शांति का कोई भी प्रयास मणिपुर में ही होना चाहिए, दिल्ली में बैठक से गंभीरता का अभाव झलकेगा:कांग्रेस
नयी दिल्ली: कांग्रेस ने मणिपुर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक को लेकर बृहस्पतिवार को कहा कि शांति का कोई भी प्रयास प्रदेश में ही होना चाहिए और दिल्ली में बैठक करने से गंभीरता का अभाव नजर आएगा।
पार्टी के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल ने यह भी कहा कि मणिपुर में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार का अब तक बने रहना और प्रदेश में राष्ट्रपति शासन का लागू नहीं किया जाना एक मजाक है।
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय गृह मंत्री ने हिंसा प्रभावित मणिपुर की स्थिति पर चर्चा के लिए 24 जून को नयी दिल्ली में सर्वदलीय बैठक बुलाई है।
वेणुगोपाल ने ट्वीट किया, “मणिपुर में 50 दिनों की तबाही और मौतों के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने बहुत देर से सर्वदलीय बैठक बुलाई है। मणिपुर के लोगों को सोनिया गांधी जी द्वारा संबोधित किए जाने के बाद सरकार जागी है।”
Well after 50 days of death and destruction in Manipur, HM @AmitShah’s call for an all party meeting is too little too late. The government only woke up after Smt. Sonia Gandhi ji’s address to the people of Manipur.
At the outset, the PM’s absence from such a serious meeting… https://t.co/xIpFMrpqtS— K C Venugopal (@kcvenugopalmp) June 22, 2023
सोनिया ने बुधवार को वीडियो संदेश जारी कर मणिपुर में शांति और सौहार्द की अपील की थी।
वेणुगोपाल ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस तरह की महत्वपूर्ण बैठक में अनुपस्थित होने का मतलब यह है कि वह विफलताओं का सामना नहीं करना चाहते हैं।
कांग्रेस नेता ने दावा किया कि जब कई प्रतिनिधिमंडलों ने प्रधानमंत्री से मिलने का समय मांगा, तो उन्होंने समय नहीं दिया।
वेणुगोपाल ने कहा, “गृह मंत्री ने खुद मणिपुर का दौरा कर हालात का जायजा लिया था, लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। असलियत यह है कि उनके दौरे के बाद स्थिति और खराब हो गई। उनके तहत हम सही मायनों में शांति की उम्मीद कर सकते हैं?”
कांग्रेस महासचिव ने कहा, “मणिपुर में राज्य सरकार का बने रहना और राष्ट्रपति शासन नहीं लागू करना एक मजाक है।”
उन्होंने कहा, “शांति का कोई भी प्रयास मणिपुर में ही होना चाहिए, जिसके तहत प्रदेश के विभिन्न समुदाय के लोगों को बातचीत की मेज पर लाना होगा और राजनीतिक समाधान निकालना होगा। अगर बैठक दिल्ली में होगी, तो प्रयास में गंभीरता का अभाव नजर आएगा।”
वेणुगोपाल के मुताबिक, पूरा देश केंद्र सरकार से गंभीर हस्तक्षेप की आशा करता है, जो अब तक नजर नहीं आया है।
मालूम हो कि मेइती समुदाय की ओर से अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद मणिपुर में हिंसक झड़पें हुई हैं। हिंसा में अब तक करीब 120 लोगों की जान गई है और 3,000 से अधिक घायल हुए हैं।
(न्यूज एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
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