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सीओपी26: क्या धरती को बचाने की मानवता की यह ‘अंतिम और सर्वश्रेष्ठ कोशिश’ सफल हो सकेगी?

एक मौका है जिससे कि हम जलवायु संकट के सबसे बुरे दुष्प्रभाव को रोक सकते हैं, लेकिन इसके लिए विश्व के नेताओं को व्यवसायों को इसके लिए जवाबदेह ठहराना होगा और स्वदेशी समुदायों को सुनना होगा।
COP26
खतरे की घंटी (एक बार फिर से): ग्लासगो में संयुक्त-राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेर्रेस सीओपी26 के उद्घाटन समारोह के अवसर पर बोलते हुए। (चित्र साभार: करवाई तंग, यूके गवर्नमेंट/सीओपी26/फ्लिकर)

यह कहना बातों पर पर्दा डालने जैसा होगा कि वर्तमान में स्कॉटलैंड के ग्लासगो में चल रही सीओपी26 पर बहुत कुछ सवारी पर है। आधिकारिक तौर पर देखें तो यह जमावड़ा जलवायु परिवर्तन पर यूनाइटेड नेशन फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनऍफ़सीसीसी) में पार्टियों के 26वें सम्मेलन और 2015 पेरिस जलवायु समझौते के लिए पार्टियों की तीसरी बैठक का प्रतीक है, जिसका उद्देश्य वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तर से 2 डिग्री सेल्सियस से काफी कम स्तर पर सीमित रखने का है। या कहें कि जलवायु परिवर्तन के सबसे बड़े दुष्प्रभावों से बचने के लिए इस वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ने तक सीमित करने को वरीयता से रोकने वरीयता दी जा रही है।

1995 के बाद से, जिन देशों ने यूएनएफसीसीसी पर दस्तखत किये हैं, उनके द्वारा (कोविड-19 महामारी के कारण वर्ष 2020 को छोड़कर) प्रत्येक वर्ष मुलाक़ात की गई है, और जलवायु संकट से निजात पाने के लिए एक कार्य योजना के साथ आने के प्रयास किये गए हैं। लेकिन इस सबके बावजूद, हर साल दुनिया का ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन लगातार बढ़ता ही जा रहा है। और 31 अक्टूबर को शुरू हुए इस सम्मेलन में एक पखवाड़े के लिए दुनियाभर के नेताओं की ओर से एक और कार्य योजना के साथ सामने आने का प्रयास चलाया जायेगा।

पेरिस समझौते के लक्ष्यों को लागू कराने के सबसे हालिया अंतर्राष्ट्रीय प्रयास में 100 से अधिक राष्ट्राध्यक्षों और करीब 30,000 प्रतिनिधियों ने अब तक ग्लासगो में हिस्सेदारी की है और इस बारे में विचार-विमर्श कर रहे हैं। सीएनबीसी ने इस शिखर वार्ता को “नाटकीय जलवायु परिवर्तन के बीच एक रहने लायक भविष्य को सुरक्षित करने के खातिर मानवता का अंतिम एवं सर्वश्रेष्ठ मौका” करार दिया है। 

संयुक्तराष्ट्र (यूएन) महासचिव एंटोनियो गुटेर्रेस ने सीओपी26 के विश्व नेताओं के शिखर सम्मेलन की शुरुआत में अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में कहा “हमारे सामने बेहद कड़े विकल्प हैं: या तो हम इसे रोक दें वरना यह हमें रोक देगा।” “समय आ गया है जब हम कहें कि ‘बहुत हो गया।’ जैव विविधता के साथ नृशंस व्यवहार बहुत हो चुका। कार्बन से खुद को मारने की कोशिश पर्याप्त हो चुकी है। प्रकृति के साथ शौचालय के समान व्यवहार बहुत हो चुका। धरती को जलाने, खोदने और गहरा करने की हमारी कोशिशें अब बहुत हो गईं। हम अपनी कब्र को खुद खोदने में लगे हुए हैं... ग्लासगो को सफल बनाने के लिए हमें सभी देशों की तरफ से सभी मोर्चों पर अधिकतम महत्वाकांक्षी बनने की जरूरत है।”

