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अमेरिका में 61 फ़ीसदी लोग नहीं चाहते कि इज़राइल को कोई भी सहायता भेजी जाए

अमेरिका में फ़िलिस्तीन के समर्थन में उठे आंदोलन में इजराइल के प्रति अमेरिका के अडिग समर्थन की अमेरिकी नीति का विरोध करने के लिए लाखों लोग लामबंद हुए हैं। पिछले शनिवार को फ़िलिस्तीन में नरसंहार के खिलाफ “रेड लाइन” के हिस्से के तौर पर आंदोलन किया जिसमें करीब एक लाख लोगों ने व्हाइट हाउस को घेर लिया था।
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PYM के एक आयोजक मोहम्मद 8 जून को भीड़ को संबोधित करते हुए। फोटो: PYM

इज़राल के प्रति बाइडेन प्रशासन के समर्थन पर व्यापक सहमति अब गंभीर खतरे में है। सीबीएस न्यूज़ द्वारा 5 से 7 जून के बीच किए गए एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि अमेरिका में 61 फीसदी लोगों का मानना है कि उनकी सरकार को इज़राल को हथियार और अन्य चीजें नहीं भेजनी चाहिए। 30 वर्ष से कम उम्र के लोगों क यह संख्या 77 फीसदी से अधिक है। 30 वर्ष से कम आयु के 49 फीसदी लोगों का मानना है कि बाइडेन को इज़राल को गज़ा में सैन्य कार्रवाई पूरी तरह से रोकने के लिए मनाना चाहिए (सर्वेक्षण में शामिल 37 फीसदी लोग भी इस विचार से सहमत हैं)

7 अक्टूबर के ठीक बाद के सर्वेक्षणों से पता चलता है कि जनता की राय किस हद तक बदल गई है, 52 फीसदी लोग इज़राल को हथियार और आपूर्ति भेजने के खिलाफ हैं, और 30 वर्ष से कम आयु के 59 फीसदी लोग ही इसके खिलाफ हैं। उसी वर्ष मई में गज़ा पर इजराल के हमलों के तुरंत बाद, अगस्त 2021 के सर्वेक्षणों की संख्या, इजराल को सहायता के लिए अमेरिकी जनता के समर्थन में इसी तरह का विभाजन दिखाती है, जिसमें 50 फीसदी लोगों का कहना है कि अमेरिका को ज़ायोनी राज्य को सैन्य सहायता प्रतिबंधित करनी चाहिए।

पिछले आठ महीनों से, फ़िलिस्तीन एकजुटता आंदोलन और आंदोलन में शामिल विभिन्न संगठन जन चेतना अभियान चला रहे हैं, सड़कों पर लामबंद हो रहे हैं, परिवहन के प्रमुख मार्गों और राजधानी के मार्गों में जारी आवा-जाही को रोक रहे हैं, विश्वविद्यालयों में विनिवेश के लिए लड़ रहे हैं, और कई अन्य संबंधित कार्रवाइयां कर रहे हैं।

4 नवंबर को हुई व्यापक राष्ट्रीय लामबंदी, देश के इतिहास में सबसे बड़ा फिलिस्तीन समर्थक आंदोलन/प्रदर्शन बन गया था, जिसमें देश की राजधानी में पाच लाख लोग जुटे थे। 8 जून को, व्हाइट हाउस के बाहर 100,000 लोग इकट्ठा हुए, उनमें से कई फ्लोरिडा, मिशिगन और आयोवा से रात भर यात्रा करके आए थे, व्हाइट हाउस के गेट पर “लाल रेखा” खींचने के विभिन संगठनों के आह्वान पर लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।

रैली की शुरुआत करते हुए फ़िलिस्तीनी युवा आंदोलन (PYM) के एक आयोजक लैमीस एम ने कहा, "सत्तारूढ़ वर्ग ने हमें दिखा दिया है कि उनके सामने कोई लाल रेखा नहीं है।" "उन्होंने पिछले कुछ हफ़्तों में रफ़ा के नरसंहार और पिछले आठ महीनों में गज़ा में नरसंहार और मौत और लूट के कई अन्य मामलों को वित्तपोषित किया है, ये सब साम्राज्य और खूनी लाभ के नाम पर किया गया है।"

"आंदोलन में अधिक से अधिक लोग शामिल हो रहे हैं, शायद यह अभी भी बड़ा तबका नहीं हैं, शायद यह एक बहुत बड़ा छोटा तबका बन गया है, लेकिन जनसंख्या का यह एक बहुत बड़ा हिस्सा है, जिनकी संख्या करोड़ों में है... जो सोचते हैं कि इजराइल का नैरेटिव झूठा है," ब्रायन बेकर, ANSWER गठबंधन के कार्यकारी निदेशक, एक राष्ट्रीय साम्राज्यवाद विरोधी संगठन जिसने रैली को आयोजित करने में मदद की, ने पीपल्स डिस्पैच को उक्त बाते बताई।

