NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu
image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कृषि
भारत
राजनीति
किसान आंदोलन : किसान नए कृषि क़ानूनों की प्रतियां जलाकर मना रहे लोहड़ी
दिल्ली की सीमाओं पर सभी प्रदर्शन स्थलों के साथ ही पूरे देश में कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर लोहड़ी मनाई जा रही है।
13 Jan 2021
Kisan morcha
फ़ोटो साभार : प्रणिता कुलकर्णी

 दिल्ली: दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसान आज लोहड़ी के मौके पर प्रदर्शनस्थलों पर नए कृषि कानूनों की प्रतियां जला रहे हैं। इन्हीं किसानों के आह्वान और समर्थन में देश के अन्य हिस्सों में भी लोग कानूनों की प्रतियों को जला रहे हैं।

अधिकतर उत्तर भारत में मकर संक्रांति से एक दिन पहले यानी पौष महीने की अंतिम रात्रि को लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन लोग लकड़ियां इकट्ठी करके जलाते हैं और एक-दूसरे के सुख एवं समृद्धि की कामना करते हैं।

किसान नेता मंजीत सिंह राय ने बताया कि सभी प्रदर्शन स्थलों पर आज शाम कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर लोहड़ी मनाई जा रही है। हालंकि देशभर में इस तरह के कार्यक्रम दिनभर जारी रहे।

उन्होंने तीन कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगाए जाने के उच्चतम न्यायालय के आदेश का स्वागत किया। हालांकि समिति के सदस्यों की निष्पक्षता पर भी संदेह जताया है।

किसान संगठनों ने कल, मंगलवार को कहा था कि वे उच्चतम न्यायालय की तरफ से गठित समिति के समक्ष पेश नहीं होंगे और आरोप लगाया कि यह ‘‘सरकार समर्थक’’ समिति है। किसान संगठनों ने कहा कि उन्हें तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने से कम कुछ भी मंजूर नहीं है।

उच्चतम न्यायालय ने किसान संगठनों के बीच व्याप्त गतिरोध खत्म करने के इरादे से मंगलवार को इन कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगाने के साथ ही किसानों की समस्याओं पर विचार के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया था।

हरियणा जो इस किसान आंदोलन का प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है, वहां आज गांव-गांव में किसान-कर्मचारियों ने नए कानूनों की कॉपी जलाकर अपना विरोध जताया। हरियणा के शिक्षक संघ भी इसमें शामिल हुआ, उसने नए कृषि कानूनों के साथ ही केंद्र की नई शिक्षा नीति की कॉपी भी जलायी।

गुड़गांव, फ़रीदाबाद जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में मज़दूर वर्ग ने भी कृषि कानूनों के साथ ही मज़दूरों के कानूनों को ख़त्म कर लाए गए श्रम कोड के कॉपी जलाई। मज़दूरों ने बार-बार कहा यह मोदी सरकार किसान ही नहीं बल्कि घोर मज़दूर विरोधी है। आने वाले समय में मज़दूर वर्ग भी अपना आंदोलन तेज़ करेगा।

इसी तरह पंजाब में भी कृषि कानूनों की कॉपी जलाकर लोहड़ी मनाई गई। लोहड़ी पंजाब का प्रमुख त्योहार है।

इसके अलावा छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने एक बयान जारी कर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार द्वारा आंदोलन में शामिल किसानों को खालिस्तानी आतंकी कहने और विदेशी फंडिंग का आरोप लगाने की निंदा की है। उन्होनें कहा है कि वास्तव में तो किसान राष्ट्रविरोधी कॉर्पोरेट ताकतों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है, जिसकी मोदी सरकार पिछलग्गू बनी हुई है। इस सरकार के पास 70 से ज्यादा किसानों की मौतों के लिए भी कोई संवेदना नहीं है। ऐसी संवेदनहीन सरकार के खिलाफ किसान विरोधी काले कानूनों की वापसी तक लड़ाई जारी रहेगी और यह लड़ाई दिल्ली में डटे किसानों के साथ ही पूरे देश में लड़ी जाएगी।

किसान सभा नेताओं ने बताया कि किसान संघर्ष समन्वय समिति के देशव्यापी आह्वान पर 13-14 जनवरी को पूरे छत्तीसगढ़ में संकल्प सभाएं आयोजित की जा रही हैं और पूरे प्रदेश में संघर्ष तेज करने का संकल्प लिया जाएगा और सरकार के पुतले और काले कानूनों की प्रतियां जलाई जाएंगी।

उत्तराखंड के हल्द्वानी में किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे आल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन (एक्टू) के कार्यकर्ता बुधवार को बुद्ध पार्क में जमा हुए। इस दौरान नए कृषि कानूनों की प्रतियां जलाई गयीं। एक्टू के प्रदेश महामंत्री केके बोरा ने कहा कि भारतीय मजदूर वर्ग किसानों के निरंतर बढ़ते संघर्ष को और मजबूती देने का आह्वान करता है। किसान बिल वापसी नहीं, तो घर वापसी नहीं और जीतेंगे या मरेंगे के संकल्प के साथ आंदोलन में डटे हुए हैं। किसान सरकार की मंशा को भली भांति समझ रहे हैं और आंदोलन पर डटे रहेंगे।