यह शिखर सम्मेलन इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) के द्वारा अगस्त में प्रकाशित एक विकट रिपोर्ट के जारी होने के कुछ महीनों के बाद हो रहा है, जिसमें पाया गया था कि जलवायु परिवर्तन के लिए मानवीय गतिविधि “स्पष्ट रूप से” जिम्मेदार है, और यह कि दो दशकों के भीतर बढ़ते तापमान से वैश्विक तापमान वृद्धि की दर इस ग्रह को एक महत्वपूर्ण बिंदु पर पहुंचा देगी, जिससे उलट पाना फिर असंभव हो जायेगा।

रिपोर्ट के लेखकों में संयुक्त राष्ट्र द्वारा आहूत विश्व के शीर्षस्थ जलवायु वैज्ञानिकों का एक समूह शामिल है, जिसकी ओर से भविष्यवाणी की गई है कि 2040 तक औसत वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियश से अधिक गर्म होने जा रहा है, जिसके चलते और भी निरंतरता के साथ तीव्र गर्म लहरें, सूखा और चरम मौसम की घटनाएं हो सकती हैं। गुटेर्रेस ने इन धूमिल निष्कर्षों को “मानवता के लिए रेड कोड” करार दिया है।

ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने जो इस शिखर वार्ता की मेजबानी कर रहे हैं, ने जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए एक जासूसी रोमांचक फिल्म की दौड़ से तुलना करते हुए चेताया है कि “जैसा कि हम सभी जानते हैं एक रेड डिजिटल घड़ी एक विफोत के लिए लगातार टिक-टिक कर रही है जो मानव जीवन को हमेशा के लिए नेस्तानाबूद कर देगी।” उन्होंने आगे कहा “त्रासदी यह है कि यह कोई फिल्म नहीं है, और कयामत के दिन वाला उपकरण वास्तविक है।”

गृह की जलवायु की स्थिति की भयावहता का आकलन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन की आँखों से ओझल नहीं है, जिन्होंने शिखर सम्मेलन के उद्घाटन के दिन अपनी टिप्पणी में विश्व के नेताओं से जलवायु संकट से निपटने के लिए तत्काल कड़े कदम उठाने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा “यह किसी भी सूरत में आराम करने या एक कोने में बैठ जाने या आपस में ही बहस करते रहने का समय नहीं है। जैसा कि हम सभी जानते हैं यह हमारे सामूहिक जीवन काल का प्रश्न है, मानव अस्तित्व को बचाए रखने का खतरा हमारे सामने मौजूद है। और हमारी एक-एक दिन की देरी, निष्क्रियता की लागत को बढ़ाती जा रही है।”

लेकिन इन सभी परेशानी में डालने वाले आंकड़ों और सख्त चेतावनियों के बावजदू, शिखर सम्मेलन की शुरुआत काफी हद तक अशुभ रही है। सीओपी26 की शुरुआत से एक दिन पहले 30 अक्टूबर को जी20 देशों के नेताओं, जिसमें 19 देश और यूरोपीय संघ मौजूद हैं, जो दुनिया के कुल 80% उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं – को जलवायु परिवर्तन पर अंतर्राष्ट्रीय नेतृत्व को मजबूत करने की जरूरत महसूस हुई, क्योंकि उन्होंने ग्लासगो में शिखर वार्ता शुरू होने से ठीक एक दिन पहले रोम में अपनी खुद की एक बैठक संपन्न की। लेकिन उनका सारा विचार-विमर्श इस एक फुसफुसाहट: पेरिस समझौते के लक्ष्यों के लिए एक बार फिर से तसदीक के साथ के साथ समाप्त हो गया।

