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सिर्फ बलरामपुर ही नहीं, हाथरस के बाद कई और दुष्कर्म, NHRC ने योगी सरकार को भेजा नोटिस
‘बेहतर कानून व्यवस्था’ और ‘न्यूनतम अपराध’ का दावा करने वाली बीजेपी की योगी आदित्यनाथ सरकार महिला-दलित सुरक्षा के मुद्दे पर नाकाम साबित होती दिखाई पड़ रही है। बलरामपुर के अलावा बीते 24 घंटों में आजमगढ़, बुलंदशहर और फतेहपुर में भी दुष्कर्म की वारदातें सामने आई हैं।
सोनिया यादव
01 Oct 2020
कार्टून क्लिक- इरफान
कार्टून क्लिक- इरफान

“हाथरस के बाद अब बलरामपुर में भी एक बेटी के साथ सामूहिक बलात्कार और उत्पीड़न का घृणित अपराध हुआ है।...भाजपा सरकार बलरामपुर में हाथरस जैसी लापरवाही व लीपापोती न करे और अपराधियों पर तत्काल कार्रवाई करे।”

ये ट्वीट उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव का है। हाथरस जैसी घटना ही अब प्रदेश के बलरामपुर में दोहराए जाने पर अखिलेश यादव ने पीड़िता को श्रद्धांजलि देते हुए ‘नो मोर बीजेपी’ हैशटैग के साथ पीड़िता के लिए न्याय की मांग की। हाथरस की घटना के बाद से ही ट्विटर पर ‘नो मोर बीजेपी’ ट्रेंड कर रहा है। सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

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बता दें कि हाथरस की ‘निर्भया’ को लेकर देशभर में उबाल अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि यूपी के ही बलरामपुर में पुलिस को एक और दलित युवती के साथ हैवानियत की शिकायत मिली है। बलरामपुर के अलावा बीते 24 घंटों में आज़मगढ़, बुलंदशहर और फतेहपुर में भी दुष्कर्म की वारदातें सामने आई हैं।

क्या है पूरा मामला?

प्राप्त जानकारी के मुताबिक मंगलवार, 29 सितंबर को बलरामपुर के गैसड़ी कोतवाली क्षेत्र के एक गांव में 22 साल की एक दलित युवती सुबह अपने घर से किसी काम के सिलसिले में बाहर निकली थी। लेकिन जब देर शाम तक लड़की घर नहीं लौटी तो परिजनों ने बेटी तलाश की शुरू की। जिसके बाद छात्रा बदहवास एवं गंभीर हालत में रिक्शे पर सवार घर पहुंची।

अमर उजाला की खबर के मुताबिक छात्रा ने परिजनों को आपबीती सुनाई और कहा कि उसे एक युवक कॉलेज ले गया था। उसके बाद वही युवक उसे बाजार और फिर अपने घर ले गया। जहां उस युवक तथा उसके चाचा ने बारी-बारी उसके साथ दुष्कर्म किया। जिससे छात्रा की हालत खराब हो गई।

परिजन पीड़िता को पहले पास के निजी अस्पताल ले गए लेकिन हालत गंभीर तथा मामला संदिग्ध होने के चलते चिकित्सक ने उसे जिला अस्पताल ले जाने की सलाह दी। जिसके बाद रास्ते में ही पीड़िता ने दम तोड़ दिया।

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह कहा जा रहा हा कि इस घटना में अभियुक्तों ने लड़की के हाथ, पैर और कमर तोड़ दिए। लेकिन फिलहाल पुलिस ने इन सभी खबरों को खारिज़ किया है।

पुलिस प्रशासन क्या कह रहा है?

बलरामपुर के जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि इस मामले में आरोपी चाचा-भतीजे के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है और दोनों फिलहाल पुलिस की गिरफ्त में हैं।

balrampur police.JPG
इस संबंध में बलरामपुर पुलिस ने ट्विटर पर कई वीडियो जारी कर बताया, "लड़की के परिजन ने अपनी तहरीर में दो लड़कों को नामज़द किया है और उनके बारे में कहा है कि उन लड़कों ने किसी डॉक्टर के पास ले जाकर हमारी लड़की का इलाज कराया और लड़की के साथ बलात्कार किया और जब लड़की की हालत ख़राब हुई तो उसे अस्पताल न ले जाकर घर पर भेज दिया।"

