प.बंगाल में गहराता कोरोना संकट और प्रभावी तरीके से लड़ते रेड वॉलिंटियर्स!

पश्चिम बंगाल में सरकार की निष्क्रियता और कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच, वाम मोर्चे के रेड वालंटियर्स ने स्वयं से पहल करते हुए फिर से सैनिटाइजेशन अभियान शुरू किया कर दिया है। वे बाजारों में मास्क लोगों के बीच मास्क वितरित कर रहे हैं तो और कोरोना से टूट रही सांसों को गति देने के लिए ऑक्सीजन के सिलेंडर तक उपलब्ध करा रहे हैं। ये वालंटियर्स लोगों को विभिन्न चिकित्सा संगठनों, जिनमें स्वास्थ्य सेवा संघ के चिकित्सक भी शामिल हैं, की सहायता से लोगों को टेलीमेडिसिन भी उपलब्ध कराना सुनिश्चित कर रहे हैं।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य में कोरोना वायरस की दूसरी लहर से संक्रमित होने वाले लोगों की रोजाना दर बढ़कर 15,889 हो गई है और 25 अप्रैल तक 57 लोगों की जानें गई हैं। संक्रमण से मरने वालों में खरदह विधान सभा क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार काजल सिन्हा (59) भी शामिल हैं, जिन्होंने 3 दिनों तक वेंटिलेटर पर रहने के बाद दम तोड़ दिया। इनके पहले राज्य के विभिन्न दलों के चार अन्य उम्मीदवारों की जानें भी कोरोना वायरस से गई हैं।
रोजाना स्तर पर संक्रमित होने की दर विगत 15 दिनों में दोगुनी से अधिक हो गई है। 15 अप्रैल तक कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाले की तादाद 6,769 थी जबकि अब बढ़ कर 15,889 हो गई है। यह सब हुआ है, राज्य विधानसभा के लिए 8 चरणों के चुनावों के बीच। हालांकि चुनाव आयोग ने स्थिति के बिगड़ने के बाद हाल ही में बड़ी राजनीतिक रैलियों पर पाबंदी लगा दी है। लेकिन यह देर से किया गया है उपाय है। इस बीच, संक्रमण मामलों में बेतहाशा तेजी और चरमराते स्वास्थ्य ढांचे को देखते हुए वाम मोर्चे के रेड वालंटियर्स कोरोना पीड़ितों की मदद के लिए एक बार फिर गलियों और सड़कों पर उतर आए हैं।
राजारहाट-न्यू टाउन एरिया में, सप्तर्षि देव जो पिछले लॉकडाउन में भी रेड वालंटियर थे, उन्हें इस बार भी क्षेत्र के लोगों के बीच मास्क का वितरण करते हुए देखा गया। देव डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) से जुड़े हैं और राजारहाट न्यू टाउनविधानसभा क्षेत्र से सीपीआईएम के उम्मीदवार हैं। देव और उनके साथी कार्यकर्ता ने पिछले साल लॉकडाउन की अवधि शुरू होते ही व्हाट्सएप, फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया मंचों पर टेलीफोन-मोबाइल नंबरों के जरिए जरूरतमंद लोगों तक सहायता पहुंचाना शुरू कर दिया था। बाद में उनकी इस गतिविधि को न्यू कोलकाता विकास प्राधिकरण (एनकेडीए) द्वारा एक संगठित रूप दिया गया और फिर पूरे प्रदेश में इस प्रणाली को लागू किया गया। सप्तर्षि ने कहा,“ पहले चरण में लोगों की जरूरतें भिन्न थीं क्योंकि लॉकडाउन कर दिया गया था और हम सभी को अपने परिवारों के साथ होना था।”
Sanitisation and awareness campaign going on by Bally Belur SFI DYFI. Stay Safe. pic.twitter.com/3VmZny90S3
— Dipsita (@DharDipsita) April 19, 2021
देव और न्यू टाउन के अन्य रेड वालंटियर फिलहाल एक नेटवर्क बनाने में जुटे हैं, जिसके जरिए क्षेत्र के लोगों को वैक्सीन लगवाया जाए, ऑक्सीजन सिलेंडरों की आपूर्ति की जाए और जीवन-रक्षक दवाएं भी आसानी से मुहैया की जाएं। उनका यह प्रयास एनकेडीए के दायरे में आने वाले सुपर स्मार्ट सिटी के बदतर स्वास्थ्य ढांचे के स्थानापन्न के रूप में सामने आया है।
देव ने कहा, इस क्षेत्र में बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें वैक्सीन की पहली खुराक मिल गई थी जबकि उन्हें इसकी दूसरी खुराक समय पर नहीं मिली है।