जी20 शिखर वार्ता के दौरान, जॉनसन ने कहा कि किसी ठोस कार्यवाही के बगैर दुनिया के सभी नेताओं की प्रतिज्ञाएं “खोखली सुनाई पड़ती हैं” और उन्होंने प्रतिबद्धताओं की आलोचना “तेजी से गर्म होते महासागर में बूंदों” के रूप में की। निराशा में बढ़ोत्तरी इस तथ्य से भी थी कि शिखर सम्मेलन में रुसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन या चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग हिस्सा नहीं ले रहे हैं, जबकि रूस और चीन दोनों ही “दुनिया के सबसे बड़े प्रदूषक देशों में से हैं।” वैश्विक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के लिए रूस और चीन क्रमश: 5% और 28% जिम्मेदार हैं। इन दोनों देशों ने 2050 तक नेट-जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य को 2060 तक के लिए आगे बढ़ा दिया है।

ग्लासगो में विफलता के मायने बेहद गंभीर, और दूरगामी हो सकते हैं। 26 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ने एक चिंताजनक रिपोर्ट को जारी करते हुए चेताया है कि, जलवायु को लेकर जो वादे किये गये थे लेकिन उन्हें अभी तक पूरा नहीं किया गया है के चलते “जलवायु परिवर्तन तेजी से गहरा रहा है...मानवता के हाथ से समय तेजी से फिसलता जा रहा है।” यूएनएफसीसीसी की कार्यकारी सचिव पैट्रीसिया एस्पिनोजा का कहना था कि जलवायु संकट को रोक पाने में विफलता “का मतलब होगा पहले से कम भोजन, इसलिए संभवतः खाद्य सुरक्षा के लिए संकट को खड़ा करना। यह स्थिति बड़ी संख्या में बहुत से लोगों को भयानक परिस्थितयों, आतंकवादी समूहों और हिंसक समूहों की चपेट में दयनीय स्थिति में छोड़ देगा। इसका मतलब अस्थिरता के कई स्रोतों में होगा...विनाशकारी परिदृश्य इंगित कर रहे हैं कि हमें विस्थापित लोगों के विशाल प्रवाह का सामना करना पड़ेगा।”

एस्पिनोजा जिन्होंने संयुक्तराष्ट्र राष्ट्र जलवायु भूमिका का कार्यभार 2016 में संभाला, ने कहा “हम वास्तव में देशों की स्थिरता को बनाये रखने, उन संस्थाओं को संरक्षित करने की बात कर रहे हैं, जिन्हें हमने इतने वर्षों की कड़ी मेहनत से बनाया है, जिन्हें हमारे देशों ने एक साथ मिलकर रखे सर्वोत्तम लक्ष्यों को संरक्षित कर रखा है।”

विदेशी मामलों की पूर्व मंत्री एस्पिनोजा, ब्रिटेन के केंद्रीय मंत्री अलोक शर्मा के साथ बातचीत की जिम्मेदारी साझा कर रही हैं, जो सीओपी26 के अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं। एस्पिनोजा ने कहा “ग्लासगो से हमें जिस चीज की जरूरत है वह है नेताओं से उन संदेशों की कि वे इस परिवर्तन को चलाने के लिए, इन परिवर्तनों को अंजाम देने के लिए, अपनी महत्वाकांक्षा को बढ़ाने के तरीकों के लिए नए-नए रास्ते तलाशने के प्रति दृढ हैं।”