पुलिस ने इस प्रकरण में दो अभियुक्तों को गिरफ़्तार किया है। पुलिस का कहना है कि ये नामजद अभियुक्त हैं और आगे छानबीन करके अन्य जो भी अभियुक्त हैं उनको गिरफ़्तार करेगी।

पुलिस का हाथ, पैर व कमर तोड़ने वाली बात से इंकार

ट्विटर पर पत्रकार साहिल मुरली ने बताया कि हाथरस के बाद यूपी के बलरामपुर में एक और दलित लड़की का गैंगरेप और मर्डर हुआ है। जो उससे भी ज़्यादा भयावह है। रेप के बाद लड़की के पैर, कमर को कुचल दिया गया। इसके बाद उसे ज़हर भरा इंजेक्शन दिया गया। पुलिस का कहना है कि दो लोगों को गिरफ़्तार किया गया है।

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इस ट्वीट का खंडन करते हुए बलरामपुर पुलिस ने लिखा कि इस मामले में "हाथ, पैर व कमर तोड़ने वाली बात असत्य है।"

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बलरामपुर के अलावा बीते 24 घंटों में उत्तर प्रदेश के ही आजमगढ़ के जीयनपुर में आठ साल की बच्ची, बुलंदशहर में 14 साल की नाबालिग लड़की और फतेहपुर के ललौली में सात साल की मासूम के साथ दुष्कर्म की खबरें सामने आई हैं।

बता दें कि इससे पहले हाथरस में 14 सितंबर को एक दलित लड़की कथित गैंगरेप का शिकार हुई जिसके बाद मंगलवार, 29 सितंबर को दिल्ली के सफ़दरजंग अस्पताल में पीड़िता ने दम तोड़ दिया और उसी रात पुलिस ने आनन-फानन में पीड़िता के शव का अंतिम संस्कार कर दिया। पुलिस की इस कार्रवाई के बाद पुलिस प्रशासन और योगी सरकार की चौतरफा आलोचना हुई। 30 सितंबर को देशभर में पीड़िता के न्याय के लिए जोरदार प्रदर्शन हुए, मशाल जुलूस निकाले गए।

हाथरस
मानवाधिकार आयोग ने भेजा नोटिस, विपक्ष ने सीएम योगी से मांगा इस्तीफ़ा

बाजेपी की योगी आदित्यनाथ सरकार भले ही ‘बेहतर कानून व्यवस्था’ और ‘न्यूनतन अपराध’ का दावा कर रही हो लेकिन प्रदेश में एक के बाद एक लगातार दुष्कर्म की घटनाओं से ‘रामराज’ पोल खुलती नज़र आ रही है। कानून व्यवस्था के मामले को लेकर विपक्ष सरकार हमलावर है तो वहीं हाथरस में ‘गैंगरेप’ मामले और आधी रात में अंतिम संस्कार कराए जाने को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से लेकर महिला आयोग ने योगी सरकार को नोटिस जारी किया है।

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अपने नोटिस में आयोग ने कहा है कि "इस घटना ने राज्य की क़ानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं। राज्य में इस तरह की घटनाएं हुई हैं जिसमें ऊंची जाति के लोगों द्वारा दलितों के साथ भेदभाव किया गया है, उनका उत्पीड़न किया गया है। पुलिस और प्रशासन के ख़िलाफ़ भी कई आरोप लगाए गए हैं। ये मानवाधिकारों के उल्लंघन का गंभीर मामला है।"

मानवाधिकार आयोग ने इस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस से चार सप्ताह के भीतर जवाब देने के लिए कहा है। साथ ही प्रदेश के डीजीपी से परिवार को सुरक्षा देने के लिए भी कहा गया है।

राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर लिखा है, "यूपी गैंग रेप ट्रेजडी में, रात ढाई बजे पुलिसकर्मियों द्वारा अंतिम संस्कार किया गया, परिवार को इससे बाहर रखा गया। राष्ट्रीय महिला आयोग इसकी निंदा करता है। आख़िर मरघट पर परिजनों को क्यों नहीं आने दिया गया? आख़िर रात में क्यों किया गया?"

