेदखली मामला: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के एक महीने बाद मंडराते भय के बादल

यहां के निवासियों का आरोप है कि गांव के बाहर बुलडोजरों की कतार को देखकर यहां पर भय का माहौल व्याप्त है। वहीं दूसरी तरफ हरियाणा सरकार के पास बेदखली के बारे में अदालत को सूचित करने के लिए करीब दो हफ्ते का ही समय बचा हुआ है।
खोरी बेदखली मामला: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के एक महीने बाद मंडराते भय के बादल

हरियाणा के फरीदाबाद जिले में खोरी गांव के 1 लाख से अधिक निवासियों को वहां से बेदखल करने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के एक महीने बाद भी निवासियों ने अपने संघर्ष को जारी रखा हुआ है क्योंकि वे सरकार की ओर से मिल रहे भय और उदासीनता से जूझ रहे हैं।

दिल्ली-हरियाणा सीमा पर स्थित इस गांव में 10,000 से अधिक घर हैं और अब इन्हें बिजली और पानी की आपूर्ति से मरहूम कर दिया गया है। राज्य सरकार को छह हफ्ते की अवधि पूरी होने पर 27 जुलाई तक सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी अनुपालन रिपोर्ट जमा करनी है। पिछले एक महीने से लगातार विरोध प्रदर्शनों ने जहां एक तरफ यहां के निवासियों के बीच में उम्मीद जगाए रखी है, वहीं कल शाम गांव की सीमाओं पर 10 बुलडोजरों की कतारबद्ध पंक्ति ने उनके भीतर एक बार फिर से भय और दहशत के माहौल को पैदा कर दिया है। इसके साथ ही यहां के निवासियों का दावा है कि जैसे ही वे इस बारे में मुहं खोलते हैं और विरोध प्रदर्शनों की शुरुआत करते हैं तो पुलिस द्वारा उन्हें लगातार हैरान-परेशान किया जाता है।

वर्तमान स्थिति के बारे में विवरण देते हुए गांव की एक निवासी सपना गुप्ता ने न्यूज़क्लिक को बताया “हम नियमित तौर पर विरोध सभाएं करते रहते हैं और यह हमारी एकता है जिसने हमें अभी तक महफूज बनाये रखा है। सरकार ड्रोन के जरिये इस इलाके की निगरानी कर रही है। कल तो उन्होंने इलाके में बुलडोजर तक भेज दिए। हालांकि, लोगों के घरों से बाहर निकलने पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। हमारा यह दृढ मत है कि यह हमें अपने घरों को छोड़ने के लिए डराने-धमकाने के लिए किये जा रहे कई उपायों में से ही एक और कोशिश है। पूर्व में कई लोग यहां से पलायन कर गये थे, लेकिन वे अब वापस आ गये हैं और अपने आवास और जीवन के अधिकार के लिए संघर्ष करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

30 जून को अंबेडकर पार्क में निवासियों के जुटान पर कार्रवाई में लोगों पर लाठी चार्ज किया गया था और उन्हें हिरासत में भी ले लिया गया था। निवासियों ने 7 जुलाई को उसी पार्क में एक और मीटिंग आयोजित की, जिसमें उन्होंने वर्तमान में जारी कार्रवाई के बारे में अपने-अपने अनुभव को साझा किया। 

इस बीच जहां एक ओर प्रतिरोध का सिलसिला जारी है, खोरी के निवासियों को आशंकाओं के बीच में जीवन बिताना पड़ रहा है। एक निवासी शमशेर ने अपनी आपबीती का वर्णन करते हुए कहा “मुझे आज लगातार दूसरी बार पुलिस ने पकड़ लिया। सादी वर्दी पहने पुरुषों ने मुझे हिरासत में लेने और अपने साथ ले जाने की कोशिश की। 30 तारीख को भी विरोध प्रदर्शन के बाद मुझे हिरासत में ले लिया गया था।”

उनका कहना था “आज जब उन्होंने मुझसे संपर्क साधा, तो मुझे आशंका थी कि एक बार फिर से मुझे पुलिस थाने ले जाया जायेगा। मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि क्यों मुझे बेवजह निशाना बनाया जा रहा है। इस तथ्य के बावजूद कि मैं यहां के निवासियों का प्रतिनिधित्व करता आ रहा हूं और सरकार के साथ हमारी बेदखली को रोकने के लिए समाधान तलाशने के लिए लगातार बातचीत में भी शामिल हूं।”

कथित तौर पर शमशेर सहित सात सदस्यों के एक प्रतिनिधि समूह ने 4 जुलाई को हरियाणा भवन में हरियाणा सरकार के अधिकारियों से मुलाकात की थी। इस बैठक में मुख्यमंत्री के ओएसडी अजय गौड़, तहसीलदार यशवंत सिंह और बड़कल के एसपी सुखबीर सिंह शामिल थे। निवासियों की मांग थी कि किसी भी फैसले से पहले एक सर्वेक्षण किया जाए और इस बात का आश्वासन मांगा कि इलाके को ध्वस्त नहीं किया जायेगा।

इसके बाद, 6 जुलाई को खोरी के 500 से अधिक निवासी जंतर-मंतर पर भी इकट्ठा हुए थे और वे प्रधानमंत्री के आवास का घेराव करने का मन बना रहे थे। अगले कुछ दिनों के लिए भी इसी प्रकार के विरोध प्रदर्शन की तैयारी की गई है।

अदालत की ओर से अरावली पर्वत श्रृंखला के हरित आवरण को बचाने की मुहिम में आवासीय कॉलोनी को खाली करने और ध्वस्त करने के आदेश दिए गए थे। अदालत ने अपने 7 जून के फैसले में हरियाणा सरकार के अधिकारियों से छह हफ्ते के भीतर इस मामले में अनुपालन रिपोर्ट को दाखिल करने के लिए कहा था, जिसमें शीर्षस्थ अदालत के फैसले के बाद चार या उससे अधिक व्यक्तियों के एक स्थान पर इकट्ठा होने पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए गांव में धारा 144 लागू कर दी गई थी। 

जहां अदालत ने जमीन को खाली कराने आदेश दिया है, वहीं गांव के निवासी जो मुख्यतया प्रवासी श्रमिक हैं, वे ऐसे समय में अपने सर पर छत को खो देने की चिंता में घुल रहे हैं, जब महामारी पहले से ही कई जिंदगियों और आजीविका के साधनों को छीन चुकी है। 

इस आदेश के विरोध के प्रयास में और पुनर्वासन एवं आवास की मांग करते हुए निवासियों ने 11 जून को एक विरोध प्रदर्शन का भी आयोजन किया था। हालांकि, 100 के करीब लोगों को अपनी आवाज उठाने के आरोपों का सामना करना पड़ा, जबकि अन्य को हिरासत में ले लिया गया था। यहां के निवासियों के खिलाफ लगाये गए आरोपों में आईपीसी की धारा 109, 114, 147, 149, 186, 188, 269, 283, 341 और 506 सहित आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 61 शामिल है। आरोप है कि यहां के निवासियों ने मुख्य सड़क पर जमा होकर राज्य सरकार और नगर निगम प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की थी।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

Khori Evictions: A Month After Supreme Court Orders, Fears Loom Large

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