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“मैं आत्महत्या को मजबूर हूं दोस्तो”, वीडियो जारी कर दलित शोध छात्र ने ज़हर खाया

ज़हर खाने के पहले दीपक कुमार ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड कर और पत्र लिखकर आरोप लगाया कि विभाग के दो प्रोफेसर दलित होने के कारण उन्हें उत्पीड़ित कर रहे थे।
खुदकुशी की कोशिश करने वाला छात्र

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग के दलित शोध छात्र दीपक कुमार ने गुरुवार दोपहर ज़हरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की। उसे बीआरडी मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया है जहां उसकी हालत स्थिर बतायी जा रही है।

ज़हर खाने के पहले दीपक कुमार ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड कर और पत्र लिखकर आरोप लगाया कि विभाग के दो प्रोफेसर (विभागाध्यक्ष प्रो. द्वारका नाथ श्रीवास्तव और कला संकाय डीन प्रोफेसर चंद्र प्रकाश श्रीवास्तव ),  दलित होने के कारण उन्हें उत्पीड़ित कर रहे थे। उन्हें बार-बार गाली दी जाती थी और धमकी दी जाती थी कि उसे शोध कार्य पूरा करने नहीं दिया जाएगा। इसकी शिकायत उन्होंने कुलपति से भी की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. उत्पीड़न और धमकी से त्रस्त होकर उन्होंने जहर खाकर जान देने की कोशिश की।

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कुलपति प्रो वी के सिंह ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए प्रतिकुलपति प्रो एसके दीक्षित के संयोजकत्व में घटना की जाँच के लिए कमेटी गठित की है. कमेटी में दो अन्य सदस्य प्रो चंद्रशेखर और प्रो प्रदीप कुमार यादव सदस्य हैं. जाँच पूरी होने तक दर्शनशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो द्वारका नाथ श्रीवास्तव को उनके पद से मुक्त कर दिया गया है।

शोध छात्र दीपक कुमार चौरीचौरा क्षेत्र के ग्राम राजोपट्टी पगड़ी पोस्ट नवाबारी बलिया के रहने वाले हैं. वह नेट परीक्षा में सफल होने के बाद दर्शनशास्त्र विभाग में शोध छात्र के रूप में पंजीकृत हुए, दीपक कुमार ने जहर खाने के पहले लिखे पत्र और वीडियो में आरोप लगाया है कि तीन महीने से उन्हें दोनों प्रोफ़ेसर जातिसूचक गलियां देते थे और बार-बार यह कहते थे कि तुम आरक्षण से आते हो. जब वह दोनों प्रोफेसरों की प्रताड़ना से तंग आ गया तो इसकी शिकायत कुलपति से की। इसके बाद दोनों प्रोफ़ेसर मुझे गुंडों से धमकी दिलवाने लगे. इस प्रताड़ना से तंग आकर मैं आत्महत्या कर रहा हूँ जिसके लिए प्रो द्वारका नाथ श्रीवास्तव और कला संकाय डीन प्रोफेसर चंद्र प्रकाश श्रीवास्तव जिम्मेदार हैं. इन दोनों ने ऐसी स्थिति उत्पन्न कर दी जिससे उसे आत्महत्या के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा।

मिली जानकारी के अनुसार दीपक कुमार गोरखपुर शहर में किराये के मकान में रहते थे. उनके द्वारा जहर खाने की जानकारी होने पर उनके साथी जिला अस्पताल ले गए जहाँ से उन्हें बीआरडी मेडिकल कालेज रेफर कर दिया गया। मेडिकल कालेज में उसे मेडिसिन विभाग के वार्ड 14 में भर्ती किया गया है।

दीपक कुमार को 18 सितम्बर की शाम 6 बजे दो बाइक पर सवार 6 लोगों ने छात्र संघ चौराहे पर घेरकर जान से मारने की धमकी भी दी थी. इस सम्बन्ध में उन्होंने कुलपति, कुलसचिव और प्रॉक्टर को घटना की लिखित जानकारी दी. उन्होंने इस पत्र में कहा था कि धमकी देने वाले लोगों ने कहा कि प्रो द्वारका नाथ और प्रो सी पी श्रीवास्तव के खिलाफ कुलपति को जो शिकायत की है, उसमें आगे कोई कार्यवाही न करे नहीं तो अंजाम ठीक नहीं होगा।

