हरियाणा रोडवेज हड़ताल: जनता और अन्य सरकारी कर्मचारियों का समर्थन
हरियाणा सरकार रोडवेज हड़ताल के 10वें दिन भी हड़ताल को खत्म करने में नाकाम रहीI आज हरियाणा सरकार के विभिन्न विभाग के लाखों कर्मचारी भी सामूहिक अवकाश पर रहे| गुरुवार को नौकरशाहों की बजाए सीधे परिवहन मंत्री ने हड़ताली कर्मचारियों से बातचीत की परन्तु यह प्रयास भी पूरी तरह से असफल रहा|
हरियाणा रोडवेज कर्मचारी तालमेल कमेटी का कहना है कि, “सरकार अपनी जिद्द पर अड़ी हुई है वो अभी भी पीछे हटने को तैयार नहीं, उलटा बातचीत के दौरान कर्मचारियों को डराने की कोशिश की गयीI परन्तु कर्मचारी भी अपनी मांगो पर कायम रहे कि जब तक सरकार निजी बसों के प्रस्ताव को वापस नहीं लेती तब तक ये हड़ताल जारी रहेगी|”
इस क्रम में कर्मचारियों ने अपनी हड़ताल को चार दिन और बढ़कर 29 अक्टूबर तक जारी रखने का फैसला किया है |
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हरियाणा के इतिहास की दूसरी सबसे बड़ी हड़ताल
हरियाणा में 1993 के बाद यह दूसरी सबसे बड़ी हड़ताल हैI 1993 में भजनलाल की सरकार के दौरान रोडवेज कर्मचारियों ने लगभग 16 दिनों की हड़ताल की थीI इसमें भी अन्य विभाग के कर्मचारियों का समर्थन मिला था और उन पर भी तत्कालीन सरकार ने दमनकारी नीति अपनाई थीI परन्तु अंत में भजनलाल की सरकार को कर्मचारियों के आगे झुकना पड़ा था और सभी कर्मचारियों से मुकदमे वापस लेना पड़े थे|
खट्टर सरकार ने भी आन्दोलन कर रहे कर्मचारियों से बातचीत कर समस्या के हल के बजाए, उन पर एसेंशियल सर्विसेज मैनेजमेंट एक्ट (एस्मा) लगाकर सैंकड़ो कर्मचारियों को जेल भेजा व सैंकड़ों कर्मचारियों को बर्खास्त कियाI उसे लग रहा था कि कर्मचारी इससे डर कर वापस कम पर आएंगे, परन्तु उसका ये सोचना गलत साबित हुआI कर्मचारी और मजबूती से एकजुट होकर सरकार द्वारा निजीकरण के फैसले के खिलाफ संघर्ष में उतर गए हैंI अब तो उन्हें अन्य विभागों का भी समर्थन मिल रहा है| यहाँ तक कि आज तो परिवाहन निदेशक कार्यालय के सभी कर्मचारी भी अपना काम छोड़कर हड़ताल के समर्थन में अवकाश पर थे|
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अब यह देखना होगा खट्टर सरकार कब कर्मचारियों की मांगो के आगे कब झुकती हैI क्योंकि कर्मचारी तो झुकेंगे ऐसा प्रतीत नहीं होता क्योंकि उन्हें पूरे हरियाणा में भारी जनसमर्थन मिल रहा है| हाल ही में फेसबुक पर एक कर्मचारी द्वारा वोट के माध्यम से लोगों से राय ली गई थी कि वो किस तरह की परिवहन व्यवस्था चाहती है - निजी या हरियाणा रोडवेजI इसमें तकरीबन 7 हज़ार से अधिक लोगों ने भाग लिया और उसमें से तकरीबन 95% लोगों ने हरियाणा रोडवेज को पसंद किया|
लोगों को मुश्किलों का समाना करना पड़ रहा है ,फिर भी वो रोडवेज कर्मचारियों के साथ
