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कोविड-19 चिकित्सा उत्पादों पर ट्रिप्स छूट की मांग को लेकर जन आंदोलनों, ट्रेड यूनियनों और वाम दलों ने हाथ मिलाया

ओमिक्रॉन वैरिएंट के सामने आने के बाद 12वें विश्व व्यापार संगठन के मंत्रिस्तरीय सम्मेलन को रद्द कर दिया गया है और ट्रेड यूनियन, नागरिक समाज संगठन और वामपंथी पार्टियां कोविड-19 चिकित्सा उत्पादों को लेकर ट्रिप्स से जुड़ी इस छूट के पक्ष में कार्रवाई के सिलसिले में लामबंद हो गये हैं।
Geneva
जिनेवा में ट्रिप्स छूट के समर्थन में विरोध प्रदर्शन।

विभिन्न ट्रेड यूनियन, प्रगतिशील दल और नागरिक समाज समूह ने 30 नवंबर की सुबह जिनेवा में एक साथ बैठक की, जिसमें कोविड-19 चिकित्सा उत्पादों के लिए उस बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार-संबंधित पहलुओं पर समझौता (Agreement on Trade-Related Aspects of Intellectual Property Rights-TRIPS) के छूट प्रस्ताव के पक्ष में अपना समर्थन जताया, जिसे पिछले साल दक्षिण अफ़्रीका और भारत की सरकारों की ओर से विश्व व्यापार संगठन से सामने प्रस्तुत किया गया था।

कार्यकर्ताओं ने विश्व व्यापार संगठन के 12वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (MC12) के आसपास आयोजन की योजना बनायी थी, जो 30 नवंबर से 3 दिसंबर तक होने वाला था। जहां कई यूरोपीय देशों की ओर से कोविड-19 के ओमिक्रॉन वैरिएंट के चलते यात्रा पर प्रतिबंध लगाने के बाद MC12 को रद्द कर दिया गया है, वहीं नागरिक समाज ने टीकों और अन्य चिकित्सा उत्पादों को सभी के लिए सुलभ बनाने को लेकर ज़बरदस्त प्रतिबद्धता दिखाते हुए अपनी योजनाओं के साथ आगे बढ़ने का विकल्प चुना है। 

वैक्सीन रंगभेद: नये वैरिएंट की बड़ी वजह

कार्रवाई का यह दिन जिनेवा में मौजूदा संगठनों और विभिन्न देशों में विकेंद्रीकृत विरोधों की एक श्रृंखला में बदल जाने वाली कार्रवाइयों की एक श्रृंखला जारी रखने वाले उन संगठनों की ओर से संयुक्त प्रेस कॉन्फ़्रेंस के साथ शुरू हुआ, जिन्हें यात्रा प्रतिबंध के कारण घर पर रहने के लिए मजबूर किया गया था।

इस यात्रा प्रतिबंध और वैक्सीन रंगभेद के बीच के सम्बन्ध के सिलसिले में बोलते हुए हेल्थ जस्टिस इंटरनेशनल की फ़ातिमा हसन ने कहा, “जहां अफ़्रीका की कई जगहों पर यात्रा प्रतिबंध लगाने में अमीर देशों को महज़ चंद घंटों का समय लगा, वहीं ट्रिप्स छूट प्रस्ताव का समर्थन करने में उन्हें एक साल से ज़्यादा का समय लगा है, जबकि यह एक ऐसा प्रस्ताव है, जो हमें वैक्सीन उत्पादन में तेज़ी लाने और कोविड-19 टीकों को उन सभी के लिए सुलभ बना देगा, जिन्हें इन टीकों की ज़रूरत है।”

