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‘यंग झारखंड’ : जहां हक मांगने पर मिलती हैं लाठियां और बर्खास्तगी

सरकार ने अब तक 200 से अधिक आन्दोलनकारी पैरा-शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया है और अन्य सैकड़ों की बर्खास्तगी के लिए उन्हें चिह्नित करने की प्रक्रिया जारी हैI अपने शांतिपूर्ण कार्यक्रम पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में पैरा-शिक्षकों के मोर्चे ने भी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की घोषणा कर दी हैI
झारखंड : आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज
Image Courtesy: jagran.com

15 नवम्बर को झारखण्ड राज्य की स्थापना हुए 18 साल हो गये I इस अवसर पर सरकार ने जश्न मनाया I लेकिन जल्दी ही ‘यंग झारखण्ड’ (युवा झारखण्ड) का स्थापना दिवस समारोह पुलिस के लाठी भाँजू कार्यक्रम में तब्दील हो गयाI

राजधानी के मोरहाबादी मैदान में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री जी राज्य के ‘खुले में शौच मुक्त’ होने की घोषणा कर रहे थेI वहीं कार्यक्रम स्थल से थोड़ी दूर मैदान में जुटे राज्य भर से आये सैकड़ों पैरा-शिक्षक अपनी स्थायी नौकरी की माँग खारिज करने वाली सरकार की हठधर्मिता के खिलाफ काला झंडा दिखाकर विरोध प्रकट कर रहे थेI

मुख्यमंत्री चाहते तो अपने किसी प्रतिनिधि को भेजकर मामला शांत करवा सकते थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठियाँ चला दीं जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गयीI फलतः देखते ही देखते आयोजन स्थल के बाहर का इलाका पुलिस और पैरा-शिक्षकों के बीच भिडंत का रणक्षेत्र बन गयाI एक ओर आँसू गैस और लाठियों के लैस पुलिस थी, तो दूसरी ओर काले कपड़े लहराते और ‘सरकार मुर्दाबाद’ के नारे लगाते पैरा-शिक्षकों के समूहI प्रशासन के अनुसार पैरा-शिक्षकों के उग्र होकर पत्थर और डंडे चलाने पर पुलिस को मजबूरन यह कार्रवाई करनी पड़ीI इस अफरा-तफरी के चलते राज्यपाल महोदया को अपना भाषण भी कुछ देर के लिए रोकना पड़ गयाI हद तो तब हो गयी जब घटना की फोटो और वीडियो ले रहे रिपोर्टरों समेत कई वरिष्ठ संवादाताओं को भी पुलिस ने पीटाI पुलिस अधिकारियों ने घटना के फोटो फ़ौरन डीलीट करने का दबाव उन पर डाला, जिससे इनकार करने पर पत्रकारों और कैमरामैनों के कैमरे छीन लिए गये और उन्हें पीटा गयाI

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आनन-फानन में भाजपा राज्य मुख्यालय में प्रेस वार्ता बुलाकर पार्टी प्रवक्ताओं ने घटना के लिए विपक्षी दलों को ज़िम्मेदार ठहराते हुए उनसे राज्य की जनता से माफ़ी माँगने को कह डालाI लेकिन इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर न तो कोई खेद जताया और न ही पैरा-शिक्षकों की माँगों के बारे में कुछ कहाI

राज्य स्थापना दिवस पर आयोजित यह कार्यक्रम सार्वजनिक था और ऐसे में राज्य के पैरा-शिक्षक अगर वहाँ पहुँचे और सरकार के सामने अपनी माँगें रखने की कोशिश की, इस स्थिति में लाठीचार्ज करना कितना जायज़ था! साथ ही ऐसा कौन-सा डर था कि मीडियाकर्मियों द्वारा ली गयी तस्वीरें नहीं हटाने पर, उन्हें भी पीट दिया गयाI