इस हड़ताल से हरियाणा के आम लोगों को भारी मुश्किलों का समाना करना पड़ रहा हैI सरकार के उन सभी दावो की पोल खुलती नजर आ रही जिसमें वो कह रही है कि वो यात्रियों को किसी भी तरह की मुश्किल नहीं आने दे रही| हरियाणा की खट्टर सरकार की ओर से लोगों को राहत देने के लिए मंगवाई स्कूली बसें भी बीते शनिवार को रूट से हट गई। शनिवार को स्कूल खुलते ही स्कूलों ने अपने बसों को वापस बुला लिया। उधर, वैकल्पिक चालक व परिचालकों से सरकारी बसें चलाने का दावा भी झूठा नज़र आ रहा है|
इन सब कारणों से लोगों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है । यात्रियों को हारकर निजी बसों, टैक्सियों व अन्य वाहनों पर खासी परेशानियों झेलते हुए अपने मंजिल तक पहुंचना पड़ रहा है । इसका निजी बस चालक हड़ताल का फायदा उठाते हुए यात्रियों से मनमाना किराया भी वसूल रहे है ।
इन सबके बाबजूद हरियाणा रोडवेज के कर्मचारियों को लगातर जन समर्थन मिल रहा हैI सरकार के खिलाफ उनका रोष सड़कों पर दिख रहा है हरियाणा के कई गाँवो की पंचायतो ने हड़ताल के समर्थन में पत्र जारी किया है|
आमतौर पर जब भी कर्मचारी किसी हड़ताल पर जाते हैं तो आम जनता ज्यादातर उसके खिलाफ होती है क्योंकि हड़ताल से आम लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, लेकिन यह एक ऐसी हड़ताल है जिसे अन्य विभागों के कर्मचारी व यूनियन के साथ ही ग्राम स्तर के लोगों का समर्थन भी मिल रहा है।हरियाणा की अधिकतर पंचायतें इस हड़ताल व कर्मचारियों की मांग के समर्थन में हैं|
सर्व कर्मचारी संघ की उप प्रधान सबिता ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि, “सरकार का जो रवैया है वो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण हैI रोडवेज के कर्मचारी अपने वेतन या भत्ते की मांग नहीं कर रहे, बल्कि हरियाणा की आम जनता के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं| सरकार बार–बार घाटे की बात करके सार्वजनिक परिवहन को बेचने का प्रयास कर रही हैI रोडवेज में घाटे की बात पूरी तरह कौड़ा झूठ है क्योंकि अगर ऐसा होता तो सरकार ने जो अभी निजी लोगों से समझौता किया है वो रोडवेज की लागत से महंगा है| आप ज़रा सोचिए कि अगर रोडवेज घाटे में है तो उसे सस्ते में बेचा जायेगा या मुनाफे में?”
सबिता आगे कहती हैं कि, “सरकार यूँ ही अपनी जिद्द पर अड़ी रही तो अभी तो सिर्फ हरियाणा रोडवेज 100% हड़ताल पर है, आगे पूरे हरियाणा के सभी विभाग के कर्मचारी भी हड़ताल पर चले जायेंगे| इसका संकेत आज सामूहिक अवकाश से सरकार को हमने दे दिया है|”
सबिता ने कहना है कि ये खट्टर सरकार जब से आई तभी से इसने कर्मचारी और मज़दूर विरोधी कम किया हैI परन्तु हरियाणा के कर्मचारी और मजदूरों ने हर समय इसका प्रतिकार किया हैI चाहे वो हरियाण की हजारो आशा वर्कर की हड़ताल हो या फिर बिजली विभाग का निजीकरण के खिलाफ कर्मचारियों का हड़ताल हो ये सभी इसी बात को साबित करते हैं| इन सभी आन्दोलनों ने लगातार भाजपा के इस खट्टर सरकार को झुकाया है| इस बार भी हरियाणा के कर्मचारी अपनी मांग पूरी होने तक संघर्ष करेंगे|
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