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वामपंथी दल हरियाणा रोडवेज़ कर्मियों के साथ आए, अन्य विभागों में भी हड़ताल

रोडवेज कर्मचारियों के समर्थन में दो दिन के लिए हरियाणा सरकार के तकरीबन तीन लाख कर्मचारी हड़ताल पर हैं। चार प्रमुख वामपंथी दल भी कर्मचारियों के समर्थन में बुधवार को राज्य भर में प्रदर्शन करेंगे।
haryana roadways strike

हरियाणा रोडवेज कर्मचारियों ने सोमवार को एक बार फिर अपने आंदोलन को चार दिन के लिए बढ़ा दिया है। इसबार  रोडवेज की हड़ताल पूरे हरियाणा की आम हड़ताल बन गई है।  रोडवेज कर्मचारियों के समर्थन में आज से दो दिन के लिए हरियाणा सरकार के तकरीबन तीन लाख कर्मचारी भी हड़ताल पर हैं। इस बीच वामपंथी दलों ने संयुक्त रूप से बयान जारी कर हड़ताल का समर्थन किया है और बुधवार को सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है।

इस बीच हरियाणा सरकार आंदोलन कर रहे रोडवेज कर्मियों पर बल प्रयोग कर आंदोलन को खत्म कराने का प्रयास कर रही है, पर लगता नहीं कि कर्मचारी इससे डरने वाले हैं।

पहली नवंबर को हरियाणा अपना स्थपना दिवस मनाएगा। हरियाणा के इतिहास में यह पहली बार होगा कि राज्य स्थापना के दिन रोडवेज पूरी तरह से ठप रहेगा। मिल रही जानकारी के मुताबिक उस दिन हरियाणा के अन्य विभाग के कर्मचारी भी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल हो सकते हैं।

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कर्मचारियों पर इस बीच सरकार ने भी कड़ा रुख अपनाया है। सरकार कई सौ कर्मचारियों को बर्खास्त कर रही है। साथ ही पुलिस यूनियन नेताओं को गिरफ्तार कर रही है। सरकार की इस कार्रवाई के चलते कई नेता भूमिगत हो गए हैं। सोमवार को हरियाणा रोडवेज तालमेल कमेटी ने अपनी बैठक भी गुप्त स्थान पर की थी जिसमें इस आंदोलन को और तीव्र करने का निर्णय किया गया।

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रोडवेज के कर्मचारी 16 अक्टूबर से परिवहन विभाग के निजीकरण के विरोध में हड़ताल पर हैं। प्रदेश  के 2 लाख कर्मचारी 26 अक्टूबर को सामूहिक अवकाश लेकर सरकार द्वारा निजी बसें किराये पर लेने का विरोध कर चुके हैं और अब कर्मचारियों  के 150 से ज्यादा संगठनों ने 30-31 अक्टूबर को हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया। इतना ही नहीं रोडवेज के निजीकरण के सरकार के प्रयास के खिलाफ प्रदेश के गांवों से जनता रोडवेज कर्मचारियों के समर्थन में आ रही है। हरियाणा सरकार इस सबके बावजूद हठधर्मी रवैया अपना हुए है।

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चार वामपंथी पार्टियों सीपीआई (एम), सीपीआई, एसयूसीआई (सी) और सीपीआई (एमएल) ने संयुक्त बयान जारी करके हरियाणा रोडवेज के कर्मचारियों की हड़ताल को समर्थन दिया है।

चारों वामपंथी पार्टियों ने रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल के लिए प्रदेश की भाजपा सरकार की हठधर्मिता को कारण माना है। कर्मचारियों पर चलाए जा रहे भीषण दमन चक्र और यात्रियों की जान जोखिम में डालकर जिस तरह नौसिखिये लोगों से बसें चलवाई जा रही हैं उसको लेकर भी सरकार की कड़ी निंदा की गई है।

