बनारस: राष्ट्रपति को ज्ञापन देने जा रहे किसान नेता अफ़लातून को किया गया हाउस अरेस्ट
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) की राज्य काउंसिल के सदस्य अफ़लातून को पुलिस ने हाउस अरेस्ट कर लिया। अफ़लातून के नेतृत्व में जिले के किसान, प्रशासन के माध्यम से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ज्ञापन सौंपने वाले थे। राष्ट्रपति मुर्मू आज बनारस में ही हैं। किसान नेता युद्धवीर सिंह को कथित तौर पर अवैध तरीके से हिरासत में लेने, उनकी विदेश यात्रा पर प्रतिबंध लगाने और आंदोलनकारी किसानों के ख़िलाफ़ दर्ज संगीन मामलों को अभी तक वापस नहीं लिए जाने से किसान गुस्से में हैं।
किसान नेता अफ़लातून के नेतृत्व में जिले के किसान आज कलेक्ट्रेट पहुंचकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संबोधित ज्ञापन देने वाले थे। इससे पहले ही उनके आवास पर कई दरोगा और पुलिस के जवान पहुंचे। उन्हें हाउस अरेस्ट करते हुए घर के बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी गई। इस मामले में अफ़लातून ने इलाकाई थाना पुलिस के अफसरों से बात की तो उन्होंने कहा कि जब तक राष्ट्रपति शहर में हैं तब तक उन्हें घर से बाहर नहीं निकलने दिया जाएगा। अंदेशा है कि आगामी 17 दिसंबर को भी उन्हें हाउस अरेस्ट किया जा सकता है, क्योंकि उस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बनारस दौरे पर आ रहे हैं।
किसान नेता अफ़लातून ने न्यूज़क्लिक से कहा कि सुबह से ही पुलिस उनकी निगरानी कर रही है। पुलिस ने घर से बाहर निकलने पर पाबंदी लगा रखी है। उन्होंने कहा, "कॉरपोरेट घरानों को उपकृत करने में जुटी बीजेपी सरकार किसानों को तभी से दुश्मन की तरह ट्रीट कर रही है जब से काले कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली में आंदोलन चलाया जा रहा था। यूपी में डीएपी खाद की काफ़ी किल्लत बनी हुई है। पूर्वांचल और बुंदेलखंड के कई उर्वरक वितरण केंद्रों पर लाइन में लगे किसानों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया है। लाठीचार्ज में जिन किसानों की जान गई है उनके परिजनों को बीस लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाए। भाजपा सरकार किसानों का उत्पीड़न कर रही है। अब इस सरकार का पतन तय है। किसानों का उत्पीड़न, मोदी और योगी सरकार की बदनीयती और वादाखिलाफी को साबित करती है।"
राष्ट्रपति को ज्ञापन देने जा रहे किसानों का कहना है कि उन्हें रोकने के लिए पुलिस ने दबिश दी, लेकिन ज्यादातर किसान नेता सुबह ही भूमिगत हो गए। बाद में संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य चौधरी राजेंद्र सिंह, अखिल भारतीय किसान सभा, बनारस के जिलाध्यक्ष रामजी, भारतीय किसान यूनियन के पूर्व जिलाध्यक्ष लक्ष्मण मौर्य, किसान नेता शिवशंकर सिंह, लक्ष्मण प्रसाद वर्मा, शिवकुमार पराग, रामचंद्र शास्त्री, मणिशंकर देव, ललित मौर्य आदि कचहरी स्थित शास्त्री घाट पर पहुंचे और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पुलिस प्रशासन के माध्यम से ज्ञापन भेजा।
संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से राष्ट्रपति को भेजे ज्ञापन में कहा गया है कि, "संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के नेताओं को दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार की जांच एजेंसियां कॉरपोरेट घरानों के दबाव में परेशान कर रही हैं। कॉरपोरेट समर्थक कृषि अधिनियमों को निरस्त करने की मांग को लेकर राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर क़रीब तेरह महीने तक चले ऐतिहासिक किसान संघर्ष के दौरान किसानों के ख़िलाफ़ दर्ज आपराधिक मामलों में अनुचित तरीके से जानबूझकर परेशान किया जा रहा है। केंद्र सरकार की पहल पर कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल ने 9 दिसंबर 2021 को SKM के साथ समझौता किया था, जिसके आधार पर किसानों ने ऐतिहासिक किसान आंदोलन स्थगित कर दिया था। समझौते के मुताबिक, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा की राज्य सरकारें किसान संघर्ष से संबंधित सभी मामलों को तुरंत वापस लेने के लिए पूरी तरह सहमत थीं। केंद्र सरकार और केंद्र शासित प्रदेशों में उसकी एजेंसियों ने भी मुकदमों को वापस लेने पर सहमति व्यक्त की थी।"
