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कार्बन डेटिंग जांच पर टला फ़ैसला, अब 11 अक्टूबर को होगी सुनवाई

हिंदू पक्ष ने 29 सितंबर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा ‘शिवलिंग’ की वैज्ञानिक जांच के साथ-साथ ‘अर्घा’ और उसके आसपास के क्षेत्र की कार्बन डेटिंग की मांग की थी। बता दें कि कार्बन डेटिंग एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जो किसी पुरातात्विक वस्तु या पुरातात्विक खोजों की आयु का पता लगाती है।
gyanvapi

उत्तर प्रदेश के वाराणसी के ज्ञानवापी-मां श्रृंगार गौरी केस होने वाली सुनवाई शुक्रवार को टल गई है। अब इसकी सुनवाई 11 अक्टूबर को होगी। संभावना जताई जा रही है कि इस दिन कोर्ट की ओर से फैसला भी आ सकता है।

बनारस के जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में एक याचिका में ज्ञानवापी मस्जिद मैं पाई गई विवादित आकृति की कार्बन डेटिंग की मांग की गई थी। इसी पर सुनवाई होनी थी। वहीं मुख्य प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने भी मस्जिद में स्थित कथित शिवलिंग की जांच कराने का विरोध किया था।

हिंदू पक्ष ने 29 सितंबर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा ‘शिवलिंग’ की वैज्ञानिक जांच के साथ-साथ ‘अर्घा’ और उसके आसपास के क्षेत्र की कार्बन डेटिंग की मांग की थी। बता दें कि कार्बन डेटिंग एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जो किसी पुरातात्विक वस्तु या पुरातात्विक खोजों की आयु का पता लगाती है।

ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी मामले में चार महिला याचिकाकर्ताओं ने 16 मई को मस्जिद के एडवोकेट कमिश्नर सर्वे के दौरान मिले ‘शिवलिंग’ की प्रकृति, उम्र आदि का पता लगाने के लिए वैज्ञानिक जांच और कार्बन डेटिंग की मांग की थी। 6 और 16 मई और आखिरी दिन हिंदू पक्ष के वकीलों ने मस्जिद परिसर में एक ‘शिवलिंग’ की खोज का दावा किया। हालांकि मुस्लिन पक्ष की ओर से कहा गया था कि यह वजूखाना है।

मुस्लिम पक्ष कार्बन डेटिंग के खिलाफ था। उनका कहा है कि यह शिवलिंग नहीं एक फव्वारा है। इस मामले के अलावा दो और मामलों की सुनवाई आज यानी शुक्रवार को होगी। पहला मामला ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग की पूजा करने की कोर्ट से मांग के संबंध में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की ओर से दर्ज कराया मुकदमा है। वहीं दूसरा मामला ज्ञानवापी में मिली आकृति को शिवलिंग बताते हुए हिंदुओं को सौंपने की मांग गई है।  दोनों आवेदनों पर आज वरिष्ठ दीवानी न्यायाधीश कुमुदलता त्रिपाठी की अदालत में सुनवाई होनी है।

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