छत्तीसगढ़ : बेरोज़गार युवाओं का सरकार के ख़िलाफ़ हल्लाबोल, पुलिस पर लाठीचार्ज का आरोप
सड़कों पर रोज़गार मांगते और पुलिस की लाठियां खातेे युवा इस देश के लिए आए दिन की खबर बन गए हैं। बीते दिन रविवार, 9 अप्रैल को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में भी कुछ ऐसा ही नज़ारा दिखाई दिया। बूढ़ा तालाब धरना स्थल पर एक ओर जहां हाथों में हज़ारों बेरोज़गार युवा तख्तियां लिए रोज़गार की मांग को लेकर सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे थे, वहीं पुलिस भीड़ को खदेड़ती नज़र आ रही थी।
बता दें कि छत्तीसगढ़ प्रशिक्षित डीएड बीएड संघ के बैनर तले हुए इस विरोध प्रदर्शन में प्रदेशभर के युवा शामिल थे, जो बोरोज़गारी भत्ते के बजाय राज्य की भूपेश बघेल सरकार से रोज़गार की मांग कर रहे थे। इन युवाओं का कहना है कि सरकार सालों से आरक्षण और तमाम मामलों में उलझाकर भर्ती की जगह महज मामूली भत्ते से युवाओं को बरगलाने में लगी है। जबकि सालों से युवा नौकरी की मांग को लेकर सड़कों पर हैं और तमाम दिक्कतों का सामना कर रहे हैं।
क्या है पूरा मामला?
प्रदर्नशन में शामिल युवाओं ने न्यूज़क्लिक को बताया कि छत्तीसगढ़ प्रशिक्षित डीएड बीएड संघ बीते लंबे समय से राज्य में सरकारी भर्तियों की मांग को लेकर आंदोलनरत है। इस कड़ी में कई बार युवा बेरोज़गारों ने सरकार के खिलाफ मुंडन कराकर प्रदर्शन किया, तो कभी कटोरा लेकर सरकार से गुहार लगाई लेकिन सरकार के कान पर अब तक जूं तक नहीं रेंगी है। जिसके चलते इस चुनावी साल में युवा एक बार फिर बड़े आंदोलन की ओर बढ़ने को मजबूर हैं।
प्रदर्शनकारी आलोक कुमार ने बताया कि अगस्त 2022 में राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 10 हजार से अधिक शिक्षकों और अन्य पदों पर भर्ती करने की घोषणा की थी। लेकिन सात महीने से अधिक का समय बीत जाने के बावजूद आज तक न जो किसी भर्ती का नोटिफिकेशन जारी हुआ है और ना ही भर्ती की प्रक्रिया शुरू हुई। ऐसे में बेरोजगारों के पास सड़क पर उतरने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है।
प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर लाठीचार्ज का लगाया आरोप
बिलासपुर से रायपुर आए आनंद कहते हैं कि छत्तीसगढ़ सरकार पिछले 1 साल से आरक्षण को हाईकोर्ट में लंबित बताते हुए लगभग सभी भर्तियां रोक रखी हैं। इस वजह से शिक्षा, स्वास्थ्य,पुलिस, लाइब्रेरियन, राजस्व,जल संसाधन, कृषि, विद्युत, पशु चिकित्सा जैसे बड़े विभागों में कई पद खाली हैं। यहां तक की स्कूलों में पिछले 12 वर्षों से कला संकाय के शिक्षक पदों पर भर्ती नहीं हुई है। लेकिन सरकार को इस बात से कोई फर्क पड़ता हो, ऐसा समझ नहीं आता।
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इस प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर लाठीचार्ज का भी आरोप लगाया है। वहीं दूसरी ओर पुलिस ने लाठीचार्ज से इंकार करते हुए धक्का-मुक्की में पुलिस जवानों को चोट लगने की बात कही है। हालांकि पुलिसिया दावों से इतर तमाम वायरल वीडियो और तस्वीरों में सच्चाई साफ नज़र आ रही है। इस दौरान कई युवाओं के हिरासत में लिए जाने और गिरफ्तारी की खबरें भी हैं।
पक्ष-विपक्ष की राजनीति में पिसते देश के युवा
प्रदर्शनकारियों युवाओं ने सरकार को चेतावनी भी दी है कि यदि उनकी मांगों पर जल्द ही विचार नहीं किया गया, तो सरकार को विधानसभा चुनाव में गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना होगा। युवाओं के अनुसार महज़ 2500 के बेरोज़गारी भत्ते से सरकार उनके रोज़गार का अधिकार खत्म नहीं कर सकती और नाही पुलिसिया बल प्रयोग से उनकी आवाज़ को दबा सकती है।
उधर चुनावी साल होने के चलते सियासत भी इस मामले पर गर्म होती नज़र आ रही है। एक ओर प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने पूरे मामले पर चुप्पी साध रखी है तो, वहीं यूपी और अन्य राज्यों में रोज़गार मांग रहे युवाओं के साथ यही सलूक करने वाली भारतीय जनता पार्टी यहां इसे युवाओं की आवाज़ दबाने वाला कदम बता रही है। बहरहाल, पक्ष-विपक्ष की इस राजनीति के बीच देश के युवा बीते लंबे समय से सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक अपनी आवाज़ बुलंद करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि हर बार उनका प्रयास महज़ खबरों तक ही सिमट कर रह जाता है। अगर बात भर्ती परीक्षा नोटिफिकेशन के आगे भी निकलती है तो वो फिर पेपर लीक और घोटालों की भेंट चढ़ जाती है। ऐसे में देश का युवा शक्तिशाली होते हुए भी बार-बार सड़कों पर उतरने को मजबूर है।
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फ़ोटो सोशल मीडिया से साभार
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