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ग़ाज़ीपुर से सत्याग्रहियों की पदयात्रा दोबारा शुरू, लेकिन पुलिस ने की फिर घेराबंदी

अब पुलिस ने इन सत्याग्रहियों को दो ग्रुप में बांट दिया है। पुलिस की गाड़ी में बैठे बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के छात्र प्रियेश पांडे ने न्यूज़क्लिक को बताया, ‘हम लोग जहां रात में रुके थे, वहां आज सुबह पुलिस आई और हमें अपनी गाड़ी में ग़ाज़ीपुर के बाहर ले जा रही है...।'
Nagrik Sattyagrah

ग़ाज़ीपुर में गिरफ्तार सत्याग्रहियों को रविवार16 फरवरी की शाम पुलिस ने जेल से जमानत पर रिहा कर दिया। रिहा होते ही सत्याग्रहियों ने दोबारा पदयात्रा शुरू करने का ऐलान किया। जिसके बाद पुलिस ने एक बार फिर से इनकी घेराबंदी करनी शुरू कर दी।

आज, सोमवार, 17 जनवरी की सुबह जब सत्याग्रही फिर से यात्रा पर निकले तो पुलिस ने इनके समूह के 5-6 लोगों को हिरासत में ले लिया और कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए इन्हें ग़ाज़ीपुर जिले से बाहर बनारस ले जाने लगी।

पुलिस की गाड़ी में बैठे बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के छात्र प्रियेश पांडे ने न्यूज़क्लिक को बताया, ‘हम लोग जहां रात में रुके थे, वहां आज सुबह पुलिस आई और हमें अपनी गाड़ी में ग़ाज़ीपुर के बाहर ले जा रही है। पुलिस का कहना है कि हम लोगों को अनुमति नहीं है, जिले की शांति व्यवस्था भंग होने का खतरा है, इसलिए हमें बाहर ले जाया जा रहा है। जैसे-जैसे पुलिस थानों से हम आगे बढ़ रहे हैं पुलिस बल और गाड़ियां भी बढ़ती जा रही है। अभी हम 5-6 छात्रों के साथ भारी पुलिस बल और लगभग 15 गाड़िया पीछे हैं। हमें बस यही बताया गया है कि हम लोगों को बनारस ले जाया जा रहा है।'

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बता दें कि स्थाई रूप से पदयात्रा करने वाले सत्याग्रहियों में से चार लोगों ने इस यात्रा को आज सुबह ग़ाज़ीपुर से दोबारा शुरू किया है। इसमें बीएचयू के छात्र विकास सिंह, राज अभिषेक, पत्रकार प्रदीपिका सारस्वत और सामाजिक कार्यकर्ता मनीष शामिल हैं।

राज अभिषेक ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा, ‘हमारी सत्याग्रह यात्रा चौरीचौरा से शुरू होकर राजघाट को जा रही थी। इसे पुलिस ने ग़ाज़ीपुर में रोक दिया। हमें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया, लेकिन इस गिरफ्तारी ने पूरे ग़ाज़ीपुर जिले को एकजुट कर दिया। आज जब हमने दोबारा यात्रा शुरू की है तो 20-25 स्थानीय लोग हमारे साथ जुड़ गए हैं। जिसमें छात्र और सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल हैं। हम अमन, शांति और सद्भावना का संदेश लेकर चल रहे हैं। हम देश को हिंदू-मुस्लिम, जात-पात और बंटवारे की बातें छोड़कर रोज़गार, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि के मुद्दों पर चर्चा की बात कर रहे हैं।'

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राज आगे बताते हैं, ‘पुलिस हमारी सत्याग्रह यात्रा को पीएम मोदी के बनारस आने से जोड़ कर देख रही है, लेकिन हम पुलिस प्रशासन को बता देना चाहते हैं कि हमारी यात्रा का अंतिम पड़ाव दिल्ली ही है, प्रधानमंत्री वहीं रहते हैं, अब इस सत्याग्रह में चाहें जितनी रुकावटें आए, हम पीछे नहीं हटेंगे।'

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गौरतलब है कि लगभग 200 किलोमीटर की यात्रा करके 11फरवरी को नागरिक सत्याग्रह पदयात्रा गाजीपुर पहुंची थी। यहां पुलिस ने इन सत्याग्रहियोंं को गिरफ्तार कर लिया था। 12 फरवरी को इनकी ज़मानत के लिए एसडीएम ने अजीबो-गरीब शर्तें रखीं, इसके बाद13 फरवरी से इन सत्याग्रहियों ने जेल में भूख हड़ताल शुरू कर दी, जेल से भारतवासियों के नाम खत लिखा। शनिवार 15 फरवरी को इन लोगों के समर्थन में उपवास पर बैठे लोगों को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था।

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इस दौरान महिला लेखक और पत्रकार प्रदीपिका सारस्वत ने जेल से देश के नागरिकों को संबोधित करते हुए एक चिट्ठी भी लिखी। इस चिट्ठी में प्रदीपिका ने जेल का अपना अनुभव लिखा हैसाथ ही गाजीपुर जिले के जेल की अंदर की स्थिति को बयां किया है।

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प्रदीपिका के खत के अनुसार, 'जेल के भीतर दो बैरकों में 40 से अधिक महिलाएं हैं जबकि एक बैरक मात्र 6 बंदियों के लिए है। अधिकारी तक मानते हैं कि यहां पूरी व्यवस्थाएं नहीं है। अधिकतर महिलाएं दहेज प्रताड़ना के मामले में कैद हैं। कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं जिनका मामला पांच सालों से चल रहा है पर अब तक फैसला नहीं हुआ है। पांच साल तक निरपराध जेल में रहना? कानूनन जब तक जुर्म साबित नहीं हो जाता आप निरपराध ही तो होते हैं। यदि न्यायालय इन बंदियों को निरपराध घोषित कर दे तब? इनके पांच साल कौन लौटा सकेगा? यहां कुछ ऐसी भी महिलाएं हैं जिनकी जमानत के आदेश हो चुके हैं पर उनकी जमानत कराने वाला कोई नहीं।

इनकी जिम्मेदारी आखिर किसकी है? क्या किसी की नहीं? जेल में आकर आप एक ऐसे भारत से मिलते हैं, जो बेहद लाचार हैं। ये सब महिलाएं मुझे उम्मीद की नज़र से देखती हैं। इन्हें लगता है कि मैं इनके लिए कुछ कर सकूंगी। ये कहती हैं कि जैसे आपको बिना जुर्म जेल में लाया गया है, उसी तरह से हमें भी लाया गया है। यदि एक भी महिला सच कहती है तो ये हमारी न्याय-व्यवस्था की असफलता है।

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