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दिल्ली के बाद अब नोएडा भी कूड़े के कारण उबल रहा है

स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम)में प्रमुख रूप दिशानिर्देश दिया है कूड़े के निपटान के लिए लैंडफिल साइट्स और अपशिष्ट उपचार संयंत्र से बचना चाहिए |
कूड़ा

दिल्ली के बाद अब नोएडा और ग्रेटर नोएडा भी कचरा निपटान की समस्याओं का सामना कर रहे हैं | जिसमें कुछ  दिनों पहले ठोस कचरा प्रबंधन के मुद्दे राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा जारी एक आदेश के बाद से सेक्टर 123 में एक प्रस्तावित अपशिष्ट ऊर्जा (डब्ल्यूटीई) संयंत्र,  के करण वहां के नागरिकों और प्रशासन के बिच तनाव जारी है । कई दिनों से चल रहे  विरोध प्रदर्शन के बाद लगभग 80 आन्दोलनकारियों को गिरफ्तार कर लिया है |

ये समस्या दिल्ली एनसीआर में कोई नई नही है ,अभी कुछ दिनों पहले दिल्ली के प्रस्तावित दो लैंडफिल साईट  सोनिया विहार और गौंडा गुजरना को लेकर काफी विवाद रहा था | जिस को लेकर सभी राजनितिक दलों ने विरोध प्रदर्शन किया था | अभी ये ममला उच्चतम न्यायालय में है और अभी इस पर स्टे है |

वहां के लोगो का कहना है की नोएडा के इन क्षेत्रों में लगभग 650 टन कूड़ा नगर पालिका उत्पन्न करती है। लेकिन अब तक संबंधित विभाग इस महत्वपूर्ण समस्या का हल ढूंढने असफल रही  हैं। कुछ समय सेक्टर 138 ए में एक खाली प्लाट में  कचरा डाला जा रहा था। लेकिन राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 10 अक्टूबर 2017 को इस डंपिंग पर प्रतिबंध लगा दिया है ।

ग्रेटर नोएडा में पहले असोली को ठोस कचरे को डंप करने के लिए चयन किया गया था। यह एक 110 एकड़ प्लाट है जिसे इस ठोस कचरे को डंप करने के लिए विकसित किया जाना चाहिए। यह एक रहस्य है कि क्यों लैंडफिल साइट / अपशिष्ट उपचार संयंत्र के लिए असोली विकसित नहीं किया गया? जिसके वजह से अब सेक्टर 123 में एक क्षेत्र का चयन किया है, जिसका उपयोग नोएडा में कचरे के लिए लैंडफिल के रूप में किया जाएगा। यह साजिश प्लाट 25 एकड़ का  है, जो 110 एकड़ असोली से बहुत छोटी है।

यह साइट ग्रुप हाउसिंग सोसाइटीज के बहुत बड़े समूह (सेक्टर 119, 120, 121 और 122 अन्य क्षेत्रों के बीच) के बीच में है। यह कृषि भूमि के साथ –साथ तीन बड़े आबादी वाले गांवों के पास भी है। हिंडन नदी मैदान भी पास में ही हैं। बाढ़ के मैदानों के पास इस तरह के लैंडफिल या अपशिष्ट उपचार संयंत्र की अनुमति नहीं है। ये सब  ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 में अनुचित है।

समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद सुरेन्द्र नागर ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा की “ये सब निजी कम्पनियों को फायदा पहुचने के लिए किया जा रहा है | क्योंकि कूड़ा निजी लोगो द्वरा  ढोया जाता है , असोली दूर है इस जगह की तुलना में जिससे वहां कूड़े को ले जाने में ज्याद पैसे लगेंगे उन्हें राहत देने के लिए लोगो के जीवन से खेला जा रहा है” |

उन्होंने आगे कहा की लैंडफिल साइट / अपशिष्ट उपचार संयंत्र के लिए  के लिए आवश्यक निकासी (क्लीयरन्स )भी  नही लिया है | नया अपशिष्ट प्रबंधन परियोजना स्थापित करते समय पर्यावरण दिशानिर्देशों का पालन किया जाना चाहिए।

उन्होंने प्रशासन से प्रश्न किया की, “क्या नोएडा अथॉरिटी द्वारा पर्यावरण के दिशानिर्देश क्या निर्धारित(लागु) किए गए हैं? क्या इन साइटों को नियंत्रित करने के लिए कोई नीति बनाई गई है? अगर ये ये नीतियां बनी है तो इसके दिशानिर्देश सार्वजनिक रूप से लोगो को बताना चाहिए  और इसकी जांच में होना चाहिए” ।

दूसरी तरफ़ नोएडा अथॉरिटी  का कहना है की 8 जून तक इस साईट को  तैयार करना है इसलिए इनका  काम जारी रहेगा| अगर किसी को कोई दिक्कत है तो कोर्ट जाने का रास्ता खुला है ,अगर कोर्ट मना करेगा तो कम रुक जाएगा |

हमने हमेशा ही देखा है की जब भी इस तरह का मुद्दा आता है तो सभी एक दुसरे पर आरोप लगती है परन्तु सरकारों को इस पर गंभीर रूप से विचार करने की जरुरुत है क्योंकि इस ओर अभी भी नही सोचा गया तो स्थिति और भी गंभीर होगी | क्योंकि एनसीआर में रोजाना लाखो टन कूड़ा निकलता है | इसका उचित प्रबन्धन आवश्यक है,नही तो गाजीपुर लैंडफिल और भलस्वा के रूप में मौत का पहाड़ देख रहे है | हमे उन से सबक लेना चहिए  स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय नई नीति पर काम कर रहा है। इन साइटों को प्रबंधित करने के लिए नई नीति बना रहा है ,जल्द ही इन्हें खत्म कर दिया जाएगा ।

हम देखते है की गर्मी के मौसम में इस तरह के कचरे के ढ़ेरों में आग लगना सामन्य बात है, इसका कारण है कचरे के ढेरो में से कई रासयनिक गैसे  निकलती जिसके हवा में मौजूद ऑक्सीजन के संपर्क में आने से आग लगने जैसी घटना घटित होती है जो कि रिहायशी इलाके में लैंडफिल के होने से लोगों की जान-माल को हमेशा ही खतरा बना रहेगा|

हमे इनके कूड़ा प्रबन्धन के अन्य उपयो की ओर जाना होगा नही तो स्थिति और भी भयवह होगी क्योंकि कूड़े का ढेर बढ़ता ही जा रहा है | कई पर्यावरणविदो का कहना है की दिल्ली एनसीआर कूड़े ज्वालामुखी पर है ये कभी भी फट सकता है |

सरकार भी ये मानती है इसलिए उसने स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम)में प्रमुख रूप दिशानिर्देश दिया है कूड़े के निपटान के लिए लैंडफिल साइट्स और अपशिष्ट उपचार संयंत्र से बचना चाहिए | परन्तु उन्हें वास्तव में भी इस पर अम्ल करना पड़ेगा नही तो स्थिति और भी गंभीर होगी I

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