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हरियाणा: आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने खट्टर सरकार के ख़िलाफ़ खोला मोर्चा, बड़े आंदोलन की चेतावनी

प्रदर्शनकारी महिलाओं के मुताबिक खट्टर सरकार राज्यभर के आंगनवाड़ी केंद्रों को बंद करने की योजना बना रही है और इसी के तहत कार्यकर्ताओं की ईमानदारी पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
Anganwadi Workers

हरियाणा में एक बार फिर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने मनोहर लाल खट्टर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मंगलवार 25 अप्रैल को प्रदेशभर में इन कार्यकर्ताओं ने सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीआईटीयू) से संबंधित ऑल इंडिया फ़ेडरेशन ऑफ आंगनवाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स (AIFAWH) के बैनर तले अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के साथ ही स्थानीय प्रशासन अधिकारियों को ज्ञापन भी सौंपे। इन सभी ने एक स्वर में सरकार को चेतावनी जारी करते हुए कहा कि यदि उनकी मांगों पर जल्द सुनवाई नहीं होती तो वे सब बड़ा आंदोलन करने पर मजबूर होंगी।

प्रदर्शनकारी महिलाओं का कहना है कि खट्टर सरकार राज्य भर के आंगनवाड़ी केंद्रों को बंद करने की योजना बना रही है और इसी के तहत कार्यकर्ताओं की ईमानदारी पर सवाल उठाए जा रहे हैं। केंद्रों को बदहाल अवस्था में भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है और नई शिक्षा नीति को लेकर बाल वाटिकाओं में 3 से 5 साल के बच्चों को प्री नर्सरी का हवाला देकर भेजा जा रहा है, जिससे आंगनवाड़ी में बच्चों की संख्या कम हो जाए और सरकार को इसे बंद करने का बहाना मिल जाए।

बता दें कि इन कार्यकर्ताओं की प्रमुख मांगों में इनकी ग्रेच्युटी का मुद्दा भी शामिल है, जिसका हक़ बीते साल लंबी लड़ाई लड़ने के बाद इन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट से हासिल किया था। इसके अलावा आंगवाड़ी केंद्रों में खाली पड़े पदों पर भर्ती के साथ ही प्रमोशन और समय से वेतन की मांग भी ये कार्यकर्ता प्रमुखता से उठा रही हैं।

क्या है पूरा मामला?

सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन हरियाणा के महासचिव जय भगवान ने न्यूज़क्लिक को बताया कि इन आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन मुख्यतौर पर न्यू एजुकेशन पॉलिसी के तहत आने वाली बाल वाटिकाओं को लेकर है। क्योंकि बाल वाटिकाओं को सरकार स्कूलों में ही प्री नर्सरी के तौर पर लागू करने जा रही है, इससे अब आंगनवाड़ी में अब केवल 2 साल तक के बच्चे ही रह जाएंगे, जो केवल भोजन के लिए आते हैं। अब तक इन केंद्रों में 5 साल तक के बच्चे आते थे, जो पोषण के साथ ही शिक्षा भी ग्रहण करते थे। अब इन केंद्रों पर बच्चों की संख्या कम करके इसे स्कूली शिक्षा से जोड़ा जा रहा है, जिसका विरोध कहीं न कहीं स्कूल शिक्षक भी कर रहे हैं।

जय भगवान का कहना है कि दूसरा जो मेन मुद्दा है वो इनकी ग्रेच्युटी से जुड़ा हुआ है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल सितंबर 2022 में हरी झंडी दे दी थी। बावजूद इसके इन कार्यकर्ताओं को एक साल के इंतज़ार के बाद भी कुछ हाथ नहीं लगा है। फिलहाल राज्य की खट्टर सरकार इन आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के खिलाफ दुष्प्रचार कर इनकी छवि को भी नुकसान पहुंचा रही है, जिसका सीधा सरोकार इन केंद्रों पर सरकार की नाकामी को छुपाना है।

आंगनवाड़ी केंद्रों की बदहाली और सरकार की अनदेखी

कैथल में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए यूनियन की राज्य महासचिव शकुंतला ने कहा कि मुख्यमंत्री ने पलवल के एक गांव में ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कहा कि कौन-कौन चाहता है कि आंगनवाड़ी बंद हो। मुख्यमंत्री की इस टिप्पणी की यूनियन निंदा करती है।

उन्होंने आगे कहा कि सरकार कभी प्ले स्कूल का नाम देकर तो कभी बाल वाटिका शुरू करके आंगनवाड़ी केंद्रों का अस्तित्व खत्म करना चाहती हैं। लेकिन इसे सहन नहीं किया जाएगा। शकुंतला ने इसके साथ ही इन सेंटर्स की बदहाली की ओर भी ध्यान आकर्षित करते हुए मांग की कि 2012 से आंगनवाड़ी सेंटर में रजिस्टर नहीं दिए गए वे दिए जाएं। इसके अलावा ईंधन और वर्दी का पैसा भी मिले। आंगनवाड़ी सेंटर का बढ़ा हुआ किराया लागू किया जाए। ऑनलाइन काम करने के लिए फोन व रिचार्ज के भी पैसे दिए जाएं।

आंगनवाड़ी सेंटर्स को बंद करने की साज़िश!

झज्जर में आंगनवाड़ी वर्कर्स का नेतृत्व कर रहीं प्रधान बाले जाखड़ ने आरोप लगाया कि सरकार आंगनवाड़ी केन्द्रों को बंद करने की साजिश रच रही है। जिसके तहत सरकार ने बालवाटिका खोले जाने का एक नया फार्मूला अपनाया है जोकि न्याय संगत नहीं है। जाखड़ ने कहा कि आंगनवाड़ी वर्कर्स की मांगें नहीं है बल्कि उनकी अनगिनत समस्याएं है जोकि सरकार ने खुद ही पैदा कर रखी हैं।

जाखड़ के मुताबिक तीन साल से आंगनवाड़ी वर्कर्स को वर्दी और फ्लेक्सी फंड का पैसा सरकार की तरफ से नहीं दिया गया है। चार माह से भी ज्यादा समय से आंगनवाड़ी वर्कर्स का पैसा बकाया है। इसके अलावा सरकार बगैर संसाधन के आंगनवाड़ी वर्कर्स से ऑनलाइन काम करा रही है। जबकि न तो उन्हें इसकी ट्रेनिंग दी गई और न ही उनके पास संसाधन है। इसके अलावा समय पर कंटीजेंसी नहीं मिल रही है और न हीं आंगनवाडी सेंटरों का किराया दिया जा रहा है। ऐसा लगता है कि सरकार एक साजिश के तहत इन आंगनवाड़ी सेंटरों को बंद करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी तो वह सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन करने को मजबूर होंगी।

गौरतलब है कि नई शिक्षा नीति में शिक्षा विभाग के ढांचे में कई बड़े बदलाव प्रस्तावित हैं, जिसका विरोध आंगवाड़ी कार्यकर्ताओं से लेकर स्कूल और कॉलेज के टीचर्स तक कर रहे हैं। हालांकि सरकार इस पर एक कदम भी पीछे लेने को तैयार नहीं है और कई राज्यों में इसके अमल के लिए काम शुरू हो गया है। ऐसे में छात्रों के भविष्य के साथ ही इन शिक्षकों और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का भविष्य भी सवालों में फंसता दिखाई देता है। वैसे भी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को लेकर सरकारों का ज्यादातर उदासीन रवैया ही देखने को मिला है, जिसके चलते ये सभी बार-बार कभी स्थानीय सड़कों पर तो कभी राजधानी के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन को मजबूर हैं।

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