सीपीएम राज्य सचिव सुरेंद्र सिंह ने बताया कि 31 अक्तूबर को चारों वामपंथी पार्टियां सरकार की रोडवेज के निजीकरण की नीति के खिलाफ विरोध दिवस मनाएंगी और प्रदेशभर में रोडवेज कर्मचारियों के समर्थन में रोष प्रदर्शन करेंगी। वामपंथी नेताओं ने कहा है कि प्रदेश की तमाम विपक्षी पार्टियों ने रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल का समर्थन किया है परंतु जिस प्रकार हड़ताल तोड़ने के लिए सरकार द्वारा कर्मचारियों पर दमन चक्र चलाया जा रहा है और जनता को  भारी असुविधा  हो रही है उसमें यह  अपेक्षित है कि तमाम विपक्षी  पार्टियां सड़कों पर उतर कर इसका प्रतिरोध करें। इस संबंध में आज मंगलवार को 31 अक्टूबर के विरोध दिवस को सफल बनाने के लिए  विपक्षी नेताओं से व्यक्तिगत सम्पर्क स्थापित करके भी अपील की गई। 

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सरकार का रवैया

इस आंदोलन की सबसे ख़ास बात ये है कि कर्मचारी अपनी तनख्वाह बढ़ाने या बोनस के लिये नहीं बल्कि हरियाणा रोडवेज़ को बचाने के लिये इस आंदोलन को चला रहे हैं। इस आंदोलन का विशेष चरित्र समझने के लिये यही एक बात काफी है कि सभी रोडवेज़ कर्मचारी अपनी एक महीने की पगार और दो साल का बोनस हरियाणा रोडवेज़ को बचाने के लिये फण्ड में देने को तैयार हैं लेकिन सरकार कर्मचारियों के सहयोग को ठुकरा रही है |

सरकार ने इन कर्मचारियों पर न केवल लाठीचार्ज जैसे हिंसक तरीके अपनाये हैं बल्कि एस्मा के तहत सैकड़ों कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है और सैकड़ों कर्मचारियों को बर्ख़ास्त भी कर दिया है।

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हरियाणा रोडवेज़  के एक कर्मचारी ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि हरियाणा रोडवेज़ देश की बेहतरीन रोडवेज़ है जो अपनी बढ़िया सेवा के लिये 19 बार पुरस्कृत हो चुकी है। इस सरकारी बस सेवा को ख़त्म करने के इरादे से 700 से अधिक निजी बस परमिट जारी कर दिये गये हैंय़। सैकड़ों प्रशिक्षित, अनुभवी और सैकड़ों कच्ची नौकरी वालों को बर्ख़ास्त करके आनन-फ़ानन में ऐसे नौसिखिए आउटसोर्सिंग द्वारा रख लिये गए जिन्होंने आते ही बस भिड़ाने और दुर्घटना के खाते खोल दिये हैं।

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सरकार इस बीच कर्मचारी यूनियनों से बात करके समस्या को हल करने के बजाय लाठी के बल पर आन्दोलन को खत्म करने का प्रयास कर रही है परन्तु इसके विपरीत वहाँ के लोगो का गुस्सा दिन प्रति दिन और बढ़ता जा रहा है। सोमवार को हरियाणा के ग्राम पंचायतों के साथ ही खाप पंचायत भी रोडवेज हड़ताल के समर्थन में आ गईं। हरियाणा में कर्मचारियों के पक्ष में रोजाना हजारों की संख्या में आम जनता भी सड़क पर उतर रही है और सरकार के खिलाफ अपना गुस्सा व्यक्त कर रही है।

हरियाणा रोडवेज कर्मचारी तालमेल कमेटी का कहना है कि, “सरकार अपनी ज़िद पर अड़ी हुई है। वो अभी भी पीछे हटने को तैयार नहीं, उल्टा बातचीत के दौरान कर्मचारियों को डराने की कोशिश की गयी। परन्तु कर्मचारी भी अपनी मांगों पर कायम हैं कि जब तक सरकार निजी बसों के प्रस्ताव को वापस नहीं लेती तब तक ये हड़ताल जारी रहेगी।”

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