इस कार्रवाई दिवस के समन्वयक ओमिक्रॉन की मौजूदगी को अमीर देशों के इस छूट के समर्थन से बचने के सीधे-सीधे नतीजे तौर पर देखते हैं। आवर वर्ल्ड इज़ नॉट फ़ॉर सेल नेटवर्क की ओर से बोलते हुए डेबोरा जेम्स ने चेतावनी दी कि यह टीके से जुड़े रंगभेद की मौजूदा स्थिति है, जो नये वैरिएंट के बढ़ने को आसान बना रही है, और ऐसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए कि "डब्ल्यूटीओ सभी के लिए टीकों को सुलभ बनाने की हमारी क्षमता को निर्धारित करे।"

यूरोपीय संघ, यूनाइटेड किंगडम, नॉर्वे और स्विट्ज़रलैंड ने इस ट्रिप्स छूट का विरोध करना जारी रखा है, लेकिन यूरोपीय संसद में वामपंथी मार्क बोटेन्गा और स्विस वामपंथी दल एन्सेम्बल ए गौचे (इंग्लैंड टुगेदर ऑन लेफ्ट) के स्टेफ़नी प्रीज़ियोसो के मुताबिक़, अब ये देश अंतर्राष्ट्रीय और अपने-अपने घरेलू स्तर पर बढ़ते प्रतिरोध का सामना कर रहे हैं। बोटेन्गा के अनुसार, लोगों ने इस छूट के पक्ष में मतदान करने के लिए यूरोपीय संसद पर दबाव बनाने में कामयाबी हासिल की है, जिससे कि यह साबित होता है कि अगर हम एक साथ मिलकर लड़ते हैं, तो सत्ता समीकरणों को बदला जा सकता है।

प्रीज़ियोसो ने बताया कि मौजूदा स्थिति ज़्यादा समय तक नहीं चल सकती, और यह समय अमीर देशों के लिए महामारी के फ़ौरी समाधान की ज़िम्मेदारी लेने का है।

इस छूट का समर्थन करते कामगार

पीपल्स हेल्थ मूवमेंट (PHM) के नये ग्लोबल कोऑर्डिनेटर रोमन वेगा ने चेतावनी दी कि ग्लोबल नॉर्थ, यानी बेहद विकसित देशों में महामारी को लेकर अपनायी गयी प्रतिक्रिया के चलते दुनिया भर में कई लोग मर रहे हैं। जहां हमें निश्चित रूप से इसे रोकने के लिए ट्रिप्स छूट की ज़रूरत है, वहीं हमें स्वास्थ्य प्रणालियों के उन अन्य तत्वों को नहीं भूलना चाहिए, जो हमें कोविड-19 के ख़ात्मे के क़रीब ले आयेंगे। वेगा ने कहा, "हमें सार्वजनिक और सार्वभौमिक स्वास्थ्य प्रणालियों को लेकर एकजुट होकर लड़ते रहना चाहिए, और उस पूरी प्रणाली के लिए खड़ा होना चाहिए, जिसने हमें स्वास्थ्य सेवा का निजीकरण और बिग फ़र्मा की सज़ा से मुक्ति दिलायी है।"

ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता बाबा ऐ (पब्लिक सर्विसेज इंटरनेशनल) और रॉबर्ट जॉनस्टन (इंटरनेशनल ट्रांसपोर्ट फेडरेशन) ने कहा कि पिछले महीनों में इस छूट को लेकर समर्थन को सिर्फ़ श्रमिकों के बीच मज़बूती मिली है। आज की स्थिति में सभी क्षेत्रों के 200 मिलियन से ज़्यादा कामगार इस ट्रिप्स छूट प्रस्ताव के समर्थन में खड़े हैं, और सरकारों से महामारी के काम में अग्रणी लोगों के साथ लामबंद होने को लेकर खड़े होने के लिए कह रहे हैं।

संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय और इंटरनेशनल फ़ेडरेशन ऑफ़ फ़र्मास्युटिकल मैन्युफ़ैक्चरर्स एंड एसोसिएशन के सामने कार्यकर्ताओं के विरोध कार्रवाई के आगे बढ़ने से पहले कोविड-19 पर सामूहिक स्टॉप पेटेंट के फ़्रैंक प्राउहेट ने कहा, “यह समय यात्रा पर प्रतिबंध लगाने का नहीं है; यह सड़कों पर मार्च करने और यह सुनिश्चित करने का समय है कि कोविड-19 के टीके, उपचार और निदान सबके लिए सुलभ हो।”

बिग फ़र्मा प्रभुत्व के विकल्प

मेडिक्यूबा और फोरम अल्टरनेटिवो के फ़्रेंको कैवल्ली ने कहा, "मौजूदा स्थिति से निराश होना आसान है, लेकिन हमें यह याद रखना चाहिए कि यूरोपीय सरकारों से हम जो कुछ भी महसूस कर रहे हैं, उसके व्यावहारिक विकल्प पहले से ही मौजूद हैं।" उन्होंने ज़ोर देकर कहा, "महामारी की शुरुआत से ही क्यूबा ने हमें यह विकल्प दिखा दिया है कि ज्ञान, प्रौद्योगिकी और टीकों को साझा करने वाला आधारित नज़रिये को अमल में ले आना मुमकिन है और यह ग्लोबल साउथ, यानी बेहद अविकसित देशों के लिए यही सच्ची उम्मीद है।"

एहतियात और एकजुटता पर आधारित दुनिया के लिए यही वह वैकल्पिक नज़रिया है, जिसने इस मौक़े पर इंडोनेशिया, फ़्रांस, बेल्जियम, नॉर्वे, यूके, आयरलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका, स्विट्जरलैंड और कई दूसरे देशों के लोगों को सड़कों पर उतार दिया है। ब्रसेल्स में प्रदर्शनकारियों ने वैक्सीन के सिलसिले में अपनाये जा रहे इस रंगभेद के चलते अपनी जान गंवाने वाले उन सभी लोगों के सिलसिले में चौकसी बरती है, जो यूरोपीय नागरिकों के इलाज के अधिकार से जुड़े थे। अन्य देशों में रास्ते में आने-जाने वालों को यह समझाते हुए लोग सरकारी कार्यालयों और बिग फ़र्मा मुख्यालयों के सामने इकट्ठा हुए कि कैसे मौजूदा व्यापार नियम महामारी को लम्बा खींच रहे हैं।

केंद्रीय कार्यक्रम जिनेवा में हुआ, जहां तक़रीबन 200 लोगों ने मार्च किया और अमीर देशों से आख़िरकार कोविड-19 चिकित्सा उत्पादों पर पेटेंट को हटाने का आह्वान किया। उनके लिए अमीर देशों को महामारी की शुरुआत में दिये गये वैश्विक एकजुटता के वादों के अनुरूप आचरण करने का सही समय आ गया है।

जैसा कि थर्ड वर्ल्ड नेटवर्क की संगीता शशिकांत कहती हैं, “यह (कोविड-19) वैश्विक वित्तीय संकट के बाद का सबसे ख़राब संकट है, और यह महामारी जबतक जारी रहेगी, यह संकट भी तबतक बना रहेगा। जब महामारी उभरकर सामने आयी थी, तो वैश्विक एकजुटता के वादे किये गये थे। लेकिन, हमने जो कुछ देखा है, वह यह कि वही अमीर देश इस रास्ते में वैश्विक बाधा बनकर खड़े है, जिन्होंने अपनी ज़्यादातर आबादी को टीका लगवा दिया है। हमें एक सार्थक नतीजे की ज़रूरत है, ताकि हम टीकों, परीक्षणों, उपचारों और चिकित्सा उत्पादों के उत्पादन को बढ़ा सकें, और ऐसा करने का एकमात्र तरीक़ा कोविड-19 की रोकथाम, नियंत्रण और उपचार के लिए पेटेंट, व्यापार गोपनीयता, कॉपीराइट और औद्योगिक मंसूबे से निजात पाना है।”

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

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