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“पीड़ित को दोष देने की सोच की वजह से हरियाणा रेप का गढ़ बना”

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के महिलाओं को लेकर दिए गए आपत्तिजनक बयान के खिलाफ जनवादी महिला समिति, भारत की जनवादी नौजवान सभा और दूसरे संगठनों ने सोमवार को दिल्ली के हरियाणा भवन के सामने विरोध प्रदर्शन किया।

manohar lal khattar
image courtesy: NDTV.com

रविवार को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का एक वीडियो सामने आया जिसमें उन्होंने महिलाओं के प्रति एक संवेदनहीन बयान दिया है। इस वीडियो में खट्टर किसी सभा को संबोधित कर रहे हैं।

वीडियो में खट्टर ने कहा “रेप की घटनाएं बढ़ी नहीं हैं, पहले भी ऐसी घटनाएं होती थीं और आज भी होती हैं। सबसे बड़ी चिंता यह है कि रेप और छेड़छाड़ की घटनाएं 80 से 90 प्रतिशत जानकारों के बीच में होती हैं। एक दूसरे को जानते हैं I बहुत घटनाएं तो ऐसी होती हैं जिसमें काफी समय तक इकट्ठे घूमते रहते हैं और एक दिन थोड़ी गड़बड़ हो गई, तो उस दिन उठाकर के एफआईआर करवा देते हैं कि इसने मुझे रेप किया।”

इस बयान के जरिये साफतौर पर यह संकेत दिया जा रहा है कि ज़्यादातर महिलाएं सहमति से बनाए गए संबंधों को लड़ाई होने पर रेप कह देती हैं। यह साफ तौर पर पीड़ित पर ही दोष मढ़ देने की रूढ़िवादी सोच से निकाला हुआ बयान लगता है।

खट्टर के इस बयान के बाद हर तरफ से तीखी प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस पर ट्विटर पर लिखा है “अगर किसी प्रदेश के CM ऐसा सोचते हैं, तो वहाँ लड़कियाँ सुरक्षित कैसे हो सकती हैं? CM साहिब रेप को justify कर रहे हैं। यही कारण है कि हरियाणा में रेप बढ़ रहे हैं और बलात्कारी पकड़े नहीं जाते, खुले घूम रहे हैं।

काँग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा है कि मुख्यमंत्री खट्टर की महिला विरोधी सोच सबके सामने आ गई है और उनका यह बयान बेहद निंदनीय है। लगातार हो रहे रेप और गैंग रेप की घटनाओं के लिए महिलाओं को ही दोषी ठहराना खेदजनक है।

मुख्यमंत्री के इस बयान के खिलाफ जनवादी महिला समिति, भारत की जनवादी नौजवान सभा और दूसरे संगठनों ने आज, सोमवार को दिल्ली के हरियाणा भवन के सामने विरोध प्रदर्शन किया।

न्यूज़क्लिक ने बात करते हुए अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा) की पूर्व महासचिव जगमति सांगवान ने कहा “हरियाणा जिस तरह से रेप का गढ़ बन गया है उसके पीछे पीड़ित को दोष देने की यही सोच ज़िम्मेदार है। मुख्यमंत्री इस तरह के बयान देते हैं और महिला सुरक्षा के लिए कुछ भी नहीं किया जाता। इसी तरह की सोच की वजह से आज अपराधियों के हौसले बढ़ गए हैं। हम मुख्यमंत्री से पूछना चाहते हैं कि क्या गैंगरेप कि घटाएँ भी जान पहचान के लोगों में ही होती हैं? क्या वह सहमति से हो रहे हैं? यह लोग महिलाओं कि आज़ादी पर लगाम लगाना चाहते हैं, ये नहीं चाहते कि महिलाएं घरों से बाहर निकलें और कुछ भी करें।’’

बता दें कि महिला सुरक्षा के मामले में हरियाणा की स्थिति बहुत ही ख़राब है। एनसीआरबी के आंकड़ों के हिसाब से 2016 में हरियाणा में 191 गैंगरेप के मामले सामने आए थे, इन घटनाओं की राष्ट्रीय दर जहाँ 0. 3 % है वहीं हरियाणा में यह दर 1. 5 % है। इसका अर्थ है कि हरियाणा में हर दो दिन में एक गैंगरेप की घटना होती है। हरियाणा की गैंगरेप दर देश में सबसे ज़्यादा है ।

वहीं 2016 में हरियाणा में रेप के कुल 1,187 मामले सामने आये थे। जहाँ इन मामलों की राष्ट्रीय दर 6.1% वहीं हरियाणा में यह दर 9.4% है।

हरियाणा विधानसभा में दिये गए आंकड़ों के हिसाब से सितंबर 2014 से अगस्त 2015 तक रेप के मामलों में भारी बढ़ोतरी हुई है। पुलिस के आंकड़ों के हिसाब से सितंबर 2014 से सितंबर 2015 तक 961 रेप के मामले दर्ज़ हुए। 2015 से 2016 तक यह आंकड़ा बढ़कर 1026 हो गया और 2016-2017 तक यह बढ़कर 1193 और 2017 -2018 तक यह 1413 हो गया था।  

यह आंकड़े साफ तौर पर दिखा रहे हैं रेप और गैंगरेप के मामलों में हरियाणा की स्थिति बहुत ही खराब है। लेकिन यह शायद खट्टर जी कि महिला विरोधी सोच ही है जो इस सबके लिए महिलाओं को ही दोष दे रहे हैं। वैसे यह पहली बार नहीं है कि हरियाणा के मुख्यमंत्री ने ऐसा महिला विरोधी बयान दिया हो। 2014 में सत्ता में आने के कुछ ही दिनों बाद उन्होंने कहा था कि बलात्कार के मामलों को रोकने के लिए महिलाओं को ठीक कपड़े पहनने चाहिए।

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