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#फ़्रीजूलियनअसांजे: यूएस के ज़ुल्म के ख़िलाफ़ हमें अपनी आवाज़ क्यों उठानी चाहिए?

असांजे की गिरफ़्तारी पत्रकारिता की आत्मा पर हमला है। यह व्हिसलब्लोअर और पत्रकारों के बीच संचार को अपराध घोषित करने की कोशिश है। यह खोजी पत्रकारिता को ख़त्म कर देगा। इसलिए इस ज़ुल्म से लड़ने की ज़रूरत है।
#फ़्रीजूलियनअसांजे: यूएस के ज़ुल्म के ख़िलाफ़ हमें अपनी आवाज़ क्यों उठानी चाहिए?

जूलियन असांजे को इक्वाडोर के दूतावास से यूके पुलिस द्वारा गिरफ़्तार करने के बाद इस घटना की विश्व स्तर पर निंदा की गई है। मोरेनो प्रशासन द्वारा उनका शरण वापस लेने के बाद यूके पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया है। नोआम चॉम्स्की, जॉन पिलर, नोबेल पुरस्कार विजेता मैरीड मैगुइर समेत कई दिग्गजों ने असांजे की गिरफ़्तारीकी निंदा की है। भारत में एन.राम, अरुंधति रॉय, गोपाल गांधी, इंदिरा जैनसिंग, पी. साईनाथ और रोमिला थापर ने गिरफ़्तारी की निंदा करते हुए कहा, "उनकी (असांजे की) गिरफ़्तारी और उन्हें यूएस प्रत्यर्पित करने का प्रयास स्पष्ट रूप से प्रेस की स्वतंत्रता और उसके प्रकाशन के अधिकार पर हमला है।”

असांजे की गिरफ़्तारी के बाद शरण मांगने के उनके कारण की पुष्टि की गई: अमेरिका ने असांजे के ख़िलाफ़ गुप्त ग्रैंड जूरी अभियोग का खुलासा किया। असांजे ने हमेशा कहा था कि अगर वह ब्रिटेन या स्वीडन में आत्मसमर्पण कर देते हैं तो अमेरिका उन्हें अमेरिका में मुक़दमे का सामना करने के लिए प्रत्यर्पित कर लेगा। असांजे के ख़िलाफ़ ग्रैंड जूरी अभियोग कंप्यूटर फ्रॉड और अब्यूज एक्ट (दुर्व्यवहार अधिनियम) के तहत साज़िश को लेकर हुआ है। अमेरिकी विदेश मंत्री पोम्पेओ ने पहले ही विकिलीक्स को एक ग़ैर-सरकारी खूफ़िया संगठन के रूप में बताया है और इसलिए जासूसी का आरोप को लगाने की संभावना है जिसमें मौत की सज़ा सहित बड़े दंड देने का प्रावधान है।

जहाँ नई डिजिटल तकनीकों ने सोशल मीडिया, निगरानी पूंजीवाद (सर्विलांस कैपिटलिज़्म) और नए सिक्योरिटी स्टेट को सार्वजनिक निगरानी (मास सर्विलांस) द्वारा नया आधार दिया गया है वहीं असांजे ने पत्रकारिता के नए स्वरूप के लिए इन्हीं तकनीकों का इस्तेमाल किया। उन्होंने बताया कि पत्रकार और व्हिसलब्लोअर अपनी गोपनीयता से समझौता किए बिना सूचना का आदान-प्रदान कर सकते हैं। यह बताने के लिए उनका ये अपराध था कि निगरानी करने वाले राष्ट्र (सर्विलांस स्टेट) को उनके अपने ही खेल में हराया जा सकता था।

आज उन अपराधों को याद रखना ज़रूरी है जो असांजे दुनिया के सामने लेकर आए हैं। उन्होंने विकीलीक्स के ज़रिये ईराक़ युद्ध और अफ़गानिस्तान युद्ध, इन देशों में अमेरिकी युद्ध अपराध, अमेरिकी सैनिकों के बगदाद में रॉयटर्स के पत्रकारों सहित नागरिकों की हत्याओं का जश्न मनाते हुए कोलैटरल मर्डर के सबसे प्रसिद्ध वीडियो को दिखाया। 2,50,000 अमेरिकी राजनायिक केबल के खुलासे वाले केबलगेट में रिश्वत, ब्लैकमेल और हिंसा की ख़तरे का इस्तेमाल करने वाले विदेशी सरकारों की विश्वव्यापी विनाश दिखाया गया। इसे ही चेल्सी मैनिंग ने असांजे को मुहैया कराया था जिसने ईराक़ और अफ़गानिस्तान पर अमेरिका के क़ब्ज़े में क्रूरता और उसके वैश्विक नवऔपनिवेशिक शासन को सामने लाया। यही वे खुलासे हैं जिन्हें अमेरिका ने माफ़ नहीं किया है और जिसके लिए वह असांजे और मैनिंग को दंडित करना चाहता है।

