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केरल में वाममोर्चे की ऐतिहासिक जीत से विपक्ष में अफरा-तफरी

केरल में विधानसभा चुनावों के पहले जो कांग्रेस, भाजपा द्वारा तोड़े जाने की आशंका से ग्रस्त थी, अब वह भारी अंतर्कलह से गुजर रही है। वहीं, मुस्लिम लीग भी एक के बाद एक विवादों में फंसती जा रही है। ऐसे में, वामपंथ की चुनाव में ऐतिहासिक जीत ने विपक्ष को पूरी तरह से छिन्न-भिन्न कर दिया है। 
केरल में वाममोर्चे की ऐतिहासिक  जीत से विपक्ष में अफरा-तफरी

केरल प्रदेश युवा कांग्रेस के पूर्व अद्यक्ष एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के महासचिव अनिल कुमार ने मंगलवार को तिरुवनंतपुरम में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पार्टी से अपने त्यागपत्र देने की घोषणा की। इसके बाद वह माकपा के प्रदेश मुख्यालय गए और वहां उन्होंने घोषणा की कि वे अब सीपीआई (एम) के साथ काम करेंगे। इसके साथ ही, अनिल कुमार केरल में उन वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं की सूची में शामिल हो गए हैं, जिन्होंने या तो पार्टी छोड़ दी है या चुनाव हार गए हैं। अनिल कुमार ने अपने इस्तीफे की घोषणा कांग्रेस से निलंबित किए जाने के दो हफ्ते बाद की है, जब उन्होंने पार्टी की तरफ जिला कांग्रेस कमिटी के अध्यक्षों की तैयार की गई सूची पर खुलेआम अपना अंसतोष जाहिर किया था। 

इसी बीच, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आइयूएमएल) की राष्ट्रीय कमेटी ने सोमवार को जारी एक विज्ञप्ति में घोषणा की कि फातिमा ताहिलिया को “गंभीर अनुशासनहीनता” की वजह से मुस्लिम स्टुडेंट्स फेडरेशन (एमएसएफ) की राष्ट्रीय उपाद्यक्ष के पद से हटा दिया गया है। यह फैसला हरिथा की राज्य स्तरीय कमेटी के सदस्यों द्वारा एमएसएफ नेतृत्व पर यौन शोषण के आरोप लगाने के बाद किया गया। हरिथा एमएसएफ की महिला ईकाई है। इसके पहले, आइयूएमएल ने “बार-बार की जा रही अनुशासनहीन गतिविधियों” के मद्देनजर हरिथा की कमेटी को भंग कर दिया था। हरिथा के सदस्यों द्वारा लगाए जा रहे आरोपों के चलते उत्पन्न विवाद और इस पर आइयूएमएल की कार्रवाई ऐसे समय हुई है, जब पार्टी पहले से ही अपने पर लगे भ्रष्टाचार एवं मनीलॉंड्री के आरोपों से बुरी तरह घिरी हुई है। 

विपक्ष यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) का संकट अवश्यम्भावी है, अभी कुछ ही महीने हुए हैं, जब सत्ताधारी लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) ने प्रदेश विधानसभा की 140 सीटों में से 99 हासिल कर ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। 

कांग्रेस में   गुटीय झगड़े और अंतर्कलह

केरल में कांग्रेस की दुर्दशा अप्रैल में हुए विधानसभा चुनावों के काफी पहले से ही स्पष्ट थी।  भाजपा से प्रदेश में दमदार तरीके से लड़ने की उसकी अक्षमता ने कांग्रेस के कई कार्यकर्ताओं को बुरी तरह से असंतुष्ट-निराश कर दिया था। तभी तो लोकसभा में चार बार कांग्रेस का नेतृत्व किए हुए पीसी चाको ने इसके विरोध में अपना पहला इस्तीफा दिया था।  कई नेताओं में तो कांग्रेस की सांगठनिक कमजोरी और गुटबाजी को ही भाजपा में शामिल होने की वजह बताई थी।  कन्नूर के सांसद के. सुधाकरण तब कहा था, कांग्रेस के यह चुनाव हारने के बाद पार्टी का एक मजबूत वर्ग भाजपा में शामिल हो जाएगा।

कांग्रेस के विधानसभा चुनाव  हारने और कुल 21 सीटों पर ही सिमट जाने के बाद,  पार्टी स्तर पर फेर-बदल किए गए थे। सुधाकरण के साथ ही,  विधायक  टी सिदद्दीकी, पीटी थॉमस, एमपी कोडिकुन्निल सुरेश ने  पार्टी के कार्यकारी अध्यक्षों के रूप में कार्यभार ग्रहण किया था। 57 वर्षीय वीडी सतीसन  को विपक्ष का नेता नियुक्त किए जाने राज्य में ‘पीढीगत परिवर्तन लाने’ के राष्ट्रीय नेतृत्व के एक प्रयास के रूप में देखा गया था, जो पार्टी ओमन चांडी और रमेश चेन्निथला के नेतृत्व में टिकटों के बंटवारे को लेकर सार्वजनिक चिक-चिक और गुटबाजी का अखाड़ा बन गई थी। हालांकि,  चुनाव के मुश्किल से 100 दिन बीते हैं,  पार्टी के आंतरिक झगड़े एक बार खुलेआम हो गए हैं और राज्य नेतृत्व पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच किसी तरह नैतिक आधार को बनाए रखने की जद्दोजहद कर रहा है। 

28 अगस्त को,  पार्टी की राज्य इकाई ने लंबे विचार-विमर्श के बाद, जिला कमेटी के अध्यक्षों की एक नई सूची को अंतिम रूप दिया और फिर उसे जारी कर दिया। अनिल कुमार और विधायक शिवदासन नायर, जिन्होंने इन अध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया पर सवाल उठाना जारी रखा था, उन्हें पार्टी का अनुशासन भंग करने आरोप में उस दिन ही निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद, चांडी और चेन्निथला ने भी राज्य नेतृत्व पर हमला बोल दिया और बिना पर्याप्त विचार विमर्श किए ही जिला अध्यक्षों की सूची बनाने एवं उसे जारी करने का आरोप लगाते हुए नेतृत्व की निंदा की। केपीसीसी के सदस्य एवी गोपीनाथ ने इसके विरोध में  एक भावुक कर देने वाला भाषण दिया और इसके बाद उन्होंने अपना इस्तीफा दिया। इसी दरम्यान, कांग्रेस के प्रदेश सचिव पीएस पारसनाथ ने राहुल गांधी को एक चिट्ठी लिखी जिसमें उन्होंने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआइसीसी) के महासचिव केसी वेणुगोपाल पर सुधाकरण और सतीसन द्वारा अपने विश्वस्तों को पार्टी में प्रमुख ओहदे दिलाने के प्रयासों में अपनी भूमिका निभाने का आरोप लगाया। उन्होंने राहुल गांधी का ध्यान इस तरफ खींचा कि पार्टी कार्यकर्ता वेणुगोपाल की  भाजपा से सांठगांठ होने की बात कहते हैं। सुधाकरण ने पार्टी से निष्कासित किए जाने के बाद,  घोषणा की की वह माकपा के साथ काम करेंगे और कहा कि यही एक पार्टी है, जो भाजपा के नेतृत्व में सांप्रदायिक ताकतों  का  धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के जरिए मुकाबला करने में सक्षम है।  

