सोशल मीडिया पर आत्म रक्षा के चार उपाय
हम कैसे रहते हैं, हम अपना जीवन कैसे जीते हैं उससे साबित होता है कि मानव प्रकृति काफ़ी जोखिम में है। यह शोशना ज़ुबॉफ़ की पुस्तक द एज ऑफ़ सर्विलांस कैपिटलिज़्म का बुनियादी आधार है।
ज़ुबॉफ़ का मानना है कि तकनीकी दिग्गजों ने पूंजीवाद का एक नया रूप तैयार कर दिया है। यह निगरानी रखने वाला पूंजीपति "आपका रक्तप्रवाह और आपका बिस्तर, आपके नाश्ते की टेबल पर चल रही बातचीत, आपका आना-जाना, आपका दौड़ना-भागना, आपका रेफ़्रिजरेटर, आपकी पार्किंग की जगह, आपके रहने का कमरा यानी हर बात की जानकारी हासिल चाहता है।"
प्रचार की पुरानी प्रणाली में, मीडिया दर्शक उपभोक्ता नहीं थे, बल्कि वे ख़ुद उत्पाद थे, जिन्हें वास्तविक उपभोक्ताओं, विज्ञापनदाताओं को बेचा जाता था। निगरानी पूंजीवाद में, आप न तो उपभोक्ता हैं और न ही उत्पाद, केवल कच्चे माल हैं। तकनीक से लैस दिग्गजों को न तो आपका विचार और यहां तक कि उन्हें आपका ध्यान आकर्षित करने की भी आवश्यकता नहीं है: वे उन उत्पादों को बेचकर पैसा कमाते हैं जो आपके डाटा के आधार पर आपके व्यवहार की जांच करते हैं जिसे आप अपने दैनिक ऑनलाइन या ऑफ़लाइन व्यवसाय में इस्तेमाल करते हैं(और, जिसकी पूरे देश के स्तर पर निगरानी उपकरणों के ज़रिये जांच की जाती है)।
और अगर एक बार आपके व्यवहार की भविष्यवाणी कर दी गयी तो फिर इसे बदला भी जा सकता है। ज़ुबॉफ़ कहती हैं कि आपको एक तरह से हैक किया जा रहा है, जब निगरानी पूंजीपति आपका ध्यान किसी ख़ास दिशा की तरफ “झुकाता है, या ले जाता है, तो वह आपको अपने ऑफ़र के प्रति सहज बना रहा होता है, आपको चारा डालता है, आपकी सोच को सफ़ाई से बरतता है, और फिर विशिष्ट दिशाओं में आपके व्यवहार को संशोधित करके अपनी क्रियाओं के ज़रिये उसे निष्पादित करता है फिर काफ़ी बारीक़ी से आपके फ़ेसबुक समाचार फ़ीड में वह एक ख़ास वाक्यांश को समय के साथ शामिल कर देता है, जो आपको आपके फ़ोन पर ख़रीदने का बटन दिखाएगा या फिर बीमा भुगतान में देरी होने पर आपके कार इंजन को बंद कर देगा।”
सोशल मीडिया पर आपका हरेक व्यवहार उनके लिए एक नि:शुल्क संपत्ति बन जाता है, क्योंकि वे इस अवसर के ज़रिये आपको नियंत्रित करके पैसा बनाने की योजना तैयार करते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपको बीमा कंपनियां रियायती प्रीमियम देती हैं और इसके एवज़ में आपको अपनी अच्छी ड्राइविंग व्यवहार की निगरानी के लिए कार में एक निगरानी उपकरण स्थापित करने के लिए कहती हैं। तो ज़ुबॉफ़ के शब्दों में, एक बार अगर यह कार में लग गया, तो "बीमा कंपनी आपके ड्राइविंग व्यवहार के लिए विशिष्ट पैरामीटर निर्धारित कर सकती है।
इनमें सीट बेल्ट को लगाने से लेकर गति की दर, सुस्त होकर गाड़ी चलाना, ब्रेक लगाना या मोड़ना, आक्रामक रूप से तेज़ चलाना, एकदम ब्रेक लगाना, सड़क पर अत्यधिक घंटे बिताना, राज्य से बाहर ड्राइविंग और प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रवेश करने से लेकर कुछ की भी निगरानी की जा सकती है।” अमेज़न के कर्मचारी, जिन्हेंं “एथलीट” कहा जाता है”, उन्हें उत्पादकता के उच्च स्तर को हासिल करने के लिए निगरानी उपकरण पहनाया जाता है। हमें रोबोट द्वारा प्रतिस्थापित किए जाने का डर है: निगरानी पूंजीपति हमें रोबोट में भी तब्दील कर सकते हैं।