चेल्सी मैनिंग ने मुख्यधारा की मीडिया में प्रकाशित इस युद्ध अपराध को कोलैटरल मर्डर के तौर पर दिखाने की कोशिश की थी। वह विफ़ल रही; विकिलीक्स ही एकमात्र है जिसने इस वीडियो को प्रकाशित किया। यही कारण है कि मैनिंग और असांजे आज जेल में हैं और मुख्यधारा की मीडिया असांजे को 'समुचित पत्रकार नहीं होने' और मैनिंग को देशद्रोही ठहराता है। इसीलिए अमेरिकी न्यायालयों में असांजे को "न्याय" दिलाने का प्रयास किया गया और ग्रैंड जूरी के समक्ष असांजे के ख़िलाफ़ गवाही देने से इनकार करने पर मैनिंग को वापस जेल में डाल दिया गया।

विकिलीक्स और असांजे की परंपरा आगे बढ़ती जा रही है, यह इस बात की याद दिलाता है कि अमेरिका और ब्रिटेन "असांजे" को दंडित करने के लिए इतने आतुर क्यों हैं। इस वर्ष 25 फ़रवरी को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) ने विश्व में डिएगो गार्सिया के रूप से पहचाने जाने वाले चागोस द्वीप समूह पर अपना फ़ैसला सुनाया। ये द्वीप समूह हिंद महासागर में सैन्य आधार बनाने के लिए ब्रिटेन द्वारा अमेरिका को पट्टे पर दिया गया था। इस फ़ैसले में मॉरीशस से चागोस द्वीपों को अवैध रूप से अलग करने और अमेरिकी सैन्य बेस बनाने के क्रम में इसके लोगों यानी चागोसवासी को निर्वासित करने के लिए ब्रिटेन को दोषी पाया। यूके के ख़िलाफ़ इस निर्णय का आधार विकिलीक्स केबलगेट फ़ाइलों में एक केबल था जिसमें दिखाया गया कि यूके और यूएस ने इन द्वीपों को "मरीन रिज़र्व" घोषित करने की साजिश रची ताकि चागोस द्वीपवासी वापस नहीं लौट पाएँ।

भारत में रहने वाले लोगों के लिए डिएगो गार्सिया को लेकर एक विशेष गूंज है। सीपीआई (एम) सहित कई लोगों और समूहों ने डिएगो गार्सिया से सेना हटाने की मांग की है। अब हमें इसे एक नई मांग के साथ जोड़ना है: इन द्वीपों को उन्हें सौंपा जाए जिनका ये वास्तव में है अर्थात चागोस द्वीपवासी को सौंपा जाए।

एन.राम सहित अन्य लोगों ने जो बयान जारी किया है वह विकिलीक्स पत्रकारिता के मूल तत्व को सामने लाता है। यह "अत्याचार को लेकर पत्रकारिता थी - अन्याय और अत्याचार के ख़िलाफ़ आक्रोश जो दुनिया भर में फैलता है - लेकिन हमेशा सच्चाई, प्रमाणीकरण और यथार्थता की नज़र में है।" और जैसा कि इसमें कहा गया है, यह "एक स्तर पर संचालित है जो अभूतपूर्व है।" विकीलीक्स के खुलासे का पैमाना यह हो सकता है कि यह ईराक़ और अफ़गानिस्तान युद्ध हो या केबलगेट ये आंकड़े बस चौंकाने वाले हैं। और असांजे ने अपने कौशल का इस्तेमाल अमेरिका के घिनौने रहस्यों को खोजने के लिए किया।

असांजे पर हमला हर जगह प्रेस के लिए इतना ख़तरनाक क्यों है? यूएस के आरोप सिर्फ़ ये नहीं हैं कि असांजे ने आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम का उल्लंघन किया और गुप्त दस्तावेज़ों को प्रकाशित किया बल्कि वे चेल्सी मैनिंग के साथ "साज़िश" में शामिल थे ताकि गुप्त दस्तावेज़ों को सुरक्षित रखने और उन्हें विकिलीक्स को देने में मदद की जा सके। अभियोग में लिखा है, "साज़िश का पहला उद्देश्य यूएस की राष्ट्रीय रक्षा से संबंधित मैनिंग के संकलन को सुविधानजक बनाना और गुप्त जानकारी का प्रसारण करना था ताकि विकिलीक्स अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक रूप से इस जानकारी को प्रकाशित कर सके।"

