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कृषि क़ानून-विरोधी प्रदर्शन: केरल के 1,000 से अधिक किसान 11 जनवरी को दिल्ली के लिए होंगे रवाना

केरल के किसानों का एक जत्था 11 जनवरी को शाहजहांपुर बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए रवाना होगा वहीं दूसरा जत्था 21 जनवरी को अपनी यात्रा शुरू करेगा।
कृषि क़ानून-विरोधी प्रदर्शन

कई राज्यों के किसान दिल्ली की सीमाओं पर हाल में पारित हुए तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं वहीं केरल के किसानों ने भी इनके साथ आंदोलन में शामिल होने का फैसला किया है। अपनी आजीविका को बचाने के लिए हाड़ कापती ठंड में 26 नवंबर से सड़कों पर उतरे आंदोलनकारी किसानों के साथ शामिल होने के लिए केरल के 1,000 से अधिक किसान दिल्ली रवाना होंगे। इस क्रम में किसानों का पहला जत्था 11 जनवरी को कन्नूर से सड़क के रास्ते दिल्ली के लिए रवाना होगा।

केरल कर्षका संघम के सचिव केएन बालगोपाल ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, “राज्य के विभिन्न हिस्सों के किसान कन्नूर में इकट्ठा होंगे और 11 जनवरी को सड़क के रास्ते दिल्ली के लिए रवाना होंगे। किसानों का दूसरा जत्था 21 जनवरी को रवाना होगा।” केरल कर्षका संघम अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) की प्रांतीय इकाई है जो किसानों के विरोध प्रदर्शन का सबसे अग्रणी संगठन है।

किसान बस से जाएंगे और दिल्ली पहुंचने में तीन दिन लगेंगे। केरल से किसान शाहजहांपुर बॉर्डर पर पहुंचेंगे जहां किसान डेरा डाले हुए हैं और विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान दिल्ली के विभिन्न बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

राज्य सभा सदस्य और केरल कर्षका संघम के अध्यक्ष केके रागेश ने कहा, 'प्रारंभ में इस विरोध प्रदर्शन को पंजाबी किसानों का बताने की कोशिश की गई थी क्योंकि पंजाब के किसान मुख्य रूप से सिंघु बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं। जब हरियाणा के मुख्यमंत्री एमएल खट्टर ने घोषणा की थी कि हरियाणा का कोई भी व्यक्ति इस विरोध प्रदर्शन का हिस्सा नहीं है तो हरियाणा के किसानों ने दिल्ली का मार्च किया और वे टिकरी सीमा पर डेरा डाले हुए हैं। उत्तर प्रदेश के किसान गाजीपुर बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के किसानों का एक अन्य दल पलवल बॉर्डर पर डेरा डाले हुए है।” उन्होंने कहा, "बाद में जब राजस्थान में स्थानीय निकाय चुनाव समाप्त हो गए तो किसानों ने जयपुर और दिल्ली को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-8 के जरिए दिल्ली का मार्च किया। इन किसानों को शाहजहांपुर में रोक दिया गया है। नासिक के किसान भी वहां शामिल हुए हैं और केरल के किसान भी शाहजहांपुर में विरोध प्रदर्शन में शामिल होंगे।”

रागेश ने आगे कहा, ये संघर्ष एक विशेष राज्य का नहीं है। उन्होंने कहा कि किसान लगभग सभी राज्यों में और दिल्ली की तरफ कूच करते हुए "कॉर्पोरेट समर्थक" कानूनों के खिलाफ विरोध कर रहे हैं।

केरल में किसान 12 दिसंबर से अनिश्चितकालीन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। केरल सम्युक्त कर्षका समिति जो अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) का हिस्सा है वह देश भर के किसानों के साथ एकजुटता दिखाते हुए तिरुवनंतपुरम में शहीद स्तम्भ के पास विरोध प्रदर्शन करता रहा है। बाद में 23 दिसंबर को राज्य भर के सभी जिला केंद्रों पर इस तरह के विरोध प्रदर्शन शुरू किए गए जो हर दिन सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे तक हुए थे। हालांकि किसानों के नेतृत्व में ये विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं लेकिन राजनीतिक मतभेदों के बीच समाज के सभी वर्गों ने एकजुटता व्यक्त की है।

इससे पहले, केरल पाइनएपल फार्मर्स एसोसिएशन के बैनर तले केरल पाइनएपल फार्मर्स ने प्रदर्शनकारियों के बीच मुफ्त में बांटने के लिए फलों से लदा एक ट्रक भेजा था। लगभग 16 टन वजाकुलम से भेजे गए थे जिसे एशिया के सबसे बड़े अनानास बाजार के रूप में जाना जाता है और यहां एक अनानास अनुसंधान केंद्र है। केरल के अनानास किसानों के इस नेक काम ने कईयों का दिल जीत लिया है लेकिन इन किसानों ने ऐसा करने को अपना कर्तव्य समझते हैं।

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