तिरछी नज़र : 'द ग्रेट इंडियन टुकड़े टुकड़े गैंग'

देश में कई टुकड़े टुकड़े गैंग हैं। कहते हैं, वे देश के टुकड़े टुकड़े करना चाहते हैं। एक गैंग तो जेएनयू और अन्य कई नामी विश्वविद्यालयों के छात्रों का है और शेष अरबन नक्सल गैंग, खान मार्केट गैंग और कुछ अन्य हैं। पर ये जो भी टुकड़े टुकड़े गैंग हैं, नये हैं, और छोटे छोटे हैं। इन बेचारों की तो औकात भी नहीं है देश के टुकड़े टुकड़े करने की। वे सिवाय इसके कि तथाकथित तौर पर कुछ नारे लगा दें, छोटा मोटा धरना प्रदर्शन कर दें या फिर एक आध दिन का बंद घोषित कर दें, कुछ कर भी नहीं सकते हैं।
इसलिए ये सब तो नकली टुकड़े टुकड़े गैंग हैं। ये बेचारे, नकली और छोटे छोटे गैंग, अगर चाहें तो भी इतने बड़े देश का कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते हैं। बल्कि सच में कहा जाये तो ये प्रसिद्ध भले ही टुकड़े टुकड़े गैंग के नाम से हों पर ये तो बेचारे टुकड़े टुकड़े गैंग हैं ही नहीं।
पर ऐसा नहीं है कि देश में टुकड़े टुकड़े गैंग है ही नहीं और हम निश्चिंत हो बैठ जायें कि हमारा देश सुरक्षित है। देश में एक टुकड़े टुकड़े गैंग है, बड़े जोर शोर से है और वही असली टुकड़े टुकड़े गैंग है। ऐसा मत समझिये कि यह गैंग कोई छोटा मोटा, किसी तड़ीपार का कोई नया नवेला गैंग है। यह टुकड़े टुकड़े गैंग बहुत ही बडा़ और अच्छा खासा पुराना है। ऐसे में किसी और को टुकड़े टुकड़े गैंग कहना इस टुकड़े टुकड़े गैंग की अवमानना है। यह तो उस टुकड़े टुकड़े गैंग के नेताओं का बड़प्पन है कि वे अपने गैंग को टुकड़े टुकड़े गैंग न बता कर दूसरे छोटे छोटे समूहों को टुकड़े टुकड़े गैंग बताते रहते हैं।
असलियत में यह टुकड़े टुकड़े गैंग है 'द ग्रेट इंडियन टुकड़े टुकड़े गैंग'। इस गैंग को शतायु होने में कुछ ही समय बाकी है। इसके पहले भले ही कितने भी सदस्य रहे हों पर आजकल यह गैंग बहुत ही पापुलर हो रहा है और इसके आठ करोड़ के करीब सदस्य बताये जाते हैं। इस गैंग के सदस्य बनाने की तरकीब बहुत ही सिम्पल है। बस मिस्डकॉल दो और सदस्य बन जाओ। सदस्यता शुल्क की बात तो छोड़ो, फोन कॉल के पैसे भी नहीं लगेंगे। आपको पता भी नहीं चलेगा और आप हंसी मज़ाक में ही इस 'द ग्रेट इंडियन टुकड़े टुकड़े गेंग' के सदस्य बन जायेंगें। बहुत से लोग तो ऐसे हैं कि वे सदस्य बन भी गये हैं पर उन्हें पता तक नहीं है कि वे इस 'ग्रेट इंडियन टुकड़े टुकड़े गैंग' के सदस्य हैं।
