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नोएडा : जनता के विरोध के कारण सेक्टर 123 में नहीं बनेगा डंपिंग ग्राउंड !

नोएडा में कूड़े की समस्या को लेकर लंबा आन्दोलन चला जिसमें कई लोग घायल भी हुए| जिसके बाद सरकार ने फैसला किया है कि सेक्टर 123 में बनने वाला अपशिष्ट ऊर्जा (डब्ल्यूटीई) संयंत्र अब यहहाँ नहीं बनेगा। इसे यहाँ से हटा दिया जाएगा।
लैंडफिल साईट
Image Courtesy: Haryana - Punjab Kesari

नोएड सेक्टर 123 में बनने वाले अपशिष्ट ऊर्जा (डब्ल्यूटीई))संयंत्र को लेकर काफी समय से जनता का विरोध प्रदर्शन जारी था जो अब खत्म होता दिख रहा हैI अंततः आंदोलन करने वालों की  जीत हुई और प्रशासन को उनके सामने झुकना पड़ा.I

शुक्रवार को सरकार ने यह फैसला लिया  कि सेक्टर 123 में बनने वाला अपशिष्ट ऊर्जा (डब्ल्यूटीई))संयंत्र अब यहाँ से हटाकर  कहीं और ले जाया  जाएगा। हालांकि अभी तक नयी जगह के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है।

हालांकि, यहाँ की कूड़े की समस्या  जस की तस बनी हुई हैI मुख्यमंत्री योगी एक जनसभा के दौरान लोगों को खुश करने के लिए बोल तो दिया और अधिकारियों को आदेश दिया कि रिहाशी इलाकों में इस तरह कूड़े के डंपिंग ग्राउंड  नहीं बनाये जाए | परन्तु उन्होंने इसका कोई भी  विकल्प नहीं दिया है| नगरपालिकाके अनुसार  नोएडा के इन क्षेत्रों में लगभग 650 टन कूड़ा रोजना उत्पन्न होता है। लेकिन अब तक संबंधित विभाग इस महत्वपूर्ण समस्या का हल ढूंढने असफल रहा है। 

नोएडा में  कूड़े की समस्या को लेकर लंबा आन्दोलन चला है इसमें कई लोग घायल भी हुए थे| इस आन्दोलन ने सरकार का ध्यानाकर्षण के लिए अलगअलग तरीको से विरोध प्रदर्शन किये| वहाँ के स्थानीय युवाओं ने अर्ध नग्न होकर प्रदर्शन किया | इसके बाद वहाँ महापंचायत  बुलाई गयी, जिसमें आगे की रणनीति बनाने पर चर्चा हुई और फिर एक डंपिंग ग्राउंड संघर्ष समिति बनायी गयी|

अर्धनग्न प्रदर्शन

 इन नये तरीको में से सबसे चौकने वाले कदमों में एक था 21 जून को जब  अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर  नोएडा सेक्टर 121-122 निवासियों ने सेक्टर 123 के पास बन रही लैंडफिल साईट के विरोध में अनोखा योग प्रदर्शन किया । योगा दिवस सभी निवासी मुँह  पर मास्क लगा कर बैठेI  एक छोटी बच्ची ने तो ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ भी अपना विरोध जताया।

योग के जरिए विरोध

योग दिवस में जहाँ पूरे विश्व में बड़े–बड़े लोग अपने  योग के वीडियो सोशल मीडिया पर डाल रहे थे वहीं नोएडा  सेक्टर 123 में आंदोलन कर रहे लोगों ने सुबह 6 बजे योग शुरू किया| लैंडफिल साईट विरोधी नारेबाज़ी के बीच लोगों ने कचरा योग, कचरा आसन, बदबू आसन, सड़न आसन के अलावा रोगी आसन कर विरोध जताया|  यही नहीं इसकी एक वीडियो बनाकर पीएमओ व प्रशासन को भेजी गयी| ताकि जन प्रतिनिधियों को यह मालूम हो सके कि यहाँ भविष्य में हाल क्या होगा! गौरतलब है कि इस आन्दोलन में  सामाजिक समरसता का एक अलग तरीके से चित्रण हुआI जहाँ समाज में आमतौर पर  किन्नरों के प्रति गलत धारणा और रवैया देखने को मिलता है, उन पर फब्तियाँ कसी जाती हैंI  वहीं इस आन्दोलन में  उन्हें साथ  लेकर  इसे और तेज़  किया गया| यहाँ पर महिलाओं ने किन्नरों के साथ मिलकर आंदोलन किया| इसके बाद और भी   तादाद में प्रदर्शनकारियों की भीड़ डंपिंग ग्राउंड की सर्विस रोड की तरफ उमड़ी| यहाँ पर योग दिवस पर  योग करके प्रधानमंत्री मोदी को एक अलग तरह  का फिटनेस चैलेंज भी दिया|

सरकारों को यह समझना होगा कि इस तरह के प्रस्तावों को निरस्त कर वो कुछ समय के लिए   जनता का दिल तो जीत सकते है परन्तु इससे किसी भी समस्या का  पूर्णकालिक समाधान नहीं निकलता|

 हमें  कूड़ा प्रबन्धन के अन्य उपायों की ओर जाना होगा नहीं तो स्थिति और भी भयावह हो जाएगी, क्योंकि एनसीआर क्षेत्र में कूड़े का ढेर बढ़ता ही जा रहा है | कई पर्यावरणविदों का कहना है कि दिल्ली एनसीआर कूड़े के ज्वालामुखी पर बैठे हैं और ये कभी भी फट सकता है|

सरकार भी यह मानती है और इसीलिए उसने स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) में प्रमुख रूप दिशानिर्देश दिये हैं कि कूड़े के निपटारेके लिए लैंडफिल साइट्स और अपशिष्ट उपचार संयंत्र से बचना चाहिए | परन्तु उन्हें  इस पर अम्ल भी करना पड़ेगा,  वरना  स्थिति और भी गंभीर होगी I

 

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