दांव काफ़ी ऊँचे लगे हैं क्योंकि नियंत्रण का स्तर काफ़ी सूक्ष्म होता है। ताक़त का एक नया रूप पैदा किया जा रहा है, जिसे ज़ुबॉफ़ "इंस्ट्रूमेंटियन" कहती हैं। यह इंस्ट्रूमेंटियन ताक़त आपकी गोपनीयता, आपके व्यवहार, आपकी स्वतंत्र इच्छा, को तकनीकी दिग्गजों के लाभ के लिए उनके हाथों सौंप देती है। ज़ुबॉफ़ बताती हैं कि अपने व्यक्तित्व को बनाए रखने के लिए, आपको "अपने स्वयं के जीवन के खोल में छिपने" के लिए मजबूर किया जा रहा है, निगरानी करने के लिए एन्क्रिप्शन और गोपनीयता तकनीक का उपयोग करने की कोशिश की जा रही है। लेकिन व्हाट्सएप की कहानी यह बताती है कि यदि आप छिपने के लिए तकनीक का उपयोग करने का प्रयास करते हैं, तो वे आपको ढूँढ लेंगे: जो आम लोगों के लिए आपस में एकांत में चैट करने या बात करने के लिए एक एन्क्रिप्टेड और सुरक्षित प्लेटफॉर्म व्हाट्सएप अब फेसबुक के प्रमुख उत्पादों में से एक है।
व्हाट्सएप एक ऐसा मंच भी है जिसके ज़रिये भारत में लिंचिंग आयोजित की जाती है और जिस पर फ़ासीवादी जायर बोल्सनारो के चुनाव अभियान को ब्राज़ील में बाक़ायदा समन्वित किया गया था।
अगर आप सचेत रूप से अपने व्यक्तिगत दिमाग़ और जीवन पर निगरानी पूंजीवाद के नियंत्रण को कम करने की कोशिश करते हैं, तो इसके लिए एक दार्शनिक रूपरेखा ही काम में आएगी। कंप्यूटर वैज्ञानिक केल न्युपोर्ट ने अपनी पुस्तक डिज़ीटल मिनीमलिज्म में एक ऐसी रूपरेखा दी है। न्युपोर्ट का तर्क है कि स्मार्टफ़ोन के माध्यम से दिए जाने वाले सोशल मीडिया उपकरण किसी व्यक्ति के जीवन में मूल्य को जोड़ सकते हैं, लेकिन अगर वे किसी के द्वारा निर्देशित नहीं हैं।
वह पाठकों से सावधानीपूर्वक सोचने के लिए कहते है कि इन उपकरणों के साथ जुड़ने से क्या उन्हें वाक़ई कोई मूल्य मिल रहा है, और हम क्या उस मूल्य को समय, ऊर्जा और अपनी भावनाओं को बिना ज़्यादा ख़र्च किए प्राप्त कर सकते हैं जिसका कि हम वर्तमान में भुगतान कर रहे हैं। वे लिखते हैं कि आप शायद प्रति सप्ताह कुल 20-40 मिनट जुड़ने पर भी फ़ेसबुक का पूरा मूल्य हासिल कर सकते हैं। हर रोज़ इससे वक़्त गुज़ारने का सीधा मतलब है कि आप फ़ेसबुक को स्वैच्छिक उपहार दे रहे हैं, जिसे फ़ेसबुक अपने लाभ में बदलता है।
इस बड़े तकनीकी हेरफेर से अपना बचाव कैसे करें
पुराने प्रचार तंत्र के सामने, नोम चोम्सकी ने "बौद्धिक आत्मरक्षा" के पाठ्यक्रम को चलाने की वकालत की है। इस नए, सुपरचार्ज, निगरानी पूंजीवादी संस्करण के सामने, मैं "सामाजिक आत्मरक्षा" के पाठ्यक्रम की वकालत कर रहा हूं। ज़ुबॉफ़ और न्युपोर्ट की मदद से, यहां चार क़दम दिए जा रहें हैं जो आप सोशल मीडिया हेरफेर के ख़िलाफ़ अपने बचाव के लिए उठा सकते हैं।
1. अटेंशन रेसिस्टेंस में शामिल हों
