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2018 : आश्रय गृह के शोषण गृह बनने का साल

साल 2018 बेसहारा बच्चियों के लिए एक सदमे की तरह रहा। बिहार, यूपी से लेकर दिल्ली तक एक के बाद एक आश्रय गृह के शोषण गृह बनने की कहानी सामने आती रही।
शेल्टर होम में शोषण के खिलाफ प्रदर्शन (फाइल फोटो)
Image Courtesy: livehindustan.com

दिल्ली के एक और शेल्टर होम में बच्चियों के शोषण की कहानी सामने आई है। द्वारका के सेक्टर 8 स्थित इस आश्रय गृह में करीब 22 लड़कियाँ थीं, जिनको वहां ठीक से खाना तक नहीं दिया जाता था और काम अलग से कराया जाता था। उनके साथ मारपीट भी एक आम बात थी, लेकिन बच्चियों ने जो बताया वो दिल दहलाने वाली बात थी कि कभी कोई गलती होती थी तो उनके  प्राइवेट पार्ट में मिर्च डाल दी जाती  थी।

इससे पहले दिल्ली के ही एक अन्य आश्रय गृह की भी खबर आई थी कि वहाँ से कई लड़कियाँ गायब हो गई थी। इसके साथ ही साल 2018 में पूरे देश के कई राज्यों चाहे वो बिहार हो या उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश या फिर दिल्ली सभी जगह के आश्रय गृहों में इसी तरह की प्रताड़ना और बच्चियों के के यौन शोषण के खुलासे होते रहे।  

द्वारका के आश्रय गृह का पूरा मामला

दिलशाद गार्डन के आश्रय गृह से लड़कियों के गायब होने के बाद दिल्ली सरकार ने दिल्ली महिला आयोग से एक टीम गठित करने के लिए कहा था। जिसके बाद दिल्ली महिला आयोग (DCW) द्वारा एक विशेषज्ञ समिति गठित की गई। इसके द्वारा राजधानी में नाबालिग लड़कियों के लिए बने एक निजी आश्रय गृह का दौरा किया गया। जिसके बाद खुलासा हुआ कि कैसे बच्चियों को प्रताड़ित किया जाता है।

इस समिति के अनुसार यहां बच्चियों को यौन हमले झेलने पड़ते थे। इसके अलावा शारीरिक दंडघरेलू काम करना और खराब और अनियमित भोजन दिया जाता था।

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इस समिति की सदस्य रितु मेहरा जो खुद एक  समाज सेविका हैं, ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए बताया कि जब हमने आश्रय गृह में छोटी लड़कियों के साथ बातचीत की  तो वे बहुत डरी हुईं थीं। जब हमने उनकी काउंसलिंग की तब  बच्चियों ने हमें बताया कि उनके निजी भागों में मिर्च पाउडर को सबके सामने आश्रय गृह के कर्मचारियों द्वारा डाला जाता था|

लड़कियों से घरेलू काम जैसे साफ-सफाई और शौचालय और कपड़े और बर्तन धोने जैसे काम कराए जाते थे। इस शेल्टर होम में 6 से 15 वर्ष की उम्र के बीच की 22 लड़कियां रहती थीं।

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के नेतृत्व में गठित इस टीम ने गुरुवार रात आश्रय गृह का दौरा किया और फिर दिल्ली पुलिस से संपर्क किया। जिसके बाद सादे कपड़ों में पुलिसकर्मियों होम में 24 × 7 पर तैनात हैं।

समिति कि सदस्य रीतू ने कहा- कर्मचारियों की कमी के कारणबड़ी लड़कियों को छोटे लड़कियों की देखभाल करने के लिए मजबूर किया जाता था। घर में केवल एक रसोइया है और बच्चों ने भोजन की गुणवत्ता के बारे में शिकायत की है। इसे अक्सर अनियमित अंतराल पर भी परोसा जाता था। 

अभी इस मामले में पुलिस ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम की धारा 6 के तहत घर के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज कर ली है और किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 के तहत मामला एक स्थानीय पुलिस स्टेशन में दर्ज कराया गया है। अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।”