यहाँ समस्या यह है कि पत्रकारों का यह कर्तव्य है कि वे अपने स्रोतों की रक्षा करने में मदद करें और दस्तावेज़ों तथा सूचनाओं के सुरक्षित प्रसारण की सुविधा प्रदान करें। अगर यह आपराधिक हो जाता है तो सभी गोपनीय दस्तावेज़ों के सार्वजनिक खुलासे को आपराधिक क़ानून के तहत लाया जा सकता है। इसका मतलब यह होगा कि पेंटागन दस्तावेज़ के लिए डेनियल एल्सबर्ग के साथ न्यूयॉर्क टाइम्स पर साज़िश का आरोप लगाया जा सकता है या रफ़ाल दस्तावेज़ के मामले में द हिंदू पर!

एन.राम और अन्य लोगों के बयान से ये सामने आया है, “असांजे पर साज़िश का आरोप लगाना यूएस में प्रथम संशोधन सहित अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रेस के लिए मौजूद सुरक्षा क़ानून को दरकिनार करता है। यह अभियोग पत्रकारिता की आत्मा पर हमला करता है और किसी भी जगह प्रेस पर हमला करने के लिए एक मिसाल क़ायम करता है। इस बयान में कहा गया है "स्रोतों की रक्षा, प्रकाशित करने की स्वतंत्रता के बिना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है और पत्रकार हिम्मत के साथ सच बोलने में सक्षम नहीं होंगे।"

पत्रकार समाज के लिए असांजे ने जो किया वह न केवल राष्ट्र और मुख्यधारा की मीडिया द्वारा तैयार की गई चुप्पी की साज़िश को तोड़ने के लिए था बल्कि ऐसा करने के साधन भी थे। साहस ज़रूरी है लेकिन बहुत ज़्यादा नहीं। हम जिस जटिल दुनिया में रहते हैं और जिस तकनीक का हम इस्तेमाल करते हैं वह हर जगह डिजिटल निशान छोड़ती है। हमें यह जानने की ज़रूरत है कि स्नोडेन और असांजे ने कैसे काम किया है और अगर हम आज खोजी पत्रकारिता करते हैं तो यह जानने के लिए कि हमें तकनीक को समझने की ज़रूरत है। अमेरिकी ग्रैंड जूरी अभियोग जेबर, सिग्नल या टेलीग्राम जैसे एन्क्रिप्टेड संचार को साज़िश के रूप में दोषी मानता है वह अब सर्वस्वीकृत कार्य हैं। इसलिए एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग और ईमेल किए जाते हैं। असांजे ने सुरक्षित भेजने की तकनीक भी बनाई थी: इलेक्ट्रॉनिक बॉक्स जिसमें बड़ी मात्रा में दस्तावेज़ व्हिसलब्लोअर द्वारा वास्तव में पत्रकार को जाने बिना भेजे जा सकते थे। इस तरह व्हिसलब्लोअर दस्तावेज़ों को अपनी पहचान बताए बिना स्थानांतरित कर सकता था। कई समाचार संगठन आज अपनी पत्रकारिता के एक हिस्से के रूप में नियमित रूप से इसका इस्तेमाल करते हैं। यह सब शायद असांजे के बिना भी हो सकता था लेकिन यह वही थे जो इसमें अग्रणी थे।

विकिलीक्स पर अब एक आख़िरी बात। यह आमतौर पर स्वीकार किया जाता था कि यदि विकिलीक्स द्वारा होस्ट किए गए सर्वर को उसके सर्वर से हटा दिया जाता और यूएस द्वारा विकिलीक्स को रूट सर्वर प्रविष्टि से हटा दिया गया होता जो सर्वर पर इसका डोमेन और मैपिंग दिखाता है तो विकिलिक्स वेबसाइट पहुँच से बाहर हो जाता। विकिलीक्स ने इस संभावना की भविष्यवाणी की थी और इसकी साइट की बड़ी संख्या में पप्रतियाँ थीं जिसे इंटरनेट से हटाया जाना असंभव हो गया था। डेविड और गोलियथ की इस लड़ाई में डेविड की तरह विकिलीक्स ने यूएस स्टेट के गोलियथ के ख़िलाफ़ जीत हासिल की और अभी भी इंटरनेट पर अपनी उपस्थिति बनाए हुए है। यह अभी भी यूएस स्टेट को उजागर करने वाली महत्वपूर्ण जानकारी प्रकाशित करना जारी रखे हुए है। इसीलिए इस प्रतिकारिता के चलते यूएस ने असांजे और मैनिंग को हासिल करने का प्रयास जारी रखा। और इसीलिए हमें इस अत्याचार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने की ज़रूरत है।

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