लाखों किसान केन्द्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले साल 27 नवम्बर से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं।

अध्यादेश के बाद इस साल सितम्बर में कानून  बनाए गए इन तीनों कानूनों को केन्द्र सरकार ने कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश किया है। उसका कहना है कि इन कानूनों के आने से बिचौलिए की भूमिका खत्म हो जाएगी और किसान अपनी उपज देश में कहीं भी बेच सकेंगे।

दूसरी तरफ, प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों का कहना है कि इन कानूनों से एमएसपी का सुरक्षा कवच और मंडियां भी खत्म हो जाएंगी तथा खेती बड़े कॉरपोरेट समूहों के हाथ में चली जाएगी।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

kisan andolan
farmers protest
Lohri celebrations by farmers

Trending

भारत में "Anti Conversion Law" का इतिहास
जो निधि राज़दान के साथ हुआ, वो साइबर फ्रॉड आपके साथ भी हो सकता है!
क़रीब दो महीने पूरे, 60 ज़िंदगियां गुज़रीं, 9 दौर की बातचीत ख़त्म: प्रदर्शन कर रहे किसान उम्मीद की तस्वीर हैं
कोविड टीकाकरण शुरू, किसानों को डराने का हथकंडा भी!
कोविड-19 के ख़िलाफ़ भारत में शुरू हुआ विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान
घरेलू श्रम के मूल्य पर फिर छिड़ी बहस

Related Stories

Rahul Gandhi
भाषा
कृषि क़ानूनों को वापस लिए जाने तक कांग्रेस पीछे नहीं हटेगी: राहुल
15 January 2021
Farmers meeting
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट/भाषा
सरकार और किसानों के बीच बातचीत फिर बेनतीजा, अगली तारीख़ 19 जनवरी तय
15 January 2021
अरुण कुमार त्रिपाठी
सरकार कैसे गिरा सकता है किसान आंदोलन... लेकिन ज़िंदा क़ौमें पांच साल इंतज़ार कैसे करें
15 January 2021
इस देश के पढ़े लिखे

Pagination

  • Previous page ‹‹
  • Next page ››

बाकी खबरें

  • कोविंद
    अजय कुमार
    बीच बहस: राष्ट्रपति कोविंद का मंदिर निर्माण में चंदा देना कितना उचित, कितना अनुचित?
    17 Jan 2021
    एक व्यक्ति के तौर पर रामनाथ कोविंद अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए चाहे पांच रुपये दें या पांच लाख रुपये। यह सब उनका व्यक्तिगत मामला है। सवाल यहां है कि राष्ट्रपति होने के नाते क्या उन्हें मंदिर…
  • Urmilesh
    न्यूज़क्लिक टीम
    कोविड टीकाकरण शुरू, किसानों को डराने का हथकंडा भी!
    16 Jan 2021
    कोरोना टीकाकरण शनिवार से शुरू हो गया. काफी समय से इसका जोर-शोर से प्रचार हो रहा था. कोविड हो या कोई और मेडिकल इमरजेन्सी, उसका मुकाबला बेहतर और सक्षम लोक स्वास्थ्य सेवा-संरचना से ही संभव है. लेकिन…
  • झारखंड
    अनिल अंशुमन
    झारखंड: चार बार विधायक रहे कॉमरेड महेंद्र सिंह के शहादत दिवस पर आंदोलनकारी किसानों के समर्थन में मानव–श्रंखला अभियान!
    16 Jan 2021
    सन 2005 में इसी दिन तत्कालीन भाजपा– एनडीए शासन में सुनियोजित राजनीतिक षड्यंत्र के तहत प्रदेश के चर्चित जनप्रिय नेता व कम्युनिस्ट आंदोलनकारी कॉमरेड महेंद्र सिंह की हत्या कर दी गयी थी।
  • फिलिस्तीन
    फिलिस्तीन अपडेट
    इजरायली रंगभेद, नवउदारवाद एवं नकबा से इंकार के मुद्दे पर 60 इजरायली तरुणों ने सेना में अपनी सेवा देने से इंकार किया
    16 Jan 2021
    60 इजरायली सीनियर हाई स्कूल के छात्रों द्वारा एक हस्ताक्षरित पत्र के जरिये, जिसमें उन्होंने इजरायली सेना में अपनी अनिवार्य भर्ती की शर्तों को मानने से इंकार कर दिया था, जो कि अब सार्वजनिक संज्ञान में…
  • घरेलू श्रम के मूल्य पर फिर छिड़ी बहस
    कुमुदिनी पति
    घरेलू श्रम के मूल्य पर फिर छिड़ी बहस
    16 Jan 2021
    महिलाओं के अदृष्य श्रम को कैसे जीडीपी में दिखाया जाय, इसपर बहस समाप्त नहीं हो सकती, पर विश्व भर में इस बात पर आम सहमति बन रही है कि महिलाओं द्वारा किये जा रहे घरेलू काम को मान्यता दी जाए और उसका…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें