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पत्रकारिता के अपने चालीस सालों में मैंने कभी इतना ज़हरीला माहौल नहीं देखा : निखिल वाघले

एक कन्वेंशन में बोलते हुए वरिष्ठ पत्रकार निखिल वाघले ने कहा कि वैसे पत्रकारों को तो पहले भी धमकियाँ मिलती थीं लेकिन हालात इतने ख़राब नहीं थे जितने आज हैं। आज जो हो रहा है वैसा इस देश के इतिहास में कभी नहीं हुआ और इसके बारे में तात्कालिक तौर पर कुछ करने की ज़रुरत है।

एक कन्वेंशन में बोलते हुए वरिष्ठ पत्रकार निखिल वाघले ने कहा कि वैसे पत्रकारों को तो पहले भी धमकियाँ मिलती थीं लेकिन हालात इतने ख़राब नहीं थे जितने आज हैं। आज जो हो रहा है वैसा इस देश के इतिहास में कभी नहीं हुआ और इसके बारे में तात्कालिक तौर पर कुछ करने की ज़रुरत है। 

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