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ज्ञानवापी केसः सुप्रीम कोर्ट में एक दिसंबर को होगी सुनवाई, पहले सुनी जाएगी मुस्लिम पक्ष की दलील

मस्जिद पक्ष का कहना है कि पूजा स्थल क़ानून के अनुसार, किसी भी धार्मिक स्थल का वही चरित्र रहेगा जो 15 अगस्त 1947 को था। क़ानून के मुताबिक़, इस धार्मिक स्थल का चरित्र कतई नहीं बदला जा सकता है।
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फ़ोटो साभार : Indian Expresss

उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई एक दिसंबर तक के लिए टाल दी है। शीर्ष अदालत में इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही है। कोर्ट ने कहा था कि 15 अगस्त 1947 को परिसर का धार्मिक चरित्र क्या था, यह साक्ष्य का विषय है। यह ट्रायल के दौरान साक्ष्य से तय होगा। चीफ जस्टिस ने कहा है कि इस मामले में सबसे पहले मस्जिद पक्ष की दलील सुनी जाएगी।

ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली संस्था अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में हिंदू पक्ष की उस याचिका को चुनौती दी है जिसमें मां श्रृंगार गौरी और अन्य देवी-देवताओं के होने का दावा करते हुए उनकी पूजा-अर्चना का अधिकार मांगा गया है। मस्जिद पक्ष का कहना है कि पूजा स्थल कानून के अनुसार, किसी भी धार्मिक स्थल का वही चरित्र रहेगा जो 15 अगस्त 1947 को था। कानून के मुताबिक, इस धार्मिक स्थल का चरित्र कतई नहीं बदला जा सकता है। ज्ञानवापी परिसर में देवी-देवताओं के होने और पूजा-अर्चना का अधिकार मांगने का मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है, क्योंकि यह कानून उस पर रोक लगाता है।

ज्ञानवापी केस में सुप्रीम कोर्ट में कुल तीन याचिका दाखिल हुई है। एक याचिका श्रृंगार गौरी मामले में मेंटेनेबिलिटी का मामला है। दूसरे मामले में मुस्लिम पक्ष ने परिसर के एएसआई सर्वे के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने के फैसले को चुनौती दी है। जबकि तीसरा मामला मस्जिद में विवादित आकृति और उसके आसपास के स्थान का एएसआई के जरिये वैज्ञानिक सर्वे कराने का है। वक्त की कमी के चलते सोमवार को इस मामले की सुनवाई नहीं हो पाई। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई एक दिसंबत तक के लिए टाल दी।

इसी कोर्ट में श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा की डिमांड के अलावा कई अन्य याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है। कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलों का नोट जमा करने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पहली दिसंबर को सबसे पहले अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की दलील सुनी जाएगी। सबसे पहले यह तय किया जाएगा कि यह ज्ञानवापी का मामला सुनवाई योग्य है अथवा नहीं।

वाराणसी की जिला अदालत ने 12 सितंबर के अपने फैसले में माना था कि ज्ञानवापी का मामला सुनवाई योग्य है। मुस्लिम पक्ष ने डिस्ट्रिक कोर्ट के फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष के हक में अपना फैसला सुनाते हुए मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी। बाद में अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने शीर्ष अदालत की ओर रुख किया और हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच जल्द ही यह फैसला सुना सकती है कि ज्ञानवापी विवाद किसी भी अदालत में सुना जा सकता है अथवा नहीं? मालूम हो कि सितंबर महीने में सुनवाई के दौरान दोनों पक्ष के अधिवक्ताओं ने ज्ञानवापी केस में सुप्रीम कोर्ट में लंबित सभी याचिकाओं पर सुनवाई की अपील की थी, जिसे स्वीकार कर लिया गया था।

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