कई लोगों ने लड़कियों को शिफ्ट करने की बात कही परन्तु लड़कियों ने इसको लेकर असहमति जाहिर कि और कहा कि वो इस होम के पास के स्कूल में पढ़ाई करती हैं, ऐसे में अगर उन्हें कहीं और शिफ्ट किया जाता है तो उनकी पढ़ाई पर असर पड़ेगा।

इस स्थिति को देखते हुए समिति ने कहा है बच्चियों को शिफ्ट करनी की बजाय इस आश्रय गृह के कर्मचारियों को बदल दिया जाए और अधिक संखया में कर्मचारी रखे जाएं जिससे उन्हें यहीं उचित वातावरण मिल सके।

देश के आश्रय गृह के हालात

शायद देश के तमाम आश्रय गृह में ऐसा ही सब चलता रहता, अगर टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस (TISS) की टीम ने बिहार के शेल्टर होम का निरीक्षण कर रिपोर्ट न बनाई होती।  रिपोर्ट आने के तक़रीबन तीन महीने बाद सरकार ने इस मामले पर कार्रवाई करने की सोची और वह भी स्थानीय मीडिया में ख़बर आने के बाद

दरअसलमुज़फ्फरपुर आश्रय गृह के खुलासे के बाद से देश के कई आश्रय गृहों के घिनौने कृत्य सबके सामने आ रहे हैं। जितने भी आश्रय गृहों के घिनौने कृत्य का पर्दाफाश हुआ है अधिकतर को चलाने वाले कोई-न-कोई रसूखदार ही थे और उन सबका राजनीतिक ताल्लुक था।

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आश्रय गृह में होने वाले कृत्यों को सुनकर ही लोगों की रूह काँप उठती हैतो ज़रा सोचकर देखिये कि जिनके साथ यह घिनौना काम होता होगा उनके उपर क्या बीतती होगी। अभी तक जितने भी आश्रय गृह के मामला सामने आया हैतमाम रिपोर्टों से यही जाहिर होता है कि इन सारे आश्रय गृह में महिलाओं व बच्चियों को जानवर से भी ज़्यादा बुरी स्थिति में रखा जाता थाउन्हें मारा पीटा जाता थाबात नहीं मानने पर तरह तरह की यातनाएँ दी जाती थीयहाँ तक कि उन्हें मौत के घाट भी उतार दिया जाता था।

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चाहे वह मुज़फ्फरपुर का आश्रय गृह कांड होपटना का शेल्टर होम कांड होउत्तर प्रदेश के देवरिया का मामला, मध्य प्रदेश में विकलांग लड़कियाँ के लिए बना शेल्टर होम या दिल्ली के द्वारका में स्थित शेल्टर होम सभी के हालत बहुत ही भयावह हैं|

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देवरिया आश्रय गृह को देखा जाए तो वह और भी भयावह लगता हैक्योंकि जिस आश्रय गृह को एक साल पहले बंद कर दिया गया थावहाँ किसके कहने पर लड़कियों को रखने की इजाज़त मिली। कहा जा रहा है कि इस आश्रय गृह के मालिक का भी सत्ता में आसीन लोगों यानी कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से नज़दीकी सम्बंध है।

बिहार में बच्चियों और महिलाओं की सुरक्षा का अंदाज़ा मुज़फ़्फ़रनपुर कांड से लगाया जा सकता है, जहाँ सालों तक लड़कियों का शोषण होता रहा वो भी सत्ता के संरक्षण में और मामला सार्वजनिक होने के बाद भी आरोपियों को पकड़ने के बजाये उन्हें बचाने का प्रयास होता रहा।

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आपको बता दें कि देश में आश्रय गृह में इस तरह की घटनाएं कोई पहली बार नहीं हैं। इससे पहले भी 2012 में हरियाणा के रोहतक व करनाल में युवतियों के साथ इसी तरह की घटना सामने आई थी। इसी प्रकार से महाराष्ट्र के आश्रय गृह में भी बच्चियों को नहीं छोड़ायह घटना 2013 में प्रकाश में आई थी। इसके बाद 2015 में देहरादून के नारी निकेतन में भी कुछ इस तरह की घटना सामने आई थीजहाँ दरिंदो ने मूक बधिर बच्चियों तक को नहीं बख्शा था। लेकिन वर्ष 2018 का अंत होने को है इस वर्ष में जितने आश्रयगृह से शोषण के खुलासे हुए हैं उसने सभी को चौंका दिया है।

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