विश्वविद्यालय के जनसम्पर्क अधिकारी प्रो. हर्ष कुमार सिन्हा ने रात में विज्ञप्ति जारी कर कहा कि यह घटना दुःखद और दुर्भाग्यपूर्ण है। छात्र के शिकायती पत्र पर कुलपति द्वारा त्वरित कार्रवाई करते हुए सम्बंधित व्यक्तियों से लिखित आख्या मांगी गयी थी। इस बीच विवि में अपरिहार्य कारणों से अवकाश रहा और ये पक्ष विवि खुलने पर ही प्राप्त हुए। नियंता द्वारा भी उसके प्रार्थनापत्र को पुलिस को अग्रसारित कर दिया गया था।

जनसम्पर्क अधिकारी ने कहा कि कुलपति ने इस प्रकरण पर तत्काल एक जांच समिति गठित कर दी है। प्रतिकुलपति प्रो एस के दीक्षित के संयोजकत्व वाली इस समिति में प्रो चंद्रशेखर तथा प्रो प्रदीप कुमार यादव सदस्य नामित किये गए है। जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषी के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जांच पूरी होने तक प्रो द्वारिकानाथ को विभागाध्यक्ष पद के दायित्व से विरत किया जाता है।

आरोपी शिक्षकों की सफाई

कला संकाय के डीन प्रो. सीपी श्रीवास्तव और विभागाध्यक्ष प्रो. द्वारकानाथ ने भी बयान जारी करते हुए दलित शोध छात्र दीपक कुमार के आरोपों को निराधार बताया है।

प्रो सीपी श्रीवास्तव ने कहा कि “यह घटना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। मुझे इसमें लांछित किया जाना भी दुर्भाग्यपूर्ण है। डीन के रूप में इसी 30 अगस्त 2018 को मैंने उनका शोध में पंजीकरण आदेश निकलवाया है। अतः ये कहना ठीक नहीं कि मैने उन्हें शोध से रोका। इस विश्वविद्यालय में अपनें 38 वर्षों के अध्यापन में मैंने किसी भी विद्यार्थी/शोधार्थी को जाति सूचक शब्द इस्तेमाल नहीं किया है।” उन्होंने कहा कि “दरअसल 2014 में मैंने प्रो. डी एन यादव के पुत्र श्री मनोज कुमार यादव जो क्रीमी लेयर होने के बावजूद नान क्रीमी लेयर बनकर यू जी सी जे आर एफ ले रहे थे उसकी वसूली के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को लिखा था. इसी का प्रतिशोध प्रो. डी एन यादव (प्रो. दीप नारायण) मुझसे ले रहे हैं। इसके लिए वे दीपक कुमार को गुमराह करके मोहरा बना रहे हैं।”

प्रो. द्वारका नाथ ने कहा है कि दीपक कुमार को उनके खिलाफ मोहरा बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि “मैंने दीपक कुमार का पीएचडी में रजिस्ट्रेशन किया है और उसके सभी प्रपत्रों पर हस्ताक्षर करता रहा हूँ. दीपक बीए और एमए में मेरा विद्यार्थी रहा है. कभी भी कोई आरोप नहीं लगाया गया है. मेरे निर्देशन में कई दलित छात्र शोध किये हैं और कभी किसी तरह का आरोप नहीं लगा है.” प्रो श्रीवास्तव ने कहा कि दीपक को मेरे विरुद्ध उकसाया जा रहा है और गुमराह किया जा रहा है. प्रो श्रीवास्तव ने भी इसके लिए दीपक के शोध निर्देशक प्रो दीप नारायण को जिम्मेदार बताया।

 

(गोरखपुर न्यूज़ लाइन से साभार)

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