यदि आप ट्विटर, फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया टूल का उपयोग कर रहे हैं, और फिर भी आप अपनी स्वायत्तता को बचाए रखने की उम्मीद कर रहे हैं, तो इस संबंध में न्युपोर्ट लिखते हैं, “यह समझना महत्वपूर्ण है कि यह आकस्मिक निर्णय नहीं है। इसके बजाय आप एक तरह से डेविड और गोलियथ का युद्ध लड़ रहे हैं, उन संस्थानों से जो काफ़ी अमीर हैं और वे धन का उपयोग आपको जीतने से रोकने के इरादे से कर रहे हैं।" न्यूपोर्ट के मुताबिक़ आपको अटेंशन रेसिस्टेंस का सद्स्य बनना होगा, “जो अनुशासित संचालन प्रक्रियाओं के साथ उच्च तकनीक उपकरण के माध्यम से लोकप्रिय ध्यान आकर्षण अर्थव्यवस्था सेवाओं पर सर्जिकल स्ट्राइक करते हैं – जो आपके काम मूल्य निकाल लेती है, और फिर इन कंपनियों द्वारा निर्धारित अटेंशन जाल में फिसलने से पहले इसे बंद कर देती है।” रेसिस्टेंस जिंदाबाद!
2. अपने जीवन में उपकरणों की भूमिका को कम करें
इस भाग में न्युपोर्ट की कार्यनीतिक सलाह ध्वनि यानी आवाज़ है, और मैं ऐसा फिर से नहीं करुंगा, लेकिन यहां कुछ प्रमुख बिंदु हैं जिन्हें जानना या लागू करना ज़रूरी है: अपने फ़ोन से सोशल मीडिया को हटा दें और इसे सिर्फ़ कंप्यूटर पर ही एक्सेस करें; अपने स्मार्टफ़ोन को बेज़ुबान कर दें“; इस पर "धीमी" गति के मीडिया को चलाएं; नेटफ़्लिक्स देखने को एक सामाजिक गतिविधि की श्रेणी में रखें न कि व्यक्तिगत गतिविधि में।
3. वास्तविक जीवन जिएँ
ज़ुबॉफ़ का सुझाव है कि "अपने स्वयं के जीवन के खोल में छिपने के लिए", न्यूपोर्ट के मुताबिक़ "उच्च-गुणवत्ता" वाली फ़ुरसत से भरी गतिविधियों को करना चाहिए ताकि न्युपोर्ट के सुझावों के तहत "कम-गुणवत्ता" वाली गतिविधियों को दूर किया जा सके जो आपके फ़ोन पर स्वाइप और क्लिक के रूप में मौजूद हैं। अपने फ़ोन का उपयोग तब तक न करें, जब तक कि आप अपने हाथों का उपयोग करने के लिए निपुणता नहीं खो देते हैं, जैसे मेडिकल छात्रों में अब रोगियों को टाँके लगाने में निपुणता की कमी है। ऐसी चीज़ें करें जिनमें आपके हाथ का काम शामिल हो। टहलने जाएँ; आपस में बातचीत करें, एक "उच्च-ऊर्जा" वाली गतिविधि करें और दोस्त बनाएँ, यही एकमात्र वास्तविक तरीक़ा है (और हां, फ़ोन और वीडियो कॉलिंग को भी वार्तालाप के रूप में माना जाता है, लेकिन व्यक्ति से सीधे बात करना ज़्यादा बेहतर है)।
4. एक बेहतर डिजिटल दुनिया के लिए लड़ें
वास्तविक जीवन में वास्तविक मनुष्यों से बातचीत करने की नई गतिविधि का उपयोग करते हुए, उन समूहों के साथ खड़े हों जो निगरानी पूंजीवाद को नियंत्रण में लाने की कोशिश कर रहे हैं। जो गोपनीयता, संचार और सूचना के सामूहिक अधिकारों का दावा करने के लिए सामुहिक रूप से संघर्ष कर रहे हैं। शायद यह रेगुलेशन के लिए संघर्ष होगा, ताकि तकनीक के एकाधिकार को तोड़ा जा सके और उस पर क़ानूनी और लोकतांत्रिक नियंत्रण लागू किया जा सके। शायद इसीलिए समाजों के संचार का बुनियादी ढांचा निजी हाथों में नहीं होना चाहिए, और इसका राष्ट्रीयकरण किया जाना चाहिए (एक समय था जब अर्थशास्त्रियों का मानना था कि कुछ बुनियादी ढाँचे "प्राकृतिक एकाधिकार" के होते थे जिन्हें सिर्फ़ सरकार के स्वामित्व में होना चाहिए)।