सुधाकरण और सतीसन,  जो पहले चांडी और चेन्निथला के साथ केपीसीसी के अन्य नेताओं पर भारी हमलावर हुआ करते थे, उन्होंने उनके साथ बंद कमरे में बैठक के जरिए एवं पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं को देखते हुए अपने रुख में बदलाव कर लिया था। हालांकि कांग्रेसी नेताओं  के पार्टी छोड़ना जारी रहने का मतलब है कि उन्हें आगे काफी काम करना है। स्थिति को  और बदतर बनाते हुए, भारतीय राष्ट्रीय युवा कांग्रेस की केरल इकाई भी युवा इकाई के प्रवक्ताओं की सूची के  विरोध में पार्टी नेतृत्व के प्रति हमलावर हो गई है। वह सूची तो तब से ही ठंडे बस्ते में डाल दी गई है, लेकिन उसमें  पार्टी के वरिष्ठ नेता तिरुवंचूर राधाकृष्णन के बेटे अर्जुन राधाकृष्णन को युवा कांग्रेस का प्रवक्ता नियुक्त किया गया है, राधाकृष्ण के लिए यह नियुक्ति सुधाकरण की हिमायती की एवज में दी गई है। 

मुस्लिम लीग भी विवादों के घेरे में

एमएसएफ की महिला शाखा, हरिथा की राज्य कमेटी के 10 सदस्यों,  ने अपनी शिकायतों को लेकर आइयूएमएल के राज्य नेतृत्व से संपर्क किया था। इसके पहले, उन लोगों ने 22 जून को एमएसएफ की राज्य कमेटी से भी मुलाकात की थी। गौरतलब है कि आइयूएमएल यूडीएफ में कांग्रेसी की सबसे बड़ी सहयोगी पार्टी है।  हरिथा के इन सदस्यों ने एमएसएफ के राज्य अध्यक्ष पीके नवास  और मलप्पुरम जिले के महासचिव वी अब्दुल वहाब पर बैठक के दौरान अश्लील भाषा का इस्तेमाल करने और अपमानजनक फब्बतियां कसने का आरोप लगाया था। आइयूएमएल  नेतृत्व के किसी तरह की कोई कार्रवाई किए जाने से इनकार के बाद हरिथा नेताओं ने 12 अगस्त को राज्य महिला आयोग से अपनी  शिकायत की थी और पुलिस में भी मामला दर्ज कराया था।  

इसके बाद तो, आइयूएमएल ने हरिथा की राज्य कमेटी को ही निलंबित कर दिया। कार्यवाहक महासचिव पीएमए सलाम ने हरिथा नेताओं के इस कदम को ‘पार्टी अनुशासन का गंभीर उल्लंघन’ माना। एमएसएफ के राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा नवास के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा करने वाली रिपोर्ट और हरिथा सदस्यों के व्यापक प्रदर्शन को दरकिनार करते हुए आइयूएमएल ने हरिथा की राज्य कमेटी को ही प्रतिबंधित कर दिया और उसकी जगह पिछले हफ्ते एक नई कमेटी गठित कर दी, जिसकी अध्यक्ष पीएच आएशा बानो को बनाया गया है। बानो के बारे में कहा जाता है कि वे पहले की कमेटी में शामिल एकमात्र सदस्या थीं, जिन्हें एक सदस्य और थी,  जिन्होंने हरिथा सदस्यों की शिकायत पर दस्तखत करने से इनकार कर दिया था। एमएसएफ की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष  फातिमा ताहिलिया की इस टिप्पणी के बाद कि उन्हें पार्टी का फैसला अस्वीकार्य है, अब उन्हें पार्टी के पद से बेदखल कर दिया गया है। 

इसी बीच,  नवास को  कोझिकोड में चेम्मनगड  पुलिस ने  उनके विरुद्ध दर्ज मामले में गिरफ्तार कर लिया। नवास पर ‘महिला का शील भंग’ करने के अभियोग में भारतीय दंड संहिता की धारा 354ए लगाई गई है। हालांकि बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया। हरिथा की पूर्व नेताओं ने,  आज इसके पहले मीडिया से बातचीत में खुलासा किया कि नवास के खिलाफ मामला दर्ज कराने के बाद से उन पर साइबर-हमले किए जा रहे हैं। नवास उनके साथ ब्लैकमेल कर रहा है कि वह अपने कब्जे वाली तस्वीर को सार्वजनिक कर देगा। 