ऐसा भी नहीं है कि ये टुकड़े टुकड़े गैंग देशभक्त नहीं है। जब भारत का इतिहास नये ढंग से लिखा जायेगा और स्वतंत्रता संग्राम का जिक्र आयेगा तो इस 'टुकड़े टुकड़े गैंग' का वर्णन स्वर्ण अक्षरों में किया जायेगा। नये ढंग से लिखे गए इतिहास में बताया जायेगा कि इस टुकड़े टुकड़े गैंग ने अंग्रेजों के खिलाफ देश की आजादी के लिए कितनी अधिक देशभक्ति दिखाई थी। तब साबित किया जायेगा कि अंग्रेजों से माफी मांगना, अंग्रेजों की चापलूसी करना, खुशामद करना, अंग्रेजों का आदेश मानना और देशभक्तों के खिलाफ गवाही देना कितना देशभक्ति का काम था। यह नया इतिहास, जिसका लेखन मोदी और शाह के नेतृत्व में, व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी में शुरू हो चुका है, सिद्ध कर देगा कि इस 'द ग्रेट इंडियन टुकड़े टुकड़े गैंग' के सदस्य की वीरता के कारण ही अंग्रेजों ने भारत छोड़ा था।
देश के स्वाधीनता संग्राम में इस 'द ग्रेट इंडियन टुकड़े टुकड़े गैंग' का अतुलनीय योगदान तो था ही, देश को बंटवाने में भी इसी की सोच जिम्मेदार थी। देश के बंटवारे के लिए जिम्मेवार माने जाने वाले जिन्ना की सोच तो बहुत बाद में आई। 'द ग्रेट इंडियन टुकड़े टुकड़े गैंग' के आज के सदस्यों के 'द ग्रेट ग्रेंडफादर' सावरकर तो जिन्ना से दस साल पहले ही समझा चुके थे कि हिन्दू और मुसलमान अलग राष्ट्र हैं, वे एक साथ साथ नहीं रह सकते। पर इन बेकार के इतिहासकारों को तो देखो, देश के विभाजन का सारा श्रेय सावरकर की सोच की बजाय जिन्ना को दे दिया। जब इतिहास को नई सोच और नये तरीक़े से लिखा जायेगा तो देश की विभाजनकारी टुकड़े टुकड़े थ्योरी का सारा श्रेय 'वीर' सावरकर जी को ही दिया जायेगा।
'वीर' सावरकर जी ने टुकड़े टुकड़े करने की थ्योरी तो दे दी पर अपने मनमाफिक काम नहीं करवा पाये। अगर गांधी और नेहरू नहीं होते तो सावरकर उस समय ही हिन्दू राष्ट्र बनवा लेते और अब 'द ग्रेट इंडियन टुकड़े टुकड़े गैंग' को यह मशक्कत नहीं करनी पड़ती।
'द ग्रेट इंडियन टुकड़े टुकड़े गैंग' आज भी मौजूद है और अपने एजेंडा पर कायम है। यह बहुत ही दुख के साथ सूचित किया जाता है कि यह 'द ग्रेट इंडियन टुकड़े टुकड़े गैंग' नब्बे साल बीतने के बाद भी सावरकर की बात पर अडिग है कि हिन्दू और मुसलमान एक राष्ट्र नहीं हो सकते। अब यह 'द ग्रेट इंडियन टुकड़े टुकड़े गैंग' बहुत पावरफुल हो गया है। यह गैंग देश के टुकड़े टुकड़े करेगा, हिन्दू राष्ट्र बनायेगा और टुकड़े करने का श्रेय किसी और को नहीं लेने देगा।
इस 'ग्रेट इंडियन टुकड़े टुकड़े गैंग' ने अपना काम चालू कर दिया है। सीएए आ गया है, और क्रोनोलॉजी समझा दी गई है। बाद में एनआरसी भी आयेगा ही। तो यह 'ग्रेट इंडियन टुकड़े टुकड़े गैंग' न नारे लगा रहा है, न हड़ताल करवा रहा है। न कोई धरना प्रदर्शन, न कोई बंद। बस चुपचाप अपना काम कर रहा है, देश को बांटने का। बस देखते रहिये, मिशन चालू आहे।
(लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)
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