ग्लोबल चेंज बायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित एक नए अध्ययन में, अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों के एक समूह ने पाया है कि यदि दुनिया ने उत्सर्जन को एक “सामान्य रूप से चलने वाले कार्य व्यापार” के तौर पर लेना जारी रखा तो जलवायु संकट का प्रभाव सभी 45 अलग-अलग “जीवन क्षेत्रों” पर तिगुना बढ़ सकता है। ये अलग-अलग क्षेत्र पूरे ग्रह में व्यापक पारिस्थितिकी तंत्र प्रकारों का प्रतिनिधित्व करते हैं। वन्यजीव संरक्षण सोसाइटी (डब्ल्यूसीएस) के एक जलवायु अनुकूलन वैज्ञानिक और इस अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉ. पॉल एल्सेन ने कहा “विश्व के विभिन्न क्षेत्रों के [लोगों के] जीवन और आजीविका और जैव-विविधता पर भविष्य में काफी प्रभाव पड़ने की आशंका है। एल्सेन का आगे कहना था कि “विश्व के बड़े हिस्से में गर्मी दिन ब दिन बढ़ती जा रही है और धरती शुष्क होती जा रही है, और इसने पहले से ही पृथ्वी के जीवन क्षेत्रों को प्रभावित करना शुरू कर दिया है।”

शोधकर्ताओं का पूर्वानुमान है कि यदि उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी नहीं की गई तो ग्रह का 42% से अधिक भूमि क्षेत्र अंततोगत्वा प्रभावित होने जा रहा है। डब्ल्यूसीएस में संरक्षण योजना के निदेशक और अध्ययन के सह-लेखक डॉ. हेडली ग्रंथम का कहना था “उन सभी देशों के लिए जो उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभावों से बचने के लिए बेहतर भविष्य के मार्ग पर चलने के लिए प्रतिबद्ध हैं, के लिए सीओपी26 सबसे बेहतरीन मौका है।”

हालाँकि शिखर सम्मेलन के शुरूआती दिनों में कुछ चमकदार पहलू भी देखने को मिले हैं। 2 नवंबर को, विश्व के नेताओं ने मीथेन गैस के उत्सर्जन को कम करने के लिए योजनाओं की घोषणा की है। मीथेन एक शक्तिशाली ग्लोबल वार्मिंग पैदा करने वाली गैस है जिसमें “वातावरण में पहुँचने के बाद पहले 20 वर्षों में कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में 80 गुना से अधिक ऊष्मा पैदा करने की शक्ति है।” राष्ट्रपति बिडेन ने मीथेन समझौते का स्वागत करते हुए इसे एक “युगांतकारी प्रतिबद्धता” कहा है। इसके साथ ही यह भी घोषणा की है कि पहली दफा अमेरिकी पर्यावरण सुरक्षा एजेंसी “समूचे संयुक्त राज्य अमेरिका में मौजूदा तेल और गैस के कुओं के द्वारा छोड़ी जाने वाली” मीथेन पर सीमा तय करने जा रही है।”

जो बिडेन प्रशासन ने कहा है कि सरकार का विशाल व्यय बिल “अमेरिकी इतिहास में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सबसे बड़े प्रयास” को चिंहित करने जा रहा है। लेकिन इस महत्वपूर्ण जलवायु कानून को कैपिटल हिल में स्थगन ने, बिडेन के संयुक्त राज्य अमेरिका के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को इसके 2005 के स्तर के लगभग आधे तक कम कर देने के आक्रामक लक्ष्य को इस दशक के अंत तक कर देने की योजना को कार्यकारी कार्यों जैसे नियमों के जरिये आगे बढ़ाना होगा।

इसके अलावा 2 नवंबर को 100 से अधिक राष्ट्रों ने जो कुलमिलाकर विश्व के करीब 85% जंगलों के लिए जिम्मेदार हैं, ने 2030 तक वनों की कटाई को समाप्त करने की प्रकिया को उलट देने के लिए 19 बिलियन डॉलर की एक ऐतिहासिक योजना पर सहमत हो गए हैं। प्रधानमंत्री जॉनसन ने कहा है कि सीओपी26 की सफलता के लिए यह बेहद अहम है “कि हम तत्काल काम पर लग जाएँ और प्रकृति के विजेता के तौर पर मानवता की भूमिका को खत्म करें और इसके बजाय प्रकृति के संरक्षक की भूमिका को अपना लें।” इसके साथ-साथ उनका कहना था कि “हमें अपने वनों को विध्वंसकारी विनाश से बचाने की जरूरत है, ये महान पारिस्थितिकी तंत्र- प्रकृति के तीन ट्रिलियन खंभों वाले गिरिजाघर हैं- जो हमारे गृह के फेफड़े हैं।”

