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रेहड़ी पटरी दुकानदारों ने किया नगर निगम के खिलाफ धरना प्रदर्शन

दिल्ली में रेहड़ी-पटरी वालों ने गुरुवार को सिविक सेंटर पर प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने स्थायी जगह दिए जाने और पुलिसिया अत्याचार रोकने की मांग की।
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दिल्ली में रेहड़ी-पटरी वालों ने नगर निगम प्रशासन द्वारा उजाड़े जाने के विरोध में गुरुवार को सिविक सेंटर पर प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन का नेतृत्व रेहड़ी पटरी खोमचा हॉकर्स यूनियन द्वारा किया गया। इसका संबंध मजदूर संगठन सीटू से है। प्रदर्शन के दौरान सबका एकमत से यही कहना था कि वे स्वाभिमान से काम कर रहे हैं लेकिन सरकार और प्रशासन उन्हें कमाने खाने नहीं दे रही है।

प्रदर्शन में शामिल 65 वर्षीय देव नारायण ने बताया, 'वह दूसरे जगह से दिल्ली रोजगार की तलाश में आए थे और 30 साल से पटरी पर दुकान लगा रहे हैं लेकिन अब सरकार उनकी रोजी रोटी छीन रही है।'

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कुछ ऐसा ही कहना विधवा शाहिना बेगम का भी है। वो रोते हुए कहती हैं,'अकेले ही सब्जी बेचकर अपने पूरे परिवार का पेट भरती हैं लेकिन अब पुलिस और स्थनीय गुंडों से परेशान हैं। कभी पुलिस उनका समान गाड़ी में भरकर ले जाती है, तो कही कोई दबंग आकर उनका सारा सामान सड़कों पर फेंक देता है। अब सरकार भी उनकी मदद की जगह अब उनके मुंह का निवाला छीन रही है।'
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अजमेरी गेट में सब्जी बेचने वाली उजाला देवी भी रोते हुए कहती हैं कि बुधवार को पुलिस ने उनकी रेहड़ी समान सहित उठा लिया है और उसको छुड़ाने के लिए धक्के खा रही है। पुलिस अब उनसे हजारों रुपये का चालान भरने को कह रही है लेकिन उनके पास उतने पैसे नहीं है। उन्होंने कहा कि वो इससे परेशान हो गई है सरकार या तो उन्हें मेहनत से कमाने का अधिकार दे या उनके बच्चे और अपाहिज पति समेत सबको जहर दे।
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जामा मस्जिद में पटरी पर दुकान लगाने वाले इमरान ने बताया, 'हाई कोर्ट ने आदेश दिया था की वो लोग यहां पटरी पर दुकान लगा सकते हैं। इसके बावजूद अब निगम के अधिकारी उन्हें हटा रहे हैं।'

क्या है पूरा मामला?

आपको बात दें कि 2 सितबर को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में अवैध अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था। इसके बाद से नगर निगम अधिकारियों ने दिल्ली के रेहड़ी पटरी वालों को हटाना शुरू कर दिया। इससे पहले भी निगम और पुलिस इन्हें परेशान करती थी लेकिन इस समय निगम के लोग अधिक आक्रामक दिख रहे हैं।

रेहड़ी पटरी यूनियन के नेताओं ने इस बात का पूरी तरह से खंडन किया कि सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी तरह के रेहड़ी पटरी वालों को हटाने का आदेश दिया है।

उन्होंने बताया कि कोर्ट ने अपने आदेश में दिल्ली में हो रहे अवैध अतिक्रमण को हटाने की बात कही है जबकि रेहड़ी पटरी वाले कोई अतिक्रमण नहीं करते है। अतिक्रमण वो है जो बड़े-बड़े कोठी वाले अपने कोठियों के सामने गार्ड के लिए बॉक्स बनाते है, या सड़कों पर सीढ़िया या छत को बाहर निकालते हैं। लेकिन निगम के अधिकारी उस पर कार्रवाई करने के बजाय गरीबों को उजाड़ रही है।
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आपको बता दें कि रेहड़ी पटरी वालों को नियंत्रित और उन्हें एक जगह मिले इसके लिए पथ विक्रेता अधिनियम 2014 बना है। जिसके अनुसार सभी रेहड़ी पटरी वालों की पहचान कर उन्हें एक स्थाई जगह दी जाएगी। इस अधिनियम की धारा 3(3) के अनुसार टाउन वेंडिंग कमेटी (टीवीसी) द्वारा सभी वर्तमान रेहड़ी पटरी वालों का सर्वे, रजिस्ट्रेशन, सर्टिफिकेशन का काम पूरा किया जाएगा। जब तक यह नहीं होता तब तक उन्हें हटाया नहीं जाएगा।

एक अनुमान के मुताबिक पूरे देश में 2.50 करोड़ और दिल्ली में लगभग 5 लाख रेहड़ी पटरी वाले हैं। इनकी समस्या को देखते हुए ही पूर्व यूपीए की सरकार में रेहड़ी पटरी आजीविका संरक्षण बिल 2013 में तैयार हुआ जिसने 2014 में संसद से पास होकर कानूनी रूप ले लिया। इस कानून के द्वारा रेहड़ी पटरी वालों पर पुलिस व नगर निगमों द्वारा होने वाले अत्याचारों पर भी लगाम लगाने का प्रयास किया गया।

इससे उम्मीद थी कि इनको काम करने में कुछ राहत मिलेगी लेकिन पिछले पांच साल में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और आम आदमी पार्टी की दिल्ली राज्य की सरकार इसे लागू करने में पूरी तरह से विफल रही है। अभी भी अक्सर दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में ये देखा जाता है कि पुलिस से लेकर एमसीडी तक इन रेहड़ी पटरी वालों को अपनी जगह से हटा देती है। कभी भी इनके सामान को सड़क पर फैला देती है तो कभी गाड़ियों में भरकर अपने साथ ले जाती है।
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यूनियन के नेताओं ने केंद्र की मोदी सरकार पर बड़े पूंजीपतियों के इशारे पर हटने का आरोप लगाया और कहा कि सरकार एकतरफ तो इन रेहड़ी पटरी को हटा रही है। वहीं, दूसरी तरफ खुदरा व्यापार में 100 प्रतिशत विदेशी निवेश को छूट देने के बाद वालमार्ट जैसी बड़ी विदेशी कम्पनियों को खुदरा व्यापार के लिए अनुकूल वातावरण तैयार कर रही। जबकि केंद्र सरकार को रेहड़ी पटरी वालों का आभार मानना चाहिए कि वे स्वरोजगार द्वारा देश में बेरोजगारी की समस्या से निपटने में सरकार की मदद कर रहे हैं।

इनके प्रदर्शन के बाद निगम के अधिकारी प्रदर्शन स्थल पर आये और उनकी समस्या के समाधान का आश्वासन दिया। लेकिन नेताओं ने कहा इस तरह का आश्वासन उन्हें कई बार मिला है लेकिन उन्हें हल चाहिए। इस दौरन यूनियन नेताओं ने अपना एक मांग पत्र भी निगम के अधिकारियों सौंपा और कहा अगर जल्द ही उनकी मांगो पर ध्यान नहीं दिया गया तो और बड़ा और उग्र विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।

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