इसके अलावा अस्पतालों में बिस्तरों, ऑक्सीजन के सिलेंडरों और सैनिटाइजर की सुविधाओं का अकाल है। “ कुछ समय के लिए हमने न्यू टाउन में अनेक सेवाएं शुरू की हैं, जिसमें ऑक्सीजन आपूर्तिकर्ताओं की सूची और वैक्सीनेशन हेल्प डेस्क बनाया गया है ताकि लोग के नामों को Cowin app. में आसानी से दर्ज किया जा सके। एक रक्तदान शिविर अगले महीने लगाने का विचार है, जब प्रत्येक 18 साल से अधिक के युवा को वैक्सीन लगाने का अभियान चलाया जाएगा। तब राज्य में बड़ी मात्रा में खून और प्लाज्मा की कमी होगी क्योंकि वैक्सीन लिया हुआ व्यक्ति अगले 28 दिनों तक रक्तदान नहीं कर सकता है।” देव ने कहा।
एक अन्य रेड वॉलिंटियर कलतन दासगुप्ता ने न्यूज़क्लिक से कहा, “हम अपने कार्यकर्ताओं से जोर देकर कह रहे हैं कि कोरोना पीड़ितों की मदद करते वक्त वे पीपीई कीट्स का इस्तेमाल अवश्य करें। रेड वॉलिंटियर्स दुर्गापुर स्टील प्लांट के साथ मिलकर एक नेटवर्क बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे कि राज्य में कोविड-19 के मरीजों की चिकित्सा के लिए जरूरी ऑक्सीजन की आपूर्ति समय से पहले की जा सके।” उन्होंने कहा कि यदि राज्य सरकार ने ऑक्सीजन की कालाबाजारी न होने देने के लिए उसके निजी स्तर पर संचालन से रोक लगा दी है, पर वे अपने मरीजों के लिए ऑक्सीजन न उपलब्ध होने का त्राहिमाम संदेश लगातार दे रहे हैं।
जादवपुर इलाके में भी सामुदायिक रसोई शुरू की गई है। इसके मुख्य संचालक ध्रुवो दास यहां भी केंद्रीकृत हेल्पलाइन और हेल्पडेस्क सेवाएं शुरू करने के लिए उत्सुक हैं, क्योंकि “सरकार की विभिन्न स्वास्थ्य इकाइयों द्वार कोरोना वायरस तथा उसके इलाज के बारे में समुचित जानकारियां न मिलने से क्षेत्र के लोग पीड़ित” हैं।
लोक चिकित्सा सेवाओं से जुड़े एक डॉक्टर ने कहा,“केंद्रित पूछताछ प्रणाली सरकार द्वारा संचालित की जा रही है। इसमें वैसे गंभीर मरीज को यथासमय उचित जानकारी मिलने में असाधारण देरी हो जाती है,जबकि उस व्यक्ति को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत होती है।” उन्होंने कहा, “रेड वालंटियर्स द्वारा शुरू की गई पहल राज्य के स्वास्थ्य नेटवर्क पर बेहतर इलाज देने के लिए उचित दबाव बना रहा है।”
इस बीच, राज्य के अस्पतालों में बिस्तर उपलब्ध कराने को लेकर कालाबाजारी जारी है। डीवाईएफआई और कमरहाटी विधान सभा क्षेत्र से माकपा के उम्मीदवार सायनदीप मित्रा ने दावा किया कि यह दुर्व्यवस्था तब भी जारी है, जब “मरीज फुटपाथ पर पड़े हुए हैं।” उन्होंने इस व्यापक स्वास्थ्य ढांचे और संकट से निपटने की तैयारी में व्यापक विफलता के लिए केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया। मित्रा ने न्यूज़क्लिक से कहा, “जिस तरह से मंदिर के निर्माण में पहल की गई, अगर उस प्रयास का एक फ़ीसदी भी हिस्सा यहां लगाया जाता तो आज कहानी एकदम दूसरी होती।”
राज्य में पिछले वर्ष लगाए गए लॉकडाउन में वाम विचारधारा वाले युवक पीड़ित लोगों की सहायता करने के लिए आगे आए थे। माकपा के कोलकाता जिले के सचिव और राज्य में रेड वालंटियर्स के समर्थक कलोल मजूमदार ने कहा, “लोगों को संकट से उबारने में मदद देने का हमारा सभी कार्य जमीनी स्तर का था और उसने हम सभी को काफी अनुभव दिया।”
पहल की शुरुआत में हम युवा भागीदारों को लोगों की जरूरतों के बारे में मालूम नहीं था। “ हालांकि तीन महीने काम करने के दौरान उन्हें लोगों की जरूरतों का भली-भांति भान हो गया था। अब कोरोना की दूसरी लहर शुरू हुई, तो हम अभी से यह अनुमान नहीं लगा सकते कि अगले तीन महीनों क्या होने वाला है। इस वक्त, एक विकेन्द्रित ढांचे के अंतर्गत ये वॉलिंटियर जरूरतमंदों के साथ खड़े रह कर उन्हें अपने पिछले के अनुभवों से बेहतर सेवाएं प्रदान करेंगे,” मजूमदार ने कहा।
अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें।
Red Volunteers Swing to Action as West Bengal Faces Covid Crisis with 15,889 New Cases
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