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ज्ञानवापी केसः ज़िला जज ने कहा— संरक्षित क्षेत्र का सर्वे संभव नहीं

सुप्रीम कोर्ट के आदेश में साफ़-साफ़ कहा गया है कि जिस क्षेत्र में विवादित आकृति मिली है उसे संरक्षित किया जाए।
gyanvapi

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने ज्ञानवापी परिसर में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सील किए गए वजूखाने में मिली विवादित आकृति का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से सर्वे कराने के लिए हिन्दू पक्ष की महिलाओं की ओर से दाखिल अर्जी खारिज कर दी है। कोर्ट ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में पूर्व में पारित पारित आदेशों का जिक्र करते हुए कहा कि वजूखाने में स्थित विवादित आकृति का सर्वे संभव नहीं है। इस संबंध में कोई आदेश पारित किया जाना सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होगा।

डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने अपने फैसले में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में साफ-साफ कहा गया है कि जिस क्षेत्र में विवादित आकृति मिली है उसे संरक्षित किया जाए। वाराणसी के जिला जज ने 21 जुलाई 2023 के अपने फैसले में इस क्षेत्र को एएसआई सर्वे से बाहर रखा था। संरक्षित क्षेत्र में किसी भी तरह के सर्वे का आदेश सुप्रीम कोर्ट के निर्देश की अवहेलना मानी जाएगी।

ज्ञानवापी स्थित श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन की मांग करने वाली राखी सिंह ने वजूखाने और विवादित आकृति का एएसआई सर्वे कराने के लिए अर्जी दी थी। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने आदेश की पत्रावली सुरक्षित रख ली थी। बाद में कोर्ट ने शनिवार की देर शाम विवादित आकृति का सर्वे कराए जाने के बाबत राखी सिंह की ओर से दाखिल अर्जी खारिज कर दी।  

राखी सिंह की ओर से अधिवक्ता मनबहादुर सिंह, अनुपम द्विवेदी और सौरभ तिवारी ने पक्ष रखा। इनका कहना था कि विवादित आकृति के सर्वे से इस मुकदमे में बहुत बड़ा सबूत मिल सकता है। इसलिए किसी भी साइंटिफिक तरीके से विवादित आकृति का सर्वे किया जाए। ज्ञानवापी परिसर में 2022 में अधिवक्ता कमीशन की कार्रवाई के दौरान वजूस्थल पर एक विवादित आकृति मिली थी, जिसे हिन्दू पुराना शिवलिंग बता रहा है तो मुस्लिम पक्ष का दावा है कि वह फव्वारा है।

अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की ओर इकलाख, रईस अहमद और तौहीद खान ने हिन्दू पक्ष के दावे का प्रतिवाद किया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से 17 मई 2022 के एक आदेश में वजू स्थल को संरक्षित और सील किया गया है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के परे वजू स्थल के एएसआई सर्वे का आदेश नहीं दिया जा सकता है।

वाराणसी के जिला जज ने 21 जुलाई 2023 को ज्ञान‌‌‌वापी परिसर का सर्वे कराने का आदेश दिया था। कोर्ट ने अपने फैसले में साफ-साफ कहा था कि वजू स्थल को छोड़कर बाकी कैंपस में बिना नुकसान पहुंचाए साइंटिफिक सर्वे किया जाए। बाद में 24 जुलाई 2023 से ज्ञानवापी परिसर में सर्वे शुरू हुआ। हिन्दू पक्ष की ओर से राखी सिंह ने अपनी याचिका में दावा किया था कि विवादित आकृति शिवलिंग है और वह काफी पुराना शिवलिंग है। दूसरी ओर, मुस्लिम पक्ष का कहना था कि विवादित आकृति खराब पड़ा पुराना फव्वारा है।

जिला जज ने अपने फैसले में 17 मई 2022 के उस आदेश के हवाला दिया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी भी तरह से मुसलमानों की मस्जिद तक पहुंच या नमाज और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए मस्जिद के उपयोग पर रोक अथवा बाधा नहीं डाली जा सकेगी। कोर्ट ने जिलाधिकारी को वजूखाने को विधिवत संरक्षित करने का आदेश दिया है। कोर्ट के ताजातरीन फैसले से अब यह साफ हो गया है कि विवादित आकृति वाला क्षेत्र सील नहीं, बल्कि संरक्षित है। राखी सिंह ने कहा है कि वह जिला जज के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में नई याचिका दायर करेंगी।

ज्ञानवापी परिसर में फिलहाल एएसआई सर्वे जारी है। एएसआई के पास रिपोर्ट पेश करने के लिए सिर्फ दो हफ्ते का समय बचा है। एएसआई ने ज्ञानवापी परिसर को चार सेक्टर में बांटकर चारों तरफ कैमरे का जाल बिछा रखा है। वीडियोग्राफी कराई जा रही है। एएसआई टीम फिलहाल पश्चिमी दीवार की सबसे बारीक स्कैनिंग कर रही है। ज्ञानवापी परिसर की पैमाइश हो चुकी है। मस्जिद के अंदर मिलने वाली आकृतियों और दीवारों के भित्ति चित्रों व कलाकृतियों की वीडियोग्राफी का काम पूरा हो चुका है। दो टीमें तहखाने और दो अन्य टीमें परिसर के बाहरी हिस्से में सर्वे करने में जुटी हैं। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश के आदेश के अनुसार, ज्ञानवापी में सर्वे के दौरान हिंदू धर्म और पूजा पद्धति से संबंधित जो भी सामग्री मिलेगी,  उसे एएसआई जिला मजिस्ट्रेट को सुपुर्द करेगी।

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