आइयूएमएल  पर यह संकट तब आया है, जब वह पहले से ही भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोपों का सामना कर रहा है। पिछले महीने की शुरुआत में, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पनक्कड़ सैयद हैदराली शिहाब थंगल के बेटे मोयिन अली ने राष्ट्रीय महासचिव पीके कुन्हालीकुट्टी पर धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया था। अली का यह आरोप इसके बाद आया, जब उनके पिता थंगल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनीलॉन्ड्रिंग मामले में नोटिस दिया है।  थंगल पर पार्टी के मुखपत्र चंद्रिका  डेली के खाता नंबर का दुरुपयोग करने का आरोप है।  अली और कुन्हालीकुट्टी दोनों को अब ईडी के सवालों के सामना करना है। पूर्व सार्वजनिक कार्य मंत्री वीके इब्राहिम कुंजु भी चंद्रिका डेली से जुड़े ऐसे ही मामले में संदेह के घेरे में हैं। सीपीआइएम समर्थित विधायक और पूर्व मंत्री केटी जलील ने  भी मलप्पुरम जिले में मुस्लिम लीग शासित एआर नगर कोऑपरेटिव बैंक में फर्जी बैंक अकाउंट के जरिए सैकड़ों करोड़ों रुपयों के अवैध निवेश का आरोप  लगाया है। 

वाम मोर्चा बढ़ रहा है 

कांग्रेस में जिला कमेटी के अध्यक्ष पदों पर नियुक्ति पर उठा सार्वजनिक घमासान यूडीएफ  के उसके सहयोगियों द्वारा लाया गया है, जिनमें आइयूएमएल और रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) शामिल हैं।  आरएसपी नेताओं ने आरोप लगाया है कि विधानसभा चुनाव अभियान में विफलता को लेकर उसके उठाए गए सवाल को कांग्रेस ने कोई तवज्जो नहीं दी है। बुधवार को कोझीकोड जिला कमेटी के दफ्तर में माकपा की तरफ से स्वागत समारोह में मीडिया से बातचीत में पूर्व कांग्रेस नेता अनिल कुमार ने कहा कि कांग्रेस का चेहरा साम्यवाद विरोधी है और देश के धर्मनिरपेक्ष ढांचे पर संघ परिवार के हमले के खिलाफ लड़ाई में पार्टी की हैसियत एक मूकदर्शक की रह गई है। कांग्रेस से मोहभंग हो चुके अनेक नेताओं के साथ सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने भी पार्टी छोड़ दी है। 

कांग्रेस नेताओं प्रशांत और अनिल कुमार के लिए माकपा के स्वागत को एक ऐसे कदम के रूप में देखा जा रहा है, जो भविष्य में इस तरह के और अधिक दलबदल को प्रोत्साहित करेगा। हालांकि सीपीआइएम ने उन्हें अपनी पार्टी में शामिल नहीं किया है,  लेकिन यह समझा जाता है कि वह उन्हें अपने जन संगठनों में भूमिका देगी, जो वाम विचारधारा के प्रति सहानुभूति रखते हैं।  इस परिघटना के साथ ही, कांग्रेस छोड़ आए पूर्व सांसद पीसी चाको  की वह भविष्यवाणी भी जल्द ही वास्तविकता में बदल जाएगी। 

एलडीएफ के संयोजक ने कहा कि,“कांग्रेस में मौजूदा संकट इसलिए है कि वह लोगों के हितों के  मुताबिक काम करने में विफल हो गई है।"  इन झमेलों के बीच, लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) अपने धर्मनिरपेक्ष रुख-रवैये और विकास की वैकल्पिक नीतियों का लाभ उठा रहा है। इसलिए आने वाले दिनों में और भी नेता एलडीएफ में शामिल होंगे।”

अंग्रेजी में मूल रूप से प्रकाशित लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें

Opposition in Kerala in Disarray After the Left’s Historic Election Win

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