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वाह! मोदी जी वाह...!

गांधी जी ने तो उन्हें हरिजन बनाया था, पर यदि मोदी जी उस चरणामृत को पी भी लेते तो हरिजन को पूर्ण हरि बना देते। मोदी जी की गांधी जी से आगे निकल जाने की अदम्य लालसा भी पूरी हो जाती।
कुंभ में सफाईकर्मियों के पांव धोते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।
फोटो : साभार

हमारे देश के सफाई कर्मचारी महान हैं। वे इसलिए महान हैं क्योंकि इस देश के महान प्रधानमंत्री उनके पैर साफ करते हैं। वे इसलिए महान नहीं हैं कि वे अपने सिर पर आपका मैला ढोने का काम करते हैं। वे इसलिए भी महान नहीं हैं कि वे गटर को साफ करने के लिए उसमें घुसते हैं। वे सिर्फ इस लिए महान हैं क्योंकि इस देश के प्रधानमंत्री उनके पैर धोते हैं। अन्य देशों के सफाई कर्मचारियों को यह महानता प्राप्त नहीं हो सकती है।

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मोदी जी तो और भी अधिक महान हैं। क्या देश में, और देश ही नहीं पूरी दुनिया भर में कहीं भी कभी भी कोई भी ऐसा नेता हुआ है जिसने अपने यहां के सफाई कर्मचारियों के, मैला ढोने वाले लोगों, गटर में उतरने वाले लोगों के पैर धोये हों। मोदी जी सचमुच महान हैं, ऐसा काम तो, अपने अपने नजरिये से, इन लोगों के लिए सबसे अधिक काम करनेवाले, इन लोगों को बराबरी का दर्जा दिलाने की कोशिश करनेवाले, गांधी और अम्बेडकर ने भी नहीं किया। विश्व के बहुत सारे देशों में तो ऐसा होना संम्भव ही नहीं है क्योंकि वहां सफाई कर्मचारी तो हैं पर मैला ढोने वाले लोग नहीं हैं, और न ही ऐसे लोग हैं जो अपने हाथ पैरों से गटर साफ करते हों। पर हमारे देश में यह हो सकता है। हमारे देश में कोई भी नेता-अभिनेता, मंत्री-संतरी मैला ढोने वाले लोगों के पैर धो सकता है और इस पर गर्व कर सकता है।

मैं उस दिन की सुबह की बात सोच रहा हूं जिस दिन सुबह सुबह उन पांच लोगों को, जिनके पैर प्रधानमंत्री जी को धोने थे, इकट्ठा किया गया होगा। उन्हें अच्छी तरह से नहलाया गया होगा। हो सकता है कुम्भ स्नान भी करवा दिया गया हो। संम्भव है, जब प्रधानमंत्री जी ने अपने पाप धो रहे थे उसी समय  उन सफाई कर्मचारियों के पाप भी किसी और घाट पर ही सही, धुलवा दिये गये हों। फिर उसके बाद उनके पैरों पर चंदन, पीली/काली मिट्टी और चूने के मिश्रण से बनी गंदगी लगाई गई होगी। आखिर प्रधानमंत्री जी ने पैर धोने हैं, गू और कीचड़ थोड़े ही साफ करेंगे। उन्हें साफ सुथरे कपड़े पहनाये गये होंगे। उन पर फोग स्प्रे किया गया होगा। फिर वे इस योग्य हुए होंगे कि प्रधानमंत्री जी उनके पैर धो सकें। और उसके बाद पाद प्रक्षालन की प्रक्रिया शुरू हुई होगी।

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मैं कल्पना करता हूँकि वे लोग, जिनके पैर मोदी जी ने धोये थे, अपने घर मोहल्ले में पहुंचते हैं। शायद उनके मौहल्ले के सारे लोग उन्हें कंधों पर उठा लेते हैं, जलूस निकालते हैं।  सब उनके भाग्य से ईर्ष्या करते हैं। सोचते है जैसे उनके दिन फिर गये हैं। अब उनके पैर कीचड़ में नहीं सनेंगे, मोदी जी ने जो धो दिये हैं। अब उनको मैला नहीं उठाना पड़ेगा। अब उनको गटर में नहीं उतरना पडे़गा। अब उनके अच्छे दिन आ गये हैं। पर प्रधानमंत्री जी ऐसा करेंगे नहीं।

वैसे मोदी जी पहले ही लिख कर बता चुके हैं कि इन सफाई कर्मचारियों को गटर में उतरने से, सिर पर मैला ढोने से आध्यात्मिक सुख मिलता है। मोदी जी इस व्यवस्था को समाप्त कर उनसे यह सुख छीनना नहीं चाहते हैं। मोदी जी यह भी बता चुके हैं कि गटर की, गंदे नाले में बनने वाली गैस से चाय बनायी जा सकती है। मोदी जी ने, संभव है, पैर धोते धोते उन सफाई कर्मचारियों को यह सलाह भी दे दी हो कि आप लोग गटर में जाते समय अपने साथ चाय बनाने का सामान भी ले जाया करें और वहां आध्यात्मिक सुख प्राप्त करने के साथ साथ चाय भी पिया करें। 

वैसे यह एससी-एसटी के यहां रहने, खाना खाने की कवायद लगभग सभी नेता करते रहते हैं पक्ष के भी और प्रतिपक्ष के भी। पर मोदी जी जैसी महानता, पैर धोने की, किसी ने नहीं दिखायी। राहुल गांधी, अमित शाह, योगी और अन्य कई नेता दलितों के यहां रात भर रहना, खाना पीना जैसे कई तरह के नाटक कर चुके हैं। भले ही नेताओं द्वारा खाये जाने वाला खाना बाहर से बन कर आया हो। योगी आदित्यनाथ के आने पर तो एसी, सोफा आदि लाकर रख दिये जाते थे और उनके जाते ही उन्हें उठा लिया जाता था। पर मोदी जैसा महानाटक किसी ने नहीं किया। सफाई कर्मचारियों के पैर धो कर चरणामृत बनाया तो था लेकिन बस पीने की कमी रह गई। गांधी जी ने तो उन्हें हरिजन बनाया था, पर यदि मोदी जी उस चरणामृत को पी भी लेते तो हरिजन को पूर्ण हरि बना देते। मोदी जी की गांधी जी से आगे निकल जाने की अदम्य लालसा भी पूरी हो जाती।

मोदी जी को नाटक करने की पुरानी आदत है। उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में शुरुआत भी संसद भवन की सीढियों को नतमस्तक हो की थी पर संसद में जितना झूठ मोदी जी ने बोला किसी भी और प्रधानमंत्री ने नहीं बोला होगा। संसद भवन की सीढियों को प्रणाम करते हुए भी मोदी जी जानते थे कि वे संसद की नहीं अपनी महत्ता बढ़ा रहे हैं। अब सफाई कर्मचारियों के पैर धो कर भी उन्हें पता है कि वे सफाई करनेवालों की नहीं, अपनी वाह वाह करवा रहे हैं।

टैग लाइन : करें तो करें क्या, बोलें तो बोलें क्या, सोचें तो सोचें क्या और लिखें तो लिखें क्या। वाह, मोदी जी वाह!

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