मार्च में हुए गैलप पोल से पता चलता है कि नवंबर 2023 की तुलना में, जिसमें अमेरिका में 50 फीसदी लोगों ने गज़ा में इजराइली सैन्य कार्रवाई का समर्थन किया था, जबकि मार्च में यह संख्या केवल 36 फीसदी रह गई थी। फिर अप्रैल में हुए पोल से यह भी पता चलता है कि अमेरिका में थोड़े ज़्यादा लोग (32 फीसदी) मानते हैं कि इज़राइल गज़ा में बहुत आगे निकल गया है, जबकि इजराइली कार्रवाई को उचित मानने वालों की संख्या 27 फीसदी है।

बेकर के अनुसार, इस बदलाव में कुछ चीजें योगदान दे रही हैं। "लोग सोशल मीडिया पर खुद ही नरसंहार को वास्तविक समय में देख सकते हैं। पूंजीवादी कॉर्पोरेट स्वामित्व वाली मीडिया इसे नहीं दिखा रही है, लेकिन उनके मुताबिक वे इसे सोशल मीडिया पर देख सकते हैं।"

"दूसरी बात, हमने यह चेतना पैदा की है। हम से मेरा मतलब है आंदोलन में शामिल सभी समूह जो सड़कों पर हैं, विरोध जताने, विरोध करने, संघर्ष करने के लिए हर तरह की रणनीति अपना रहे हैं। संघर्ष में लोगों की चेतना बदल जाती है। जब वे संघर्ष में होते हैं, तो वे अपने दिमाग को नए विचारों के लिए खोल देते हैं। और यही हम संयुक्त राज्य अमेरिका में देख रहे हैं। यह एक नया युग है, राजनीतिक चेतना में एक बड़ा बदलाव आया है। लेकिन यह केवल अनायास नहीं होता। ऐसा संगठन और आंदोलन उनके निर्माण के कारण खड़े होते हैं।"

पीपल्स डिस्पैच ने व्हाइट हाउस के चारों ओर मीलों लंबी "लाल रेखा" बनाने वाले कुछ प्रदर्शनकारियों से बात की। प्रदर्शनकारियों में से एक, ‘जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी फैकल्टी एंड स्टाफ फॉर जस्टिस इन फिलिस्तीन’ की सदस्य ने ज़ो बाइडेन को एक संदेश दिया: कि "हम आपके लिए वोट नहीं करेंगे, आप आश्वस्त रहें, विश्वविद्यालय शांतिपूर्ण नहीं रहेंगे। हम चुप नहीं रहेंगे। हम चुप नहीं बैठेंगे। फ़िलिस्तीन के आज़ाद होने का वक़्त आ गया है।"

व्हाइट हाउस के सामने लाफायेट स्क्वायर में रैली में मौजूद ब्लैक अलायंस फॉर पीस के एक युवा सदस्य ने पीपल्स डिस्पैच को बताया कि, "ज़ो बाइडेन को मेरा संदेश है, हम आपको वोट नहीं दे रहे हैं। हम आपका समर्थन नहीं करते हैं। हम उस नरसंहार का समर्थन नहीं करते हैं जिसकी आपने अनुमति दी है, जिसमें आप खुद शामिल हैं।"

PYM के आयोजक मोहम्मद, लाफायेट स्क्वायर पर जमा हजारों लोगों की भीड़ के सामने बोलते हुए कहा कि इस नरसंहार के परिणामस्वरूप उनके परिवार के सैकड़ों सदस्य रफा से विस्थापित हो गए हैं। "मेरी मातृभूमि, तबाह हो गई है। हमारी मातृभूमि, हर दिन हमारे शहीदों के खून से लथपथ हो रही है। और हर दिन आगे बढ़ने की ऊर्जा पाना मुश्किल होता जा रहा है। मैं यह सब निराश करने के लिए नहीं कह रहा हूं, बल्कि वर्तमान में हमारी भावनाओं को समझने के लिए कह रहा हूं। हम थक चुके हैं, हम इस नरसंहार से थक चुके हैं।"

लेकिन मोहम्मद ने भीड़ से आग्रह किया कि वे सब गज़ा के लोगों के ज़रिए प्रेरणा पाकर आगे बढ़ें, साथ ही आंदोलन की अब तक की कार्रवाइयों से भी प्रेरणा लेनी होगी। मोहम्मद ने कहा, "हमें यह याद रखना होगा कि हम आंसू और दर्द के ज़रिए किसके लिए यह सब कर रहे हैं... यह गज़ा के लोगों के लिए है, जो हमारे दिशासूचक के रूप में मौजूद हैं।"

"हमने सड़कें बंद कर दी हैं। हमने पुल, हवाई अड्डे, ट्रेन स्टेशन बंद कर दिए हैं। ज़रा सोचिए, साम्राज्य के इतिहास में ऐसा बहुत लंबे समय से कभी नहीं हुआ है। दिन-रात हम जानवर के पेट में मौजूद साम्राज्यवाद की धमनियों को बंद करने के लिए संगठित हो रहे हैं।"

प्रदर्शनकारियों ने 24 जुलाई को एक बार फिर वाशिंगटन डीसी में जुटने की कसम खाई है, जब बेंजामिन नेतन्याहू खुद कांग्रेस को संबोधित करने वाले हैं, जबकि अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय ने उनकी गिरफ्तारी का वारंट जारी किया हुआ है।

ाभार: पीपल्स डिस्पैच

मूलतः अंग्रेज़ी में प्रकाशित लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें :

61% in US are Against Sending Aid to Israel

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