कुछ अन्य स्वागतयोग्य खबरों में, संयुक्त राज्य अमेरिका सहित 14 देशों ने, ने सीओपी26 के साथ-साथ काम करते हुए, डेनमार्क के नेतृत्व में 2050 तक वैश्विक समुद्री उत्सर्जन को शून्य करने की पहल को अपना समर्थन दिया है। रायटर्स के मुताबिक “दुनिया का 90 प्रतिशत व्यापार समुद्र के जरिये किया जाता है, जबकि वैश्विक समुद्री-परिवहन से वैश्विक सीओ2 उत्सर्जन करीब 3 प्रतिशत ही होता है।”

दरअसल, गैर-राज्य खिलाडी, अर्थात व्यवसाय, विश्व जलवायु लक्ष्यों में प्रमुख भागीदार हैं। संयुक्तराष्ट्र प्रमुख गुटेर्रेस ने कहा है कि इस लड़ाई में निजी क्षेत्र को एक निर्णयाक भूमिका अदा करनी होगी- और इस नेट-जीरो उत्सर्जन को हासिल करने की प्रतिज्ञा को पूरा करने के लिए व्यवसायों के प्रदर्शन को संयुक्तराष्ट्र निगरानी करने जा रहा है। उनका कहना था “मैं विशेषज्ञों के एक समूह को गठित करने जा रहा हूँ जो गैर-राज्य एक्टर्स के नेट-जीरो प्रतिबद्धताओं को मापने और उनका विश्लेषण करने के लिए स्पष्ट मानकों को प्रस्तावित करेंगे,” जो कि पेरिस जलवायु समझौते द्वारा स्थापित तंत्र से परे होगा।”

अमेरिका में, व्यवसायी घराने बिडेन के व्यापक पैमाने पर खर्च करने की योजना को प्रभावित करने की कोशिशों में लगे हुए हैं। हिल में एक लेख में कहा गया है कि “सभी उद्योगों में व्यावसायिक समूहों के द्वारा कानून निर्माताओं (सांसदों) को मूल 3.5 ट्रिलियन डॉलर बिल के प्रमुख वर्गों में महत्वपूर्ण बदलावों के लिए सफलतापूर्वक बाध्य किया है। उनकी ये पैरवी की कोशिशें सीनेटर जो मंचिन (डी-डब्ल्यू. वीए.) और किर्स्टन सिनेमा (डी-एरिज़ोना) के इर्द-गिर्द केंद्रित थीं, जिन्होंने अंततः कई मुद्दों पर व्यापारिक समुदाय का साथ दिया...व्हाईट हाउस की योजना में निगमों के उपर टैक्स दरों को बढ़ाने की योजना शामिल नहीं है- और जीओपी के 2017 के करों में कटौती का मुख्य हिस्सा बरकरार रखा गया है, जो कि व्यावसायिक हितों के लिए एक सनसनीखेज जीत है।”

हाल के वर्षों में दुनिया भर में जलवायु सक्रियता में उछाल का जिक्र करते हुए, ट्रुथआउट में कॉर्पोरेट जवाबदेही के कार्यकारी निदेशक, जो उपभोक्ता अधिकारों की वकालत करने वाला एक समूह है, के ईएफएल योगदानकर्ता पट्टी लीन लिखती हैं “कार्यवाई के लिए बढ़ते आह्वान को कम करके नहीं आँका जा सकता है। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने एक चेतावनी भी जारी की है: “हमें जलवायु संकट पूर्णरूपेण एवं न्यायसंगत तरीके से हल करने के लिए महान सामाजिक और आर्थिक बदलावों की जरूरत है। और इस पैमाने पर किसी भी बदलाव को सार्वजनिक भागीदारी और राजनीतिक इच्छाशक्ति को बढ़ावा दिए बगैर पूरा नहीं किया जा सकता है। लेकिन हमें इस बारे में भी स्पष्ट रहना चाहिए कि इस प्रकार के युगांतकारी बदलावों को हासिल करने की राह में क्या बाधा है।” उन्होंने आगे कहा कि दुनिया को आगे बढने के लिए “दृष्टिकोण से वास्तविक नीतियों की ओर आगे बढ़ने के लिए न्यायसंगत और प्रभावी होना पड़ेगा, इसके लिए हमें सबसे बड़ी बाधा को संबोधित करने की जरूरत है जो आज की यथास्थिति और सभी के लिए रहने लायक भविष्य के बीच में निहित है, और वह है: जलवायु नीति पर जीवाश्म ईंधन उद्योग का प्रभाव।”