न्युपोर्ट ने बेवकूफ़ी की हद तक फ़ोन के इस्तेमाल को रोकने के लिए सामाजिक और नागरिक गतिविधि पर ज़ोर दिया है, और सामान्य समूह की गतिशीलता या गतिविधि से मुहँ मोड़ने की चेतावनी भी दी है: वे कहते हैं कि “किसी भी सामान्य लक्ष्य की ओर काम करने के लिए संघर्ष कर रहे व्यक्तियों की किसी भी संस्था में निहित परेशानियों या कठिनाइयों को पकड़ना आसान होता है। ये बाधाएं हमेशा परिवार और क़रीबी दोस्ती के आराम को न छोड़ने के लिए एक सुविधाजनक बहाना प्रदान करती हैं, लेकिन ... यह बेहतर होगा कि इन चिंताओं को पीछे धकेल दिया जाए।
" मुझे पता है कि मैं एकमात्र ऐसा कार्यकर्ता नहीं हूं जिसने "अंतर्निहित झुंझलाहट और कठिनाइयों" से भरे रास्ते को पकड़ लिया है, जिसे ऑफ़लाइन सक्रियता कहते हैं (यानी, अंतहीन बैठकें, शिथिल समूह की गतिशीलता)। और उन अंधेरे क्षणों में जब हम अलगाव को एक विकल्प के रूप में सोचते हैं, तो हमारे फ़ोन हमें सामाजिकता के निम्नतम स्तरों और सक्रियता के निम्नतम स्तर की पेशकश करते हैं, यानी सोशल मीडिया पर “लाईक” या रीट्वीट करना (जिसके बारे में न्युपोर्ट कभी ऐसा ना करने की सलाह देते हैं) या फिर आप किसी चतुर पोस्ट के लिए रीट्वीट देख रहे होंगे।" ऐसा न करें - इसके बजाय, आप एक वास्तविक समूह में शामिल हों और वास्तविक जीवन में लोगों के साथ बातचीत करें।
दशकों पहले एक समय भी था जब मैं उन समूहों या संगठनों के साथ एक कार्यकर्ता के रूप में काफ़ी निराश हो गया था, जिनमें समय बर्बाद करने करने की प्रवृति थी और काम कम करने की (यहां जिस कार्रवाई को परिभाषित किया जा रहा है, वह मुख्य रूप से सड़क पर विरोध प्रदर्शन, या कभी-कभी क़ब्ज़ा जमाना आदि है)। मुझे आज भी याद है जब preaching to the choir की आलोचना हुई थी, जो स्पष्ट रूप से गाना बजाने वालों के रूपक के बराबर था और जो हर हफ़्ते एक साथ गाते थे।
आज के दिनों में, एक साथ आना और राजनीति पर बात करना वह भी समान विचारधारा वाले लोगों के साथ, पहले से ही विध्वंसक होगा। चलो बात करते हैं। क्योंकि काम करने के लिए, सामाजिक आत्मरक्षा के नए साधनों के सामने अभी भी पुराने बौद्धिक आत्मरक्षा के तरीक़ों से पूर्ति करनी चाहिए: जिसमें दूसरों के साथ बात करना और सोचना, व्यापक और आलोचनात्मक चीज़ों को पढ़ना, और अपने सिद्धांतों के अनुसार सचेत सामाजिक कार्रवाई करना।
जस्टिन पॉडुर Globetrotter में टोरंटो स्थित लेखक हैं, जो स्वतंत्र मीडिया संस्थान की एक परियोजना है और वे पर्यावरण अध्ययन संबंधित संकाय में यॉर्क विश्वविद्यालय में पढ़ाते हाइन। वे Siegebreakers नामक उपन्यास के लेखक हैं।
Source: Independent Media Institute.
इस लेख को पहले Globetrotter में प्रकाशित किया जा चुका है, जो Independent Media Institute की परियोजना है
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