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कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस घटना की निंदा की है और प्रदेश पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है, "भारत सबका देश है। यहाँ सबको इज्जत की ज़िंदगी जीने का अधिकार है। संविधान ने हमें ये अधिकार दिया है।"

हाथरस गैंगरेप पीड़िता के शव को आधी रात जलाए जाने के मामले में सोनिया गांधी ने न्याय की मांग की है और कहा है कि "हाथरस की निर्भया की मृत्यु नहीं हुई है, उसे मारा गया है।"

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उन्होंने सरकार से सवाल किया है "मरने के बाद भी इंसान की एक गरिमा होती है। हमारा हिन्दू धर्म उसके बारे में भी कहता है। मगर उस बच्ची को अनाथों की तरह पुलिस की ताक़त के ज़ोर से जला दिया गया।"

बलरामपुर की घटना पर आम आदमी पार्टी के नेता और सांसद संजय सिंह ने ट्वीट किया, "बलरामपुर में दिल दहला देने वाली घटना। एक दलित की बेटी हैवानों की दरिंदगी का शिकार हो गई. योगी राज में बेटी होना अभिशाप बन गया है। बेटियों की रक्षा नहीं कर सकते तो सत्ता छोड़ दो योगी जी।"

आखिर चुप क्यों हैं सत्तापक्ष के नेता और सांसद?

बता दें कि तमाम मुद्दों पर अपनी राय रखने वाली केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी या राज्य महिला एवं बाल विकास मंत्री स्वाति सिंह का इस मामले पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है और न ही उनके ट्विटर हैंडल से कुछ ट्वीट ही हुआ है। अनुराग कश्यप के मामले में संसद में दहाड़ने वाले सांसद रवि किशन या धरने पर बैठीं रूपा गांगुली ने भी चुप्पी साध रखी है।

हालांकि इकनॉमिक्स टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में स्मृति ईरानी ने इतना जरूर कहा है कि महिलाओं के मुद्दे राजनीतिक मुद्दे नहीं, बल्कि राष्ट्रीय मुद्दे हैं। लेकिन शायद स्मृति ईरानी ये भूल गई हैं कि 2017 यूपी विधानसभा चुनाव से पहले उनकी पार्टी और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही तब की समाजवादी पार्टी के खिलाफ महिला सुरक्षा और कानून व्यवस्था के नाम पर वोट मांगे थे।

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यूपी में महिलाओं-दलितों के खिलाफ़ अपराध के सर्वाधिक मामले

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक साल 2019 में उत्तर प्रदेश में महिलाओं एवं दलितों के खिलाफ अपराध के सर्वाधिक मामले सामने आए हैं। एनसीआरबी की एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में साल दर साल दलितों और महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं।

भारत में 2019 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 405,861 मामले दर्ज हुए, जिसमें से 59,853 मामले अकेले उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए थे। यह संख्या देश में कुल मामलों का 14.7 फीसदी है, जो कि किसी भी राज्य की तुलना में सर्वाधिक है। ध्यान देने वाली बात ये है कि ये उन अपराधों पर तैयार की गई रिपोर्ट है जो थानों में दर्ज होते हैं। इन रिपोर्ट से कई ऐसे केस रह जाते हैं जिनकी थाने में कभी शिकायत ही दर्ज नहीं हो सकी।

एनसीआरबी देश के गृह मंत्रालय के अंतर्गत आता है। उसके अनुसार, यूपी में दलितों के खिलाफ अपराधों में वर्ष 2014 से 2018 तक 47 प्रतिशत की भारी बढ़ोत्तरी हुई है। इसके बाद गुजरात और हरियाणा हैं, जहां क्रमश: 26 और 15 फीसदी अपराध बढ़े हैं।

‘रामराज’ में कानून व्यवस्था भगवान भरोसे!

गौरतलब है कि इस साल फ़रवरी में विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव देते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि इस देश में रामराज ही चाहिए, समाजवाद नहीं चाहिए। हमारी सरकार रामराज की अवधारणा को ज़मीन पर उतारने को प्रतिबद्ध है।

हालांकि जानकारों का कहना है कि इस वक्त राज्य की कानून व्यवस्था ‘भगवान भरोसे’ ही नज़र आती है। सरकार और उसके आंकड़े कुछ भी कहें, लेकिन प्रदेश में अपराध की स्थिति किसी से छुपी नहीं है।

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