एक गैर-लाभकारी पर्यावरण समूह, रेनफारेस्ट एक्शन नेटवर्क ने भी निजी क्षेत्र पर अपनी निगाहों को टिका रखा है। उसकी ओर से ट्वीट में कहा गया है, “विश्व नेताओं को...जलवायु संकट से निपटने के लिए जीवाश्म ईंधन के विस्तार और वनों की कटाई को समाप्त करने के लिए ब्रांडों और बैंकों को जवाबदेह ठहराना होगा।” लेकिन सीओपी26 का होमपेज कुछ अलग ही कहानी बयां करता है: इसमें यूनीलीवर, स्कॉटिश पॉवर, सेंसबरी, नेशनल ग्रिड, माइक्रोसॉफ्ट, हिताची और जीएसके जैसे कुछ ऐसे निगमों में का विवरण है जिन्हें सीओपी26 “मुख्य साझीदारों” के तौर पर धन्यवाद ज्ञापित कर रहा है।

और जहाँ एक ओर कई निजी कंपनियों, जिनमें कई सीओपी26 के साथ साझेदार भी हैं, ने अपनी ओर से महत्वपूर्ण जलवायु प्रतिबद्धताएं कर रखी हैं, जिन्हें अक्सर “ग्रीनवाशिंग” के लिए आलोचना का सामना करना पड़ता है- जो देखने में जलवायु के अनुकूल प्रतीत होती हैं लेकिन वास्तव में अक्सर इनके वादे सरकारों द्वारा रेगुलेट नहीं किये जाते हैं और वास्तव में इनका कोई असर नहीं पड़ता है। एक कार्बन उत्सर्जन ट्रैकर को लांच करने वाले एक स्वीडिश स्टार्टअप नोर्मेटिव के सीईओ और सह-संस्थापक क्रिस्टियन रान, जिनका दावा है कि यह ट्रैकर कॉर्पोरेट ग्रीनवाशिंग को समाप्त करने में मदद कर सकता है, के कथनानुसार “व्यावसायिक समूह सबसे बड़े प्रदूषक हैं।” उनका कहना है कि निजी क्षेत्र “कुल उत्सर्जन के दो-तिहाई हिस्से के लिए जिम्मेदार हैं। इसलिए उन्हें फुटप्रिंट के लिए जिम्मेदार ठहराने और फुटप्रिंट को कम करने की आवश्यकता है, क्योंकि जिन चीजों को अनिवार्य रूप से मापा जाता है उन्हें प्रबंधित किया जा सकता है।” उनका आगे कहना था “सूचना की पूर्णता को सुनिश्चित करने के लिए कोई  तंत्र नहीं बनाया गया है।” 

उदहारण के लिए सीओपी26 के साझीदार माइक्रोसॉफ्ट ने ट्रांसफॉर्म टू नेट जीरो का गठन किया है, जिसमें नाइके और स्टारबक्स सहित कई अन्य कंपनियों के साथ एक नई पहल शुरू की गई है ताकि निजी क्षेत्र को 2050 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन को हासिल करने में मदद मिल सके। लेकिन जैसा कि एमिली पोंटेकोर्वो ने ग्रिस्ट में अपनी रिपोर्ट में कहा है, “माइक्रोसॉफ्ट की जलवायु कार्यवाई में एक भारी छिद्र निरंतर बना हुआ है, जिसको लेकर कंपनी की लगातार आलोचना की जाती है: यह हवा से अधिक कार्बन खींचने की उम्मीद कैसे कर सकता है यदि इसके द्वारा सक्रिय तौर पर जीवाश्म इंधन कंपनियों को धरती से और भी अधिक मात्रा में तेल और गैस खोजने और खींचने में मदद की जा रही है?”