राज्यसभा में प्रश्न संख्या-1158, (19 दिसंबर 2022) के जवाब में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने जवाब दिया था, ''गृह मंत्रालय में प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, किसानों के ख़िलाफ़ 86 मामले वापस लेने का प्रस्ताव आया है। गृह मंत्रालय ने ऐसा करने की अनुमति दे दी है। इसके अलावा, रेल मंत्रालय ने रेलवे सुरक्षा बलों द्वारा किसानों के ख़िलाफ़ दर्ज किए गए सभी मामलों को वापस लेने का निर्देश दिया है।"
करीब दो साल के बाद किसान नेता युद्धवीर सिंह जो राष्ट्रीय परिषद सदस्य हैं और भारतीय किसान संघ (बीकेयू) के महासचिव हैं, को 29 नवंबर, 2023 की सुबह इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर इस लिए गिरफ्तार कर लिया गया कि साल 2020-21 के किसान आंदोलन में आरोपी हैं। इस कार्रवाई के कारण अंतरराष्ट्रीय किसान सम्मेलन में भाग लेने के लिए कोलंबिया जाने वाली उनकी उड़ान छूट गई। हालांकि, बाद में किसान आंदोलन के कड़े विरोध के कारण दिल्ली पुलिस को उन्हें रिहा करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि, "हरियाणा के रोहतक के बीकेयू नेता वीरेंद्र सिंह हुड्डा को दिल्ली पुलिस के सिविल लाइन्स पुलिस स्टेशन से 22 नवंबर, 2023 को एक नोटिस मिला था, जिसमें उन्हें एक मामले में पेश होने का निर्देश दिया गया था। किसान आंदोलन के विरोध के मद्देनजर दिल्ली पुलिस को नोटिस वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। 7 दिसंबर, 2022 को, बीकेयू के प्रभारी अधिकारी अर्जुन बलियान को नई दिल्ली हवाई अड्डे पर नेपाल जाने से रोक दिया गया। पंजाब के SKM नेता सतनाम सिंह बेहरू और हरिंदर सिंह लोकोवाल दिल्ली किसान संघर्ष से संबंधित मामलों में दिल्ली के तीस हजारी और पटियाला हाउस अदालतों में अदालती प्रक्रियाओं का सामना कर रहे हैं।"
"हाल ही में युद्धवीर सिंह की अवैध हिरासत के संदर्भ में SKM को पता चला है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने दिल्ली संघर्ष से संबंधित मामलों में SKM नेताओं के ख़िलाफ़ लुक-आउट नोटिस जारी किया है। SKM ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मांग की है कि उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि क्या गृह मंत्रालय के पास ऐसी कोई जानकारी है और यदि हां, तो लोकतंत्र में पारदर्शिता बरतते हुए सभी लुक आउट नोटिसों को सार्वजनिक करें।"
ज्ञापन में कहा गया है कि, "SKM किसान नेताओं को आपराधिक मामलों में फंसाने के किसी भी कदम को नरेंद्र मोदी सरकार और SKM के बीच हुए समझौते का खुला उल्लंघन मानती है। इस प्रकार यह केंद्र सरकार और उसके लोगों द्वारा विश्वास का उल्लंघन है। किसानों का यह संघर्ष घरेलू और विदेशी कॉरपोरेट पूंजी के तहत कृषि के कॉरपोरेटरीकरण को लागू करने के ख़िलाफ़ किसानों और खेत मज़दूरों और ग्रामीण गरीबों के हितों की रक्षा के लिए एक जन विद्रोह था। यह ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के ख़िलाफ़ स्वतंत्रता के संघर्ष की तरह एक देशभक्तिपूर्ण आंदोलन था और केंद्र सरकार को तीन कॉरपोरेट समर्थक कृषि अधिनियमों को वापस लेने के लिए मजबूर करने में सफल रहा।"
इसके अलावा ज्ञापन में कहा गया कि, "दो साल के ऐतिहासिक संघर्ष के बाद, केंद्र सरकार ने कॉरपोरेट ताकतों के पक्ष में खड़े होकर चर्चित न्यूज़ पोर्टल और उसके पत्रकारों के ख़िलाफ़ फर्जी एफआईआर दर्ज की। केंद्र सरकार की ओर से जान-बूझकर किसानों के संघर्ष को राष्ट्र-विरोधी, विदेशी और आतंकवादी ताकतों द्वारा वित्त पोषित बताकर परेशान किया जा रहा है। SKM ऐसे निराधार आरोपों का पुरजोर खंडन करता है और इसे भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार और मीडिया पर हमला मानता है। हम दृढ़तापूर्वक यह आरोप लगाते हैं कि केंद्र सरकार की कॉरपोरेट समर्थक नीतियों के ख़िलाफ़ किसी भी प्रकार के जन प्रतिरोध को कमजोर करने के लिए उच्च स्तरीय साज़िश की जा रही है।"
SKM ने राष्ट्रपति से मांग की है कि "केंद्र सरकार को प्रतिशोध की किसी भी कार्रवाई से दूर रहने और किसानों के साथ लिखित आश्वासनों का उल्लंघन न करने का निर्देश दिया जाए। साथ ही उन नौकरशाहों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जाए करने जिन्होंने प्रतिशोध की भावना से काम किया है और किसान कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ मामलों में हेरफेर करने की साज़िश रच रहे है।"
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