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आयोजन राज्य स्थापना के जश्न का था, जिसमें की सभी लोगों को आने की सूचना जारी की गयी थीI लेकिन सुबह से ही रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड से लेकर शहर में प्रवेश के सभी मुख्य द्वारों से पुलिस की छानबीन के बाद ही किसी को प्रवेश करने दिया जा रहा थाI कार्यक्रम स्थल का इलाका पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया थाI हालाँकि मीडिया और खुफिया विभाग ने आशंका जतायी थी कि राज्य स्थापना दिवस के दिन पैरा-शिक्षक विरोध करेंगेI क्योंकि महीनों के राज्यव्यापी आन्दोलन के बाद जब सरकार के शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों और पैरा-शिक्षकों के प्रतिनिधियों के बीच हुई वार्ता में छत्तीसगढ़ की तर्ज़ पर उनके स्थायीकरण और सामान काम के बदले समान वेतन देने की माँग को सिरे से खारिज कर दिया गयाI तब पैरा-शिक्षकों के संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने सरकार को अल्टीमेटम दिया था कि यदि 15 नवम्बर तक उनकी माँगें नहीं मानी गयीं तो राज्य स्थापना दिवस के दिन वे राजधानी आयेंगे और काला झंडे दिखाकर विरोध प्रकट करेंगेI

सरकार ने अब तक 200 से अधिक आन्दोलनकारी पैरा-शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया है और अन्य सैकड़ों की बर्खास्तगी के लिए उन्हें चिह्नित करने की प्रक्रिया जारी हैI अपने शांतिपूर्ण कार्यक्रम पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में पैरा-शिक्षकों के मोर्चे ने भी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की घोषणा कर दी हैI दूसरी ओर, मीडियाकर्मियों पर हुए पुलिसिया हमले के विरोध में मीडियाकर्मियों के राष्ट्रीय संगठन आईएफ़डब्ल्यूजी की झारखण्ड ईकाई और झारखण्ड जर्नालिस्ट एसोसिएशन ने पूरी घटना की न्यायिक जाँच और 24 घंटे के भीतर दोषी पदाधिकारियों को निलंबित करने की माँग की हैI

राज्य स्थापना दिवस पर राज्य के पैरा-शिक्षकों व मीडिया कर्मियों पर हुए लाठीचार्ज का सभी विपक्षी दलों तथा एआइपीएफ़ समेत कई अन्य जन संगठनों ने कड़ा विरोध किया हैI जबकि भाकपा (माले) व अन्य वाम दलों ने राज्यव्यापी विरोध करने की घोषणा की हैI

इसके साथ ही, चतुर्थ श्रेणी में नियुक्ति और सम्मानजनक वेतन की माँग को लेकर राजभवन के समक्ष धरने पर बैठी राज्य की महिला रसोईयाकर्मी/सहायिकाओं को भी 14 नवम्बर की रात पुलिस ने जबरन उठाकर, खेल गाँव स्थित कैम्प जेल में डाल दिया हैI जहाँ खाना और पानी की कोई व्यवस्था नहीं दी गयी है, जबकि गिरफ्तार रसोइयाकर्मियों कुछ गर्भवती हैं, तो कईयों के साथ छोटे-छोटे बच्चे हैंI

15 नवम्बर को मुख्यमंत्री जी महामहिम राज्यपाल के साथ बिरसा मुंडा की मूर्ति पर माल्यार्पण कर मीडिया के सामने कहते हैं कि बिरसा के झारखण्ड से शोषण–गरीबी समाप्त करना ही उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगीI लेकिन उसी दिन जब शोषण और गरीबी से जूझ रहे, उनके ही राज्य के मानदेयकर्मी अपनी फरियाद लेकर उनके पास आते है तो पुलिसिया लाठी से बात की जाती हैI राज्य के लोगों का कहना है कि सही विकास तभी होगा जब यहाँ के लोगों की सम्मानजनक काम और रोज़ी–रोटी जैसी मौलिक ज़रूरतें पूरी होंगीI लेकिन मुख्यमन्त्री जी विकास के नाम पर देश-विदेश जा-जाकर बड़ी निजी कंपनियों को बुला रहे हैंI बिरसा मुंडा तो एक ईस्ट इंडिया कम्पनी के राज से लड़े थे, क्या होगा जब झारखण्ड में खुद सरकार अपने संरक्षण में कई-कई कंपनियों का राज चलाएगी? 

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