जैसा कि विश्व के नेताओं द्वारा पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए एक रास्ता तलाश करने की कोशिश की जा रही है, ऐसे में उन्हें विश्व के देशज लोगों की बातों को भी ध्यान से सुनने की आवश्यकता है, जो कई पीढ़ियों से अपने पारिस्थितिकी तंत्र के सफल रखवाली करने वाले रहे हैं- जिसमें दुनिया की 80% जैव-विविधता शामिल है, यद्यपि वे वैश्विक आबादी के सिर्फ 5% हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं- लेकिन जो वनों की कटाई से लेकर बढ़ते समुद्री-जलस्तर तक जलवायु संघर्षों से पीड़ित होने वालों में सबसे अग्रिम पंक्ति में खड़े हैं। 

इक्वाडोर के अमेज़न में वओरनी जनजाति के नेता नेमोंटे नेन्क्विमो, जो देशज लोगों के नेतृत्व वाले गैर- लाभकारी संगठन सेइबो अलायन्स के सह-संस्थापक और एक ईएफएल योगदानकर्ता हैं, ने 2020 में विश्व नेताओं के नाम एक खुला पत्र लिखा था, जो आज के सन्दर्भ में और भी महत्वपूर्ण है। नेन्क्विमो, जिन्हें टाइम पत्रिका के विश्व के 100 सबसे अधिक प्रभावशाली लोगों में से एक के तौर पर नामित किया गया था, लिखते हैं “जब आप कहते हैं कि तेल कंपनियों के पास अद्भुत नई प्राद्योगिकियां हैं जो भूमि के नीचे से तेल को ऐसे चूस लेती है जैसे हम्मिंगबर्ड फूल से परागकण को चूसती हैं, तो हमें पता होता है कि आप झूठ बोल रहे हैं क्योंकि हम उस छलककर बहने वाले पानी के निचले मुहाने पर रहते हैं।” “जब आप कहते हैं कि अमेज़न नहीं जल रहा है तो हमें आपको गलत साबित करने के लिए किसी उपग्रह की छवियों की आवश्यकता नहीं पड़ती है; क्योंकि हम उन फलों के बागों के धुएं से अपना दम घुटता महसूस करते हैं जिसे हमारे पूर्वजों ने सदियों पहले रोपा था। जब आप कहते हैं कि आप तत्काल जलवायु समाधान की तलाश कर रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद उत्खनन और प्रदूषण पर आधारित एक ऐसी विश्व अर्थव्यवस्था के निर्माण के काम में व्यस्त रहते हैं तो हमें पता होता है कि आप झूठ बोल रहे हैं क्योंकि हम धरती के सबसे करीब हैं।”

रेनार्ड लोकी इंडिपेंडेंट मीडिया इंस्टीट्यूट में राइटिंग फेलो हैं, जहाँ वे अर्थ/फ़ूड/लाइफ के लिए संपादक और मुख्य संवावदाता के तौर पर कार्यरत हैं। पूर्व में आप आल्टरनेट के लिए पर्यावरण, भोजन और पशु अधिकारों के लिए संपादन और जस्टमीन्स/3बीएल मीडिया के लिए एक रिपोर्टर के बतौर स्थिरता एवं कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी को कवर कर चुके हैं।

इस लेख को इंडिपेंडेंट मीडिया इंस्टीट्यूट की एक परियोजना अर्थ /फ़ूड /लाइफ के